कवितालयबद्ध कविता
वीर सैनिक।
वीर तेरे जज्बे को सलाम करते हैं।
तेरे पराक्रम से धरती - सागर हिल जाते हैं
सितारे टूटकर खाक में मिल जाते हैं,
प्रबल हुंकार से उत्तुंग शिखर ढ़हता है
सधे कदमों को छू उन्मत्त पवन बहता है।
तेरे इशारे पर चाँद - सूरज काम करते हैं
वीर तेरे जज्बे को सलाम करते हैं।
मौत के साये में जीना आसान नहीं
सीने में धड़कता हुआ दिल है, पाषाण नहीं,
जज्बातों से रहे तब भी काफी दूर हैं
शहादतों के लिए सदा मशहूर हैं।
कफन बाँधे सर, सुबह से शाम करते हैं
वीर , तेरे जज्बे को सलाम करते हैं।
आतप , अंधड़, बिजली या ज्वाल रहे
डसने को उद्विग्न हर दिश काल रहे,
कुंद करते रहे अरि की तलवारों को
अपना प्रहरी ललकारता दुश्मन हजारों को।
पल-भर में उनका काम तमाम करते हैं
वीर, तेरे जज्बे को सलाम करते हैं।
अनिल मिश्र प्रहरी।