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Sahitya Arpan - Bhawna Sagar Batra
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Bhawna Sagar Batra

Writer's Pen Name not added

"उसने सुनी नहीं चीखेंं मेरी खामोशी के पीछे की,
वो खुद को मेरा हमसफर कहता था "

©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद,हरियाणा

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कविता अन्य Second
    कविता नज़्म 4th

    कविताअन्य

    अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है

    • Edited 3 years ago
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    • 246
    • 6 Mins Read

    कभी कभी अपनों को समझाना मुश्किल हो जाता है,
    अपना हाल बता पाना मुश्किल हो जाता है ।

    दिल दुखाना मकसद नहीं होता कभी किसी का,
    फिर भी चंद अल्फाज़ों की चोट से,कोई अपना रूठ जाता है ।
    दिल में इज़्जत भी होती
    Read More

    अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है ,<span>अन्य</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया है

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    Thanks

    कवितानज़्म, अन्य

    मिले खुदसे हुए ज़माना सा लगता है

    • Edited 3 years ago
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    • 204
    • 4 Mins Read

    मिले खुदसे हुए एक ज़माना सा लगता है -२
    खुद में खुद को ढूंढना कुछ पुराना सा लगता है ।

    आओ चले एक ऐसी हवा के संग -२
    जिसमें नदी की तरह बहना,बहाना सा लगता है ।

    और यूँ तो हर रोज़ देखती हूँ आईना मैं -२
    मगर न जाने
    Read More

    मिले खुदसे हुए ज़माना सा लगता है ,<span>नज़्म</span>, <span>अन्य</span>
    user-image
    शब्बीर मुनव्वर

    शब्बीर मुनव्वर 2 years ago

    अच्छे भाव व्यक्त किए है बहुत खूब

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 3 years ago

    वाह क्या खूब कहा निशब्द

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    वाह, क्या ख्याल है!

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    कविताअन्य

    कभी बैठो पास तसल्ली से

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 354
    • 4 Mins Read

    कभी खा म खां,कुछ बेवजह आओ पास मेरे ,
    यूँ ही बेवजह करलो कुछ बातें,
    दो वक्त कुछ पलों का मुझे ,
    आओ कभी बैठो पास तसल्ली से ।

    ठण्डी हवाओं का माहौल हो,
    एक कप चाय और दो प्याली ,
    उस आधे कप की चाय करदे
    हर बात को पूरा
    Read More

    कभी बैठो पास तसल्ली से ,<span>अन्य</span>
    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर भाव

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बहुत बढ़िया रचना। कभी-कभी ऐसा भी ज़रूरी है

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी बहुत ज़रूरी

    कविताअन्य

    क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो

    • Edited 3 years ago
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    • 160
    • 5 Mins Read

    तुम्हारे साथ क्या और क्यों हो रहा है ,
    इसका इल्ज़ाम दूसरों पर क्यों लगाते हो ,
    जो बोया है तुमने वही तो पाते हो,
    दूसरों को गिराने में खुद नीचे गिर जाते हो ,
    पढ़ते हो लोगों के झूठे-सच्चे चेहरे
    और पढ़ते
    Read More

    क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो ,<span>अन्य</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया दीदी

    कविताअन्य

    कैसे कहूँ क्या दफन है मेरे ज़हन में

    • Edited 3 years ago
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    • 127
    • 6 Mins Read

    काश कोई समझने वाला हो ,
    मेरी कविताओं को न भी पढ़े ।
    मगर मुझे पढ़ने वाला हो
    बस इतनी सी तो ख्वाहिश थी मेरे मन में ,
    कैसे कहूँ क्या दफन है मेरे ज़हन में ।

    बिन बोले ही सुनले ऐसा भगवान नहीं चाहा ,
    बताकर भी
    Read More

    कैसे कहूँ क्या दफन है मेरे ज़हन में ,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    पूर्व और पश्चिम

    • Edited 3 years ago
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    • 213
    • 2 Mins Read

    मैं पूर्व से उगती धूप सी हूँ ,
    वो ढलती किसी शाम सा है ।
    मैं अधूरी कोई किताब सी हूँ ,
    वो किसी पूरी कहानी सा है ।
    रिश्ता न जाने कैसे खुदा ने ये जोड़ दिया
    मैं बिखरे हुए कागज़ के टुकड़े,
    वो सिमटी हुई किसी
    Read More

    पूर्व और पश्चिम ,<span>अन्य</span>
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    कवितानज़्म, अन्य

    किरदार

    • Edited 3 years ago
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    • 145
    • 3 Mins Read

    हर शख्स निभा रहा है एक किरदार जहाँ में,
    किरदार लिखने वाला भी लिखता है कहानी,
    और उस कहानी में कभी बताता है ,
    तो कभी छुपाता है किरदार अपना ।
    एक ऐसा किरदार जो अपरिचित हो ,
    एक ऐसा किरदार जिससे वो खुद नहीं
    Read More

    किरदार,<span>नज़्म</span>, <span>अन्य</span>
    user-image
    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    अच्छा लिखा है।

    कविताअन्य

    कहाँ कठिन है ज़िंदगी

    • Edited 3 years ago
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    • 222
    • 5 Mins Read

    हर राह है मुश्किल ,हर मंज़िल है दूर
    थकान होती है जल्दी,सपने हो जाते है चूर
    सामने जब आती है हार ,तो आता है एक सवाल
    सवाल ये, के क्यों कठिन है ज़िंदगी ----

    मंज़िल मेरी है ,मेहनत भी मुझे ही करनी है
    सपने मेरे
    Read More

    कहाँ कठिन है ज़िंदगी ,<span>अन्य</span>
    user-image
    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर है

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी आभार

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर..?

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया पूनम

    कविताअन्य

    हाथों में आ जाती है कलम

    • Edited 3 years ago
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    • 230
    • 4 Mins Read

    जब महसूस होता है अकेलापन ,
    जब होते है कई सवाल और
    अनेकों ख्याल ज़हन में ।
    दर्द जब हद से बढ़ जाता है ,
    मजबूर होती है ज़ुबां, खुलते नहीं लब,
    शिकायत करने को किसी से ,
    मन हो जाता है परेशान ,

    वो खुद ब खुद बुलाती
    Read More

    हाथों में आ जाती है कलम,<span>अन्य</span>
    user-image

    कवितानज़्म

    "चाँद से हुई बातचीत"

    • Edited 3 years ago
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    • 217
    • 5 Mins Read

    एक रोज़ देखा चाँद को,
    बड़े ही ध्यान से, ज़रा इत्मिनान से -2
    और पूछा उससे कि तुम परेशान नहीं होते।
    वो बोला किसलिए??

    मैंने कहा सारी रात चंद आशिक निहारते हैं तुम्हें,
    बच्चे छोटे, मामा पुकारते हैं तुम्हें
    Read More

    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया दी

    कवितानज़्म, अन्य

    ख्याल से हकीकत की कलम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 297
    • 5 Mins Read

    "ख़्याल से हकीकत की कलम"

    रात का अंधेरा, और बंद कमरे में मैं
    खुद से करती हूँ सवाल
    कि क्या सोना है मुझे ,
    या जागकर लिखना है ??

    लिखना है कुछ किस्सों को,
    लिखना है कुछ कहानियों को,
    लिखना है कुछ हकीकत को,
    Read More

    ख्याल से हकीकत की कलम ,<span>नज़्म</span>, <span>अन्य</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया दीी ।

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    sunder abhivyakti

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर..!

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया ।

    कविताअन्य

    रिश्ते

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 164
    • 5 Mins Read

    *रिश्ते*
    कड़वा है पर सत्य है ।

    कुछ लोग दिखावे के रिश्ते रखते हैं,
    तो कुछ लोग रिश्तों में दिखावा रखते हैं ।
    जिंदगी का आनंद वही लेते हैं,
    जो रिश्तों में दिखावे को पीछे रखते हैं ।
    यूं तो दुनिया में सभी
    Read More

    रिश्ते,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    साहित्य बने मेरी पहचान

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 137
    • 4 Mins Read

    हिंद से है प्रेम मुझे, काव्य का करती हूँ सम्मान
    #हरियाणा की वासी हूँ,#फरीदाबाद शहर का नाम।

    नाम में ही भाव छुपे है,"भावना" है मेरा नाम
    जाति में न बाँटू खुदको, बस समझूँ मैं #इंसान।

    #ब्यूटीशियन है पेशा
    Read More

    साहित्य बने मेरी पहचान ,<span>अन्य</span>
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    भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    कविताअन्य

    लाॅकडाउन में पति की दशा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 163
    • 4 Mins Read

    परेशान पति बोले मोदी जी से,
    क्या कर दिया कोरोना की वजह से ।
    गेट पर लगा दिया है ताला,
    मोदी जी किस दुविधा में डाला ।

    चाय जो माँगू बीवी से,बर्तन मुझसे धुलवाती है।
    माँगू जो दूसरी बार भोजन,जो़रो से चिल्लाती
    Read More

    लाॅकडाउन में पति की दशा ,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    haha awsome

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया दीदी

    Shivam Pachauri3 years ago

    Thnk u

    कविताअन्य

    तुम होते तो बात ओर होती

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 123
    • 4 Mins Read

    * तुम होेते तो बात ओर होती *

    अब भी हंसती हूँ अब भी रोती हूँ,
    जो पल साथ बिताए,उन्हें ही याद करके जीती हूँ
    काश वक्त/हालातों को हमसे हुई कोई नाराज़गी न होती
    खुशियाँ आज भी है मेरे आस पास,
    मगर तुम होते तो बात
    Read More

    तुम होते तो बात ओर होती ,<span>अन्य</span>
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    भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश

    भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश 3 years ago

    बहुत अच्छी कविता बधाई हो।

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह क्या बात है

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    sach me bahut sundar bhaav tum hote to aur baat hoti bahut aham baat hai ye

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया दीदी

    कविताअन्य

    #पुराने धागे (रिश्ते)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 184
    • 4 Mins Read

    ज़रा सी नाराज़ रहने लगी है कलम मेरी,
    बातें दिल की स्याही से उतारने नहीं देती
    कुछ अल्फाज़ कैद है दिल के अंदर ,
    जैसे एक लंबी खामोशी के बाद गहरा समुंदर
    सही ,गलत के चक्कर में न जाने
    कितना कुछ बिखर जाता
    Read More

    #पुराने धागे (रिश्ते),<span>अन्य</span>
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 11 months ago

    सुन्दर

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उम्दा कृति

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    दुनिया में भावुकता कभी दुख का कारण भी बनती है।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया आदरणीया ।

    कविताअन्य

    खुद में खुद के लिए अभि ज़िदा हूँ मैं (स्वाभिमान)

    • Edited 3 years ago
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    • 295
    • 4 Mins Read

    मेरे माथे की बिंदी तेरे नाम की मोहताज नहीं रहेगी,
    खुद में खुद के लिए अभि ज़िदा हूँ मैं ।
    मेरे गले में मंगलसूत्र तेरे नाम का हो ये ज़रूरी नहीं,
    एक सादा काला धागा,मेरी खुशी के लिए पहनूँगी मैं ।
    मेरे
    Read More

    खुद में खुद के लिए अभि ज़िदा हूँ मैं (स्वाभिमान),<span>अन्य</span>
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    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 3 years ago

    बहुत ही गूढ़ अल्फाजों से सजी साहित्य लड़ी

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    कविताअन्य

    "चाँद की चाँदनी "

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 204
    • 7 Mins Read

    कल रात चाँद की चाँदनी
    मेरे घर की खिड़की का सीना चीरते हुए,
    मेरे कमरे में दाखिल हुई और वो हल्की हल्की रोशनी ।

    मेरे कमरे में पड़ी चीज़ों पर कुछ यूँ बिखर रही थी,जैसे मानो मुझसे कुछ कह रही हो।कुछ हसीन
    Read More

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    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 3 years ago

    भावपूर्ण रचना

    कवितानज़्म

    बीते वक्त का एक घाव ज़हन में रह गया है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 104
    • 3 Mins Read

    बीते वक्त का एक घाव ज़हन में रह गया है,
    और वो अपना होकर भी अपना नहीं था-2
    टुकड़ों में कहीं मेरे अंदर रह गया है।

    वो भरोसा कुबूल-ए-इश्क पर उसके जो किया था मैंने-2,
    जब टूटा वो भ्रम तो आँसुओं में दर्द सारा
    Read More

    बीते वक्त का एक घाव ज़हन में रह गया है ,<span>नज़्म</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी शुक्रिया

    कविताअन्य

    रूह में मेरी समाओगे कब

    • Edited 3 years ago
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    • 114
    • 4 Mins Read

    ज़िंदगी में मेरी तुम आ तो गए हो-2
    रूह में मेरी समाओगे कब।
    रिश्ता तो बना लिया है मुझसे तुमने-2
    उस रिश्ते को दिल से निभाओगे कब।

    तेरा साथ चाहती हूँ, और बस तुझे साथ चाहती हूँ-2
    तुझे ही दोस्त,जीवनसाथी,हमदम,हमसफर
    Read More

    रूह में मेरी समाओगे कब,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    मां ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है ।

    • Edited 3 years ago
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    • 125
    • 5 Mins Read

    माँ ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है,
    माँ जन्नत है खुशियों की,पर पिता उन खुशियों का रखवाला है|
    बचपन में कभी,जब मैं रो जाया करती थी,
    तो पापा की फटकार के डर से,
    माँ थोड़ा डर जाया करती थी|
    गल्ती
    Read More

    मां ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है ।,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    श्रृंगार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 235
    • 4 Mins Read

    वो सजने संवरने को श्रृंगार ढूंढती है,
    गुस्से में तेरे,वो प्यार ढूँढती है।

    लगाकर बिंदिया माथे पर अपने,
    काजल में तुझे बार-2 ढूंढती है।

    वो कहते हैं कि नारी का श्रृंगार,
    सिंदूर, बिंदिया,पायल,बिछिया
    Read More

    श्रृंगार,<span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी धन्यवाद

    कविताअन्य

    "इश्क वाला लव"

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 137
    • 4 Mins Read

    "इश्क़ वाला लव"

    वो मुझसे बेइंतहा इश्क़ करता है-2
    जताता नहीं है मुझे,मगर परवाह बहुत करता है।

    मैं भी कभी पूछती नहीं हूँ,
    के कितना प्यार है तुम्हें मुझसे-2
    मेरे कुछ कहे बिना ही मेरे जज़्बात समझता है।

    देर
    Read More

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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अति सुन्दर

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया अंकल जी ।

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी बहुत बहुत आभार

    कविताअन्य

    पत्नी हूँ तुम्हारी मैं भी प्रेम चाहती हूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 149
    • 9 Mins Read

    "पत्नी हूँ तुम्हारी ,मैं भी प्रेम चाहती हूँ"

    तुम्हारी खुशी में खुश होती हूँ, 
    तुम्हारी उदासी में मुरझा जाती हूँ-2
    हर दम साथ तुम्हारा निभाती हूँ,
    पत्नी हूँ तुम्हारी, मैं भी प्रेम चाहती हूँ-2

    माना कि
    Read More

    पत्नी हूँ तुम्हारी मैं भी प्रेम चाहती हूँ ,<span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    शुक्रिया अंकल जी