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थमी-थमी सी जिंदगी - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

थमी-थमी सी जिंदगी

  • 177
  • 2 Min Read

थमी-थमी सी ज़िन्दगी में
सब कुछ थम जाता है
चाहे वो दरिया हो,
वो भी ठहर जाता है
सांसें धड़कनों के साथ होकर भी, थम जाती है
धड़कने खूब धड़क कर भी,
अनजान रह जाती है
आंखें सब कुछ देखती हुई जमी रहती है
ज़ुबां से एक लफ़्ज़ नहीं निकलता
लेकिन अन्दर ही अन्दर आंधी चलती है
मन, कही बातों के मारे
ख़्यालों में भटक जाता है
और फिर चुपके से एक अवसाद का भंवरा
.
.
..
ज़हन में बस जाता है।

शिवम राव मणि

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Bnl Das

Bnl Das 3 years ago

बहुत ही बढियां कविता की सृजन हुई है।

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

सकारात्मक

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब सुबह की सुरुआत एक पॉजिटिव रचना के साथ होना वाकई अच्छा है।

शिवम राव मणि3 years ago

जी बिल्कुल

प्रपोजल
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माँ
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वो चांद आज आना
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तन्हाई
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