लेखआलेख
#साहित्य अर्पण
१७/०८/२०२३
#विषय: हरियाली तीज
#विधा: आलेख
हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इसे श्रावणी तीज, सिंधारा तीज व छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है।नाथद्वारा के श्रीजी मंदिर मे हरियाली तीज को ठाकुरानी तीज कहा जाता है।
भारत में इस समय वर्षा ऋतु होने के कारण प्रकृति में चहुं ओर हरियाली की चादर सी बिछी रचती है,ऐसे में स्त्रियां हरित वस्त्र,हरी चूड़ियां, हाथों में मेहंदी, पांवों में महावर रचाकर ,सजधज कर प्रकृति के सौंदर्य को और बढ़ाती हैं।यह स्त्रियों का त्यौहार है।इस दिन विवाहित महिलाएं नए कपड़े, गहने पहन कर अपने पीहर जातीं हैं।जहां पारम्परिक परिधान और पूर्ण श्रृंगार करके सखियों संग लोक गीतों को गा-गाकर झूले का आनंद लेती हैं।
इस दिन महिलाएं मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।पूजा के लिए शुद्ध मिट्टी में गंगा जल मिलाकर शिवलिंग बनाया जाता है,मां पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाती हैं।भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाया जाता है,धूप दीपक दिखाया जाता है और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप किया जाता है।मां पार्वती की पूजा करके उन्हें चुनरी चढ़ाकर, मिठाई का भोग लगाते हैं। भगवान शिव और पार्वती की कथा को सुनना और, सुनाना फलदाई होता है।उस दिन सात्विक भोजन किया जाता है, जिसमें केवल फलाहार करना चाहिए।
गीता परिहार
अयोध्या कैन्ट