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अनाथ भाग-2 - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलरउपन्यास

अनाथ भाग-2

  • 413
  • 18 Min Read

राज़ पैकेट लेकर अपने घर आ जाता है। वो घबराया हुआ आंगन में बैठता है और उस बच्ची के बारें में सोचना शुरू कर देता है। राज़ की वाईफ कल्याणी उसके पास आती है और पानी थमाकर परेशान होने की वजह पूछती है। पहले तो राज़ कुछ नही बोलता पर बहूत दिन तक चिंतित रहने के बाद और मन में फैले गुब्बार के कारण बोल पड़ता है।
‘ क्या मैं सही कर रहा हूँ’
‘ मतलब ऐसा कौन सा काम कर रहे हो’
‘ राज़ उठता है और अंदर से बेग में रखी हुई गन को निकाल सामने रख देता है। कल्याणि देखती है और थोड़ा रुक जाती है। उसे सब कुछ पता था।
‘ मुझे अक्सर एक आवज़ सुनाई देती है। जब भी किसी को मारने जाता हूँ तो हाथ कांपने लगते हैं’
‘ तो फिर तुम ये काम क्यों कर रहे हो?’
‘ नही धीरज को मेरी जरूरत है। मुझे जाना होगा, वो पैकेट कहां है?’
राज़ पैकेट उठाता है और चला जाता है।

पुलिस को उस गैंग के बारे में सब पता रहता है, लेकिन फिर भी वो चुप रहती है। पर इंस्पेक्टर शशि बिल्कुल अलग। वो सवाल कर बैठता है
‘ सर अगर हमे सब मालूम है तो उन्हें पकड़ क्यों नही लेते?’
सब उसकी और देखते हैं और व्यंग करते हुए हसने लगते हैं। पर शशि चुप रहने वालों में से कहाँ, वो बोल पड़ता है
‘ मुझे सब मालूम है कि आप सब और बड़े अधिकारी उनके धंधे में शामिल हो, और यह भी कि कौन कौन उनसे कितने oxitocin लेता है’
‘ उससे क्या फर्क पड़ता है। देखो अभी तुम नए हो, तुम्हे एक बात समझ लेनी चाहिए कि कोई अपराध तब तक अपराध नही होता जब तक कि कानून को पता न चले, मेरे और तुम्हारे जानने से क्या। मगर क्या करें कानून तो ….'

शशि नाराज़गी दिखाता है और वहां से चला जाता है।

राज़ , धीरज के पास पहुंचता है और वो पैकेट दे देता है।
‘ हमे तो सिर्फ यह पैकेट चाहिए था तो फिर उसको मारने की क्या जरूरत थी।’
‘राज़! तुम्हे अब तक मेरे साथ रहते ये बात तो समझ आ ही गयी होगी की मेरे साथ गद्दारी बिल्कुल भी ठीक नही, उसकी अब मुझे कोई जरूरत नही थी। उसने मेरे साथ धोखा किया।’
‘ कैसा धोखा?’
‘ तुम्हे जल्द ही पता चल जाएगा’[ हंसते हुए]

राज़ डरा हुआ रहता है। वो यह काम छोड़ना तो चाहता है लेकिन वह धीरज को कहने में भी डरता है। वह पैकेट की ओर उत्सुकता दिखाते हुए पूछता है
‘ उस पैकेट में ऐसा क्या है?’
‘ क्या तुम्हे जानना है?'
‘ हां जानना है।’

धीरज पैकेट को उठाता है और सामने रखकर खोलने के लिए कहता है। राज़ उसे खोलता है तो उसमे से हाथ से बनाई हुई तस्वीर और एक चाबी मिलती है।
‘ यह तस्वीर और चाबी किसकी है और ये किसने भिजवाई?’
‘ मैं तुम्हे अभी सब नही बता सकता। मुझे अभी कहीं जाना है और ये तुम्हारे लिए है।’

धीरज पैकेट में से तह किये हुए कागज़ को निकालता है और राज़ को थमा देता है। राज़ बिना कुछ कहे कागज़ को अपने जेब में रख वहां से चला जाता है।
कुछ देर बाद धीरज एक घर मे जाता है जहां वो एक बच्चे से मिलता है।

‘ तो वो तुम हो, तुम्हारा दिया हुआ तोहफा मिला। तुम्हारे बारे में बहुत सुना है मेने कि तुम्हारे अंदर सुपर नेचुरल ताकत है, क्या यह सच है?’
‘ मेरा किसी भी इंसान के ऊपर कोई अधिकार नही। अगर तुम्हे कोई शक हो तो यहां से जा सकते हो।’
‘ नही नही इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है। वेसे तुम्हारी उम्र 4 या 5 साल होगी , हैं ना?’
‘ हां’
‘ ओह, ये बहुत अजीब है तुम तो अभी बच्चे हो। चलो छोड़ो मुझे क्यों बुलाया है?’
‘ तुम्हारी जान को खतरा है’

धीरज उसे एकटक देखता है और फिर हंस पड़ता है
‘ अच्छा तो क्या तुम मुझे बचाना चाहते हो?’
‘नही, ऐसा होना निश्चित है’
‘ पर किसलिए और कौन मारेगा मुझे?’
‘ वही शख्स जिसका मन मेरे मन से जुड़ा है। मैं उससे बात कर सकता हूँ लेकिन उसे अभी तक समझ नही आया।’
‘ कौन है वो?’
‘ तुम्हारा खास, राज़’
क्या! पर क्यों?’
‘ इन सब की वजह उसका परिवार है’
कौन सा परिवार? बस उसकी तो एक पत्नी है ‘
‘ क्या बात है तुम तो समझदार हो।’

वह इतना कहता है और वहां से धीरज जाने के लिये कहता है। धीरज बिलकुल स्तब्ध रह जाता है। घर के नोकर उसे बाहर जाने के लिए कहते है
‘ अच्छा 1 मिनट क्या मैं तुम्हारा असली नाम जान सकता हूँ, अगर तुम बताना चाहो तो’
‘ गायत्री’


शिवम राव मणि

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SHAKTI RAO MANI

SHAKTI RAO MANI 2 years ago

gjb

शिवम राव मणि2 years ago

शुक्रिया

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर.. रहस्यमय.!

शिवम राव मणि2 years ago

शुक्रिया

दादी की परी
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