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अनाथ भाग 5 - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलरउपन्यास

अनाथ भाग 5

  • 330
  • 13 Min Read

नए एस्कॉर्ट ग्रुप का गठन हो गया था । ऑक्सीटोसिन को अब पाउडर का रूप दे दिया गया ताकि नए ग्रुप में आने वाले अनाथ बच्चो को वो पाउडर खाने में और दूध में मिलाकर दिया जाए।

ऑक्सीटोसिन एक ऐसी दवा है जिसके गलत इस्तेमाल अवैध ड्रग के रूप में किया जाता है। बच्चों को यह दवाई देकर उनकी असमय उम्र बढ़ाने और उनके द्वारा इस व्यापार को आगे चलाने के इरादे से इस एस्कॉर्ट ग्रुप को बनाया गया।

देर रात पार्टी ख़त्म होने के बाद और सब के चले जाने के बाद अनिल,धीरज के पास रूक जाता है ,वह राज को नया हेड बनाने के बारे में चर्चा करते हैं।

" वैसे तुम राज की जगह मुझे भी तो हेड बना सकते थे, और राज तो यह काम छोड़ना चाहता है तो उस पर इतना मेहरबान होने की क्या जरूरत?"

"मैं मेहरबान नहीं हूं ,मैंने बस उसे ऑक्जिट ग्रुप हेड बनाया है जल्द ही इस ग्रुप का अस्तित्व भी मिट जायेगा और राज़ भी।"

अनिल यह बात सुनकर दिलचस्पी दिखाता है,धीरज के नशे में होने की वजह से अनिल उससे ओर सवाल पूछता है,

" क्या मतलब है तुम्हारा , राज से कैसी दुश्मनी ?"

" दुश्मनी नहीं भविष्यवाणी? राज पूरे नशे में रहता है
.. एक…. एक पांच साल के बच्चे ने कहा कि वो मेरी जान ले लेगा और मैंने उसकी बात को मान लिया ,पता नहीं क्यूं मुझे ऐसा लगता है मुझे बेवकूफ बनाया जा रहा है राज तो मासूम है तो वो कैसे मुझे मार सकता है?"

" तू कब ज्योतिषी के चक्कर में आ गया,और पांच साल का कौन सा ज्योतिषी पैदा हो गया ?"

" नहीं । उसके बारे में कुछ ना कहो , वो बहुत ताकतवर बच्चा है ।"

" तुम भी किन किन की बातो में आ रहे हो , अगर तुम्हे वो ग्रुप मिटाना है तो मिटा दो ओर राज को भी हटा दो।"

" हां क्यूं नहीं "

धीरज नशे में बिल्कुल अपने होश खो देता है अनिल उसे संभालता हैं और उसके कमरे तक छोड़ कर वहीं सुबह तक रूक जाता है ।

उसी रात राज पार्टी के बाद अपने घर के रास्ते पर जाते हुए थोड़े थोड़े नशे में रहता है, सुनसान रास्ते पर उसे अपने कदमों के अलावा किसी और की चहल कदमी सुनाई देती है। वह इधर उधर देखता है,पीछे से कदमों की आहट बढ़ती जाती है। वह मुड़ता है तो एक आदमी लगातार उसकी तरफ बढ़ता जाता है। वो उसे दूर से ही चेतावनी देता है पर वो शख्स उसके करीब आता है।

"क्या तुम ही राज हो ? "

" तुम कौन हो? आधी रात को मेरा पीछा क्यूं कर रहे हो?"

" भयभीत ना हो। तुम मुझे अपना दोस्त समझो और दुश्मन भी"

" मैं तुम्हारा दोस्त कैसे हो सकता हूं , मैं तो तुम्हे जानता भी नहीं?"

" जान पहचान कोई मायने नहीं रखती बस मतलब होना चाहिए"

"देखो मेरे साथ आजकल बहुत कुछ अजीब हो रहा है ,तुम मुझे और उलझाओ मत।"

" मैं तुम्हारी उलझन मिटाने आया हूं
ठीक है… शायद तब पहचान पाओ जब में तुम्हे अपना नाम बताऊं"

"देखो मैंने थोड़ी पी ली है मुझे कुछ याद नहीं रहेगा ,तो मुझे तुम इस कागज पर लिखके दे दो"

" इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी ,मेरा नाम शशि है और मैं जानता हूं कि तुमने ही आमिर को मारा है।"

जारी है.....

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दादी की परी
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