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Sahitya Arpan - Anjani Tripathi
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Anjani Tripathi

Writer's Pen Name not added

अंजनी त्रिपाठी
मुझे लिखने का शौक है

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  • कविताअतुकांत कविता

    नारी के जीवन में इतवार नहीं आता

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 155
    • 3 Mins Read

    सप्ताह के सातों दिन
    यूं ही कट जाता है
    एक आस लिए मन में
    फुर्सत कब आता है
    घर से बाहर तक उसको
    कभी चैन नहीं आता
    नारी के जीवन में
    इतवार नहीं आता

    कभी टिफिन बनाती है
    बच्चों को जगाती है
    कभी सास ससुर की चिंता
    Read More

    नारी के जीवन में इतवार नहीं आता,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बीते दिन वापस नहींं आते

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 160
    • 3 Mins Read

    खोए हुए पंक्षी वापस आएंगे क्या मिलने
    बीता हुआ दिन वापस आता है क्या?

    एक उम्र गुजारी हो जिसके संग
    उसके जाने से वक्त ठहर जाता है क्या?

    कोई छोड़ चला जाए इस जग को
    पर अपनों के दिल से कभी निकल पाता है क्या?

    एक
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    बीते दिन वापस नहींं आते,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मां

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 87
    • 3 Mins Read

    मॉ तुम कैसे जान जाती हो
    जब भी मन उदास होता है
    कोई नहीं जब आसपास होता है
    बज उठती है तुम्हारे फोन की घंटी कैसी हो तुम ?ठीक हो ना
    तुम्हारा चेहरा दिख रहा था
    ऐसे लगा तुम याद कर रही हो
    मैं निशब्द हो जाती हूं
    क्या
    Read More

    मां,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    होली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 75
    • 2 Mins Read

    कान्हा के रंग रंगी
    ब्रज की गुजरिया

    भीगे रे चोली भीगे चुनरिया
    प्रीत की छलकत जाए गगरिया

    नर नारी सब भूल के बंधन
    झूमे ब्रज की सारी नगरिया

    होली आई है रे सखी
    फागुन आयो री

    कहीं लट्ठमार होली
    कहीं करते
    Read More

    होली,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आपने यह प्रत्तियोगिता में ऐड नही की है।

    कविताअतुकांत कविता

    तुम्ही बताओ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 221
    • 2 Mins Read

    सुबह थमी तो फिर
    दोपहर में चली सर्द हवाएं
    यादें थमी तो फिर
    महकने लगी फिजाएं
    ऐसे में कैसे तुम्हें भुला दूं
    तुम्ही बताओ?

    मूंगफली, गजक, बादाम,
    प्याली भर चाय
    तुम्हारे बिन सर्दी में
    लगते सब अधूरे हैं
    कैसे
    Read More

    तुम्ही बताओ,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Thank you ma'am

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Ok ma'am

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    यदि यह रचना प्रतियोगिता हेतु है तो कृपया टैग 19-2021 add कीजियेगा

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    कविताअतुकांत कविता

    इकरार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 202
    • 3 Mins Read

    आओ बैठो पल दो पल,
    हम अपनी आंखें चार करें
    मैं तुझको जी भर कर देखूं
    ,इक दूजे से इकरार करें

    एक मुद्दत से मिली न तुमसे,
    बेताबी ने घेर लिया
    नयनों की अब प्यास बुझायें,
    फिर से अब दीदार करें

    ये मेरा दीवानापन
    Read More

    इकरार,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बेहतरीन लिखा आपने...

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद जी

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    कविताअतुकांत कविता

    अलविदा 2020

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 114
    • 4 Mins Read

    दिन महीने हफ्ते बीते
    बीत गया यह साल ।

    करु दुआ में हाथ जोड़कर
    नव वर्ष में सब रहे खुशहाल।

    नव वर्ष सभी में
    स्फूर्ति लाए
    खुशियों से जन-जन
    को महकाए।

    सभी सलामत
    रहे सदा
    सुख समृद्धि
    बसे सदा ।

    ना कोरोना
    Read More

    अलविदा 2020,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखअन्य

    ढूंढा करते हैं तुम्हें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 101
    • 3 Mins Read

    किस्मत की लकीरों में
    ढूंढा करते हैं तुम्हें

    फूलों की खुशबू हो
    या हो बहती नदियां
    सागर की लहरों में
    ढूंढा करते हैं तुम्हें।

    सूरज की लाली हो
    या तारों की दुनियां
    चंदा की चांदनी में
    ढूंढा करते हैं
    Read More

    ढूंढा करते हैं तुम्हें,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    मैं तुम्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 186
    • 10 Mins Read

    मैं तुम्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं ।।

    अनामिका नई नई शादी करके आई थी
    बहुत सारे सपने बहुत सारे अरमान लेकर आंखों में ख्वाब सजाए ,फिल्मों की तरह सोचा करती थी मेरा पति भी फिल्मों की तरह हर पल मेरे
    Read More

    मैं तुम्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    किसान

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 126
    • 3 Mins Read

    सर्द ठिठुरते रातों में
    खेतों में करते काम
    अथक परिश्रम करते
    नहीं मिलता आराम
    कहते हैं सब हमें अन्नदाता
    हम हैं सब के भाग्य विधाता
    चीर के धरती का सीना
    मिट्टी से सोना उपजाते है
    जन-जन की हम
    भूख मिटाते
    Read More

    किसान,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    एक जमाना बीत गया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 278
    • 3 Mins Read

    मुझको खुद से नजर मिलाएं
    एक जमाना बीत गया
    खोई रही दुनियां की भीड़ में
    खुद की सुध को भुला बैठी
    मुझको अपने गले लगाएं
    एक जमाना बीत गया
    हंसना रोना संग संग दोनों
    जाने कैसे करती हूं
    होठों पर मुस्कान सजाएं
    एक
    Read More

    एक जमाना बीत गया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    आह, नारी की व्यथा !दिल रोता हो, होंठों पर मुस्कान रहनी चाहिए ! विडम्बना!

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    सुन्दर सृजन

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    खुद का खुद से मिलन बेहद खूब बहुत सुंदर सृजन

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    कविताअतुकांत कविता

    करवा चौथ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 288
    • 3 Mins Read

    आज आज फिर मैं सजी हूं
    सजन के लिए
    चांद तकती रही मैं सजन के लिए

    रस्म सारे जगत की निभाऊंगी मैं
    प्रीत से अपने उनको रिझाऊंगी मैं

    मेरे माथे की बिंदिया
    चमकती रहे
    मेरे हाथों की चूड़ी
    खनकती रहे

    मांग में
    Read More

    करवा चौथ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद सर

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बेहतरीन

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    भावपूर्ण रचना है।

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुंंदर भाव के साथ लिखा है आपने ।

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    कविताअतुकांत कविता

    नवंबर तेरा आना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 75
    • 1 Mins Read

    बड़ा सुकून सा लगता है
    नवंबर तेरा आना
    अब गुनगुनाती धूप भी
    भाने लगी है
    चाय की चुस्की भी
    रास आने लगी है
    मिल गई राहत
    उमस भरी गर्मी से अब तो
    ठंडी ठंडी हवा भी
    गुदगुदाने लगी है

    नवंबर तेरा आना,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    शरद पूर्णिमा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 169
    • 3 Mins Read

    आज गगन से अमृत बरसेगा
    चांद का मन भी हरसेगा
    चांदनी करेगी सोलह श्रृंगार
    अब चकोर नहीं तरसेगा
    श्याम सोलह कलाओं से
    परिपूर्ण होकर
    राधा गोपियों संग महारास रचाएंगे
    वृंदावन में धूम मचेगी
    सबका मन हरसाएंगे
    Read More

    शरद पूर्णिमा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    कविताअन्य

    तब गांव हमें अपनाता है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 140
    • 4 Mins Read

    शहरी जीवन के चकाचौंध में,
    मानव जब ऊब जाता है
    तंग शहर की गलियों में
    जब बैठ के मन घबराता है ।
    तब मन का पंछी भाग
    गांव की गलियों में आ जाता है, तब गांव हमें अपनाता है।।

    शहरों की ये भीड़ -भाड़
    ये जन समूह का
    Read More

    तब गांव हमें अपनाता है,<span>अन्य</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर रचना

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    मिट्टी की भीनी खुशबू से ओतप्रोत

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद सर

    कविताअतुकांत कविता

    नवरात्रि

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 174
    • 6 Mins Read

    नवरतिया में आजा मईया
    मोरे अंगना
    मोरे अंगना हो मईया.....…
    मोरे अंगना.....
    पहिले दिन अइह मईया
    बन के शैलपुत्री
    राजा हिमांचल के
    रहलु मां पुत्री
    दूसरे दिन अइह मईया
    बनिके ब्रह्मचारिणी मां
    बनिके ब्रह्मचारिणी..
    दुख
    Read More

    नवरात्रि,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जय माता की

    Anjani Tripathi3 years ago

    Jai Mata Di

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जय माता की

    कविताअतुकांत कविता

    नवरात्रि

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 184
    • 4 Mins Read

    नवरात्रि के नौ दिनों में
    नवदुर्गा का करते गुणगान

    ऐसी कृपा कर देना मां अंबे
    जग का हो जाए कल्यान

    व्रत उपवास करे नर नारी
    दूर करेगी मां विपदा सारी

    सच्चे मन से जो ध्यान लगाए
    मैया पल में बिगड़ी बनाएं

    झोलियां
    Read More

    नवरात्रि,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जय माता की

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    कविताअतुकांत कविता

    भारतीय मीडिया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 113
    • 4 Mins Read

    भारत का चतुर्थ स्तंभ है
    मीडिया हमारी
    जन जन की आवाज है
    मीडिया हमारी

    परंतु यह स्तंभ क्यों
    हिलाने लगी
    सच से पर्दा क्यों
    सरकाने लगी
    कोई शहीद हो जाए सीमा पर
    बिलख रहे हो घर परिवार
    कोई गरीब मदद को लगाये
    Read More

    भारतीय मीडिया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बिल्कुल सही

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बिल्कुल सच है..!

    Anjani Tripathi3 years ago

    Thank you sir

    लेखअन्य

    उपेक्षिता नारी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 194
    • 4 Mins Read

    कहते हैं ईश्वर की
    कोई भी रचना
    अपूर्ण नहीं होती
    फिर नारी अपूर्ण
    कैसे रह गई?

    किसी ने बांझ नाम दिया
    किसी ने निसंतानी,
    किसी ने कहा अरे ,
    सुबह-सुबह मुंह देख लिया
    आज तो दिन ही
    खराब हो गया

    मां की ममता
    तो
    Read More

    उपेक्षिता नारी,<span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    नारी, तू नारायणी

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद सर

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    नारी जीवन पर्यन्त कार्य रत रहती है.

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद सर

    कविताअतुकांत कविता

    हिंदी है पहचान हमारी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 148
    • 4 Mins Read

    हिंदी मेरी पहचान

    हिंदी है माथे की बिंदी
    भारत मां की पहचान है
    हिंदी के बिन सूना लगता
    मेरा हिंदुस्तान है
    सूर मीरा की पहचान है हिंदी
    कैसे कान्हा माखन खाते
    कैसे मीरा प्रीत निभाती
    जनक नंदिनी की वरमाला

    Read More

    हिंदी है पहचान हमारी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुम्ही बताओ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 112
    • 3 Mins Read

    लिखना तो बहुत कुछ चाहतीं हूँ
    पर तुम ही बताओ..
    तुम्हें कागज पर उतारू कैसे,
    प्यार तो बहुत करती हूँ तुमसे
    पर इस एहसास को जताऊ कैसे
    सोचती तो रहती हूँ तुम्हें हरपल
    पर तुम्हारा साथ निभाऊं कैसे,,
    खुद पर नही
    Read More

    तुम्ही बताओ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखअतुकांत कविता

    साक्षरता दिवस

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 105
    • 4 Mins Read

    साक्षरता दिवस

    आज हम सभी विश्व साक्षरता दिवस मना रहे हैं ।

    और धीरे-धीरे मानवता
    भूलते जा रहे हैं ।

    क्या फायदा ऐसे किताबी ज्ञान का
    जहां संवेदना ही मरती जा रही है।

    किसी को परेशान देख हमारा दिल नहीं
    Read More

    साक्षरता दिवस,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Thank you ma'am

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    एकदम जबरदस्त कटाक्ष के साथ रचना सच में ऐसे ज्ञान का क्या फायदा जो किसी का भला हो न कर सके

    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 166
    • 4 Mins Read

    कविता
    शीर्षक -जिंदगी

    ए जिंदगी तू ही बता
    तुझ पर क्या लिखूं !
    कभी तू अनसुलझी
    पहेली सी लगती है
    तो कभी बचपन की
    सहेली सी
    कभी तुम मां के
    कोमल स्पर्श सा लगती है
    तो कभी पापा के
    डांट फटकार सी
    कभी तू गुरु बनकर
    Read More

    जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखअन्य

    मर्द

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 207
    • 7 Mins Read

    जन्म लेते ही
    मिठाईयां बांटी जाती है
    ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं
    कोई कहता है
    हमारे खानदान का
    वारिस आ गया
    कोई कहता है
    हमारे कुल का
    तारनहार आ गया
    कोई कहता है
    हमारे मजबूत
    कंधों का सहारा
    आ गया

    बड़ा होकर
    इसे
    Read More

    मर्द,<span>अन्य</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Thodi busy thi isiliye post nhi kar pai

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Thank you ma'am

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut sundar rachna aapne bahut din baad post kiya i was searching you

    कहानीअन्य

    हमसफ़र सोशल मीडिया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 171
    • 5 Mins Read

    दीपा बहुत हंसमुख
    और साफ दिल वाली लड़की थी, सब की खुशियों में अपनी खुशी ढूंढना तो जैसे उसने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया था
    दोस्त ,परिवार ,रिश्तेदार,
    किसी का भी बर्थडे एनिवर्सरी,
    तो उसके दिमाग के कंप्यूटर
    Read More

    हमसफ़र सोशल मीडिया,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    व्याकुल मन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 213
    • 3 Mins Read

    उस पार क्षितिज के जाना है
    मन की कोमल पंखुड़ियों पर
    जब हुआ कुठाराघात कोई
    तब अश्रु की धारा बह निकली,
    जब रहा न मेरे साथ कोई
    अब खुद का संबल बन जाना है
    उस पार क्षितिज के जाना है

    जिन संग खुद का नाता जोड़ा
    उन
    Read More

    व्याकुल मन,<span>अन्य</span>
    user-image
    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    धन्यवाद सर

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण..!

    कविताअन्य

    मेरे घर भी आ जाना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 222
    • 3 Mins Read

    अबकी बार कन्हैया
    मेरे घर भी आ जाना
    कब से बाट निहारु मोहन
    अबकी ना तरसाना
    अबकी बार कन्हैया
    मेरे घर भी आ जाना

    माखन मिश्री सजा के थाली
    कैसे भोग लगाऊ मैं
    मां की ममता तड़प रही है
    कैसे छतिया लिपटाऊं मैं
    Read More

    मेरे घर भी आ जाना,<span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    वाह, अच्छी रचना

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद सर

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बहुत खूब

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    कविताअन्य

    सफलता

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 115
    • 3 Mins Read

    हमारे हर मेहनत के आगे है सफलता
    हमारी उम्मीदों का चिराग है सफलता

    हमारे अरमानों का ख्वाब है सफलता
    दिल झूम जाता है जब मिलती है सफलता

    रग -रग में उर्जा का संचार है सफलता
    नित नए सपने बुनने को प्रेरित
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    सफलता,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    बारिश वाला प्यार

    • Edited 3 years ago
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    शब्दाक्षरी अगस्त आयोजन २०२०

    बारिश की फुहार आते ही,
    तुम्हारा चेहरा याद आ जाता है।
    कितनी खुश थी मैं
    तुमसे मिलने के लिए
    उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देख
    मेरे मन का मयूरा भी नाचने लगा था,
    उधर एक बिजली
    खुले
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    बारिश वाला प्यार,<span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    सुंदर शब्द चयन

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम

    teena suman

    teena suman 3 years ago

    बहुत सुन्दर इजहार, सच यही तो है पहला प्यार

    Anjani Tripathi3 years ago

    धन्यवाद मैम