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"जाता"
कविता
सुकून
थमी-थमी सी जिंदगी
हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ
ऊँचाई....
यूँ हाथ थामकर हर पल का
सूरज का यह सुनहरा खत
चित्र
उदासी
"चाँद से हुई बातचीत"
दुख
अभिभूत
तब गांव हमें अपनाता है
सोचते रहना
नारी का अस्तित्व
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
और ये सब तुडे़-मुडे़ से, सिकुडे़ से अखबार
अभिभूत
दिल दर्द से भर जाता है
ख्वाबों का दरख़्त
बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता
गुलाब
ये वो शाम है
उन्मुक्त
अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है
आंदोलन
मौन प्रार्थना
जान बैठे हैं
मेरा गांव
"लव आजकल"
मन के आईने में
जीवन गाथा
गरीबी और परायापन
प्रकृति की रक्षा
स्वरुचि भोज
माँ का पल्लू
धागे पहले उलझते हैं
साड़ी का पल्लू
भूली बिसरी यादें
साड़ी का पल्लू
यूँ हाथ थामकर हर पल का
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
"क्यो प्यासा रह जाता है"?
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-1
अखबार
एक सत्य
बीते दिन वापस नहींं आते
तन्हा मैं नही
कठपुतली
आशा की एक किरण ..
गुजरा ज़माना
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
" अलग-माएने " 💐💐
मौन प्रार्थना
हिंदी हूं मैं
✍️किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।
वक्त के इस काफिले में
वक्त के इस काफिले में
वक्त के इस काफिले में
आखिरी मुलाकात
दोपहर की धूप
वक्त
किसीको जीना आ जाता है बशर
ऊंची हो जाती है दीवार कभी कभी
दीपक जगता बुझता रहता है
काश लूटने कोई हमारे रंजो -मलाल आ जाता
औलाद की ख़ातिर सबकुछ कर जाता है आदमी
अहबाब का अहसान हो जाता
भूल सकता नहीं अपने मां -बाप को
हंसने के लिए बशर रोनेको तैयार हो जाता है
जीने केलिए बंदा मरने को तैयार हो जाता है
मैं हिन्दी हूं
*नज़रिया बड़ा हो जाता है*
*मुस्कुराने में क्या जाता है*
*खो जाता है आदमी*
मुफ़लिस
*कलमदवात बदल जाते हैं*
*चैनकी नींद सो जाता है*
*खुश रहने में भी कुछ जाता है क्या*
शब्दशिल्पी कोईभी नहीं हो जता
जिगर का टुकड़ा बिछड़ जाता है
फिर भी बचा रह जाता है ।
वक़्त गुज़र जाता है
पौधा सूख जाता है
आदमी
अकेले कैसे जिया जाता है
रात काटी जाती है
नारी
ऐतिबार कोई एक तोड़कर जाता है
दुआओं का भागीदार ज़रूर
क्यों छिप जाता,
कहानी
मैच्युरिटी
वो दिन
भुलक्कड़
ख़ुद ही बिछ जाता है
वक़्त
पड़ौसी पौधे
नीलमणी का सपना
बात बस दो कदम की
म्हारो प्यारो राजगढ़
वह वृक्ष
"नारी के सोलह श्रींगार "
पड़ौसी पौधे
अनाथ भाग-2
छोटु चाय वाला
गौग्रास
अनाथ भाग 5
काश बुद्ध सा कुछ कर जाता
मम्मा तुम्हारी
लेख
भूला नहीं जाता
सरहुल
सूर्योपासना का अनुपम पर्व: छठ महापर्व
बेचारे अन्नदाता किसान
बस्तर के आदिवासी खेल
जय माँ तुलसी
क्रिसमस
क्रिसमस/ बड़ा दिन
नायिका ही संस्कृति की वाहिका है
मकरसंक्रांति का महत्व
पतंग और हम
पतंग और हम
कुमाऊं का उत्तरायण पर्व
एक अनोखा गांव
महाशिवरात्रि
दहेज देना है तो देना है
धुँधला होता रंग
गाँठें हैं बन्धन प्यार के
धुँधला होता रंग
नवरात्रि का महत्व और तैयारी
दूसरा स्वयम्भू
बरसो रे मेघा
पाँति पोहे की
चुनावी मौसम बनाम चूना फ्री मौसम
साहित्य संगीत कला विहीन साक्षात पशु पुच्छ विषाणहीन
किसी की मुस्कुराहों पे हो निसार
अकेलापन
हरियाली तीज
रूठता है
कभी भी अपने लक्षय को छोड़ना बिलकुल भी नहीं चाहिए
मेरे जीवन में होली उत्सव
“कोई भी अमर नहीं है लेकिन संघर्ष हमेशा चलता है”
"जय बोलो हनुमान की"
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