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बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितागजल

बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता

  • 166
  • 3 Min Read

बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता।
यहां अब और देर रहा नहीं जाता।

उठती है आवाज़ें, दबती है नफ़्स,
इस हवा में पल भर जिया नहीं जाता।

आज कुछ नहीं मगर उम्मीदें साथ है,
इतना भी ज़फा खुदा सहा नहीं जाता।

एक दौर जो गुज़र गया मगर ज़िंदा है,
वक्त के निशां कोई मिटा नहीं जाता।

बेसब्र है निगाहें किसी मंज़र को
और ज़माना है कि भुला नहीं जाता।

हिसाब नहीं है यहां किसी लफ्ज़ का,
दो बातें भी ज़ाहिर किया नहीं जाता।

चलो, यहां से कहीं दूर, कुछ कदम 'मनी'
ता-अज्जुब पर यही कि चला नहीं जाता।

© शिवम राव मणि

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया सर

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