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महाशिवरात्रि - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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महाशिवरात्रि

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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।यह भगवान शिव का पर्व है जिसे फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ,अग्निलिंग जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में 12 शिवरात्रि में महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है|

समुद्र मंथन के उपरांत अमृत और हलाहल विष निकले। हलाहल विष ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था। केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। इसलिए भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कंठ में उतार लिया।विषय इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव को असहय वेदना हुई, उनका कंठ नीला हो गया। इस कारण से भगवान शिव 'नीलकंठ' के नाम से जाने गए। उपचार के लिए, चिकित्सकों ने देवताओं को भगवान शिव को रात भर जागते रहने की सलाह दी। सतर्कता के लिए देवों ने साथ बजाए।उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने सभी को आशीर्वाद दिया।शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया। तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है और रात्रि जागरण करते हैं।

इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्‍धाभिषेक : दूध से। बहुत सुबह भगवान शिव के मंदिरों पर भक्तों का ताँता लग जाता है।
वे सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान कर,स्वच्छ वस्त्र पहनकर
शिवलिंग स्नान कराते हैं। शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करने के बाद उस पर पानी या दूध डालते हैं।सिंदूर,धूप, धन,पान के पत्ते,तुलसी के पत्ते,हल्दी,बेल,चंपा और केतकी के फूल से अभिषेक कर, दीपक प्रज्वलित करते हैं।

गीता परिहार
अयोध्या

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