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मेरे घर भी आ जाना - Anjani Tripathi (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

मेरे घर भी आ जाना

  • 298
  • 3 Min Read

अबकी बार कन्हैया
मेरे घर भी आ जाना
कब से बाट निहारु मोहन
अबकी ना तरसाना
अबकी बार कन्हैया
मेरे घर भी आ जाना

माखन मिश्री सजा के थाली
कैसे भोग लगाऊ मैं
मां की ममता तड़प रही है
कैसे छतिया लिपटाऊं मैं ।

ना जाने कितनी है बेड़ियां
कितने ताले जीवन में ,
रोज बकासुर कागासुर
घेरे रहते हैं जीवन में ।

तुम बिन कोई बेड़िया तोड़ न पाए,
टूटे हुए दिल को जोड़ न पाए
मेरे मोहन मेरे कान्हा
एक-एक पल अब बीता जाए ।

आके दरश दिखा जा छलिया
कब तक यूं भरमायेगा
मेरी ममता तरस रही है
कब आके गले लगायेगा
अबकी बार कन्हैया
मेरे घर भी आ जाना ।।।।।।।

@अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
11/08/2020

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह, अच्छी रचना

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Anjani Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बहुत खूब

Anjani Tripathi3 years ago

धन्यवाद मैम

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