कवितालयबद्ध कविता
हम न भाजपा का, न ही कांग्रेस का समर्थन करते हैं।
मामूली से इंसान है साहब, रोटी और पानी का समर्थन करते हैं।
मिल जाये दो वक्त सुकून से, ज़िन्दगी बसर कर सके
उस दो टूक छत और उस नींद का समर्थन करते हैं
न जाने कितने लोग आएंगे और चले जायेंगे इन चुनाव के दौरान
हम सच्ची मानवता को ढूंढकर उसका समर्थन करते हैं।
नही चाहिये हमें इन चुनाव के चक्कर में लड़ाई कभी
हम बस भाजपा का कांग्रेस, कांग्रेस का भाजपा होने का समर्थन करते हैं।
देश एक है चुनाव चिन्ह अलग अलग बड़ी नाइंसाफी है साहब
हम एक मुल्क को एक ही नज़रिए से देखने का समर्थन करते हैं। - नेहा शर्मा