Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Sahitya Arpan - Rashmi Sharma

कवितालयबद्ध कविता

नव - प्राण हुआ

  • Edited 2 years ago
Read Now
  • 167
  • 5 Mins Read

जब-जब छाया घोर अंधेरा,
नव रवि का आह्वान हुआ।
युद्धभूमि में गौरव लेकर,
तिमिर चीर नव - प्राण हुआ।। 1
जगत मिला फिर से आलंबन,
सुधा के घूंट घट भर लाए।
विष का क्षार विक्षार भये तब,
कलुषित पल हर हर जाये।। 2
ये
Read More

नव - प्राण हुआ,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image

कवितालयबद्ध कविता

बुद्ध प्रबुद्ध का ध्यान धरें।

  • Edited 2 years ago
Read Now
  • 213
  • 3 Mins Read

आओ तज कर विकृत मन को
बोध करे अंतर्मन का
बुद्ध को धारण कर लें, हो कर
कुछ प्रबुद्ध , छोड़ें जड़ता
पाप पुण्य का लेखा जोखा
काम है उपर वाले का
अंतर्दीप जलाकर देखो
दमक उठे मन का मनका
जब यह पावन जन्म मिला
Read More

बुद्ध प्रबुद्ध का ध्यान धरें। ,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image

कवितालयबद्ध कविता

फूल सदा मुस्काता है।

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 114
  • 6 Mins Read

ओ पथिक सुनो! जरा ठहरो ,
कुछ क्षण बैठो पास मेरे
किंचित् जो कुछ मै कहती हूँ
उसपर हैं अधिकार तेरे

हम अपनी खुश्बू फैलाते
बच्चे, बूढ़े खुश हो जाते
भ्रमरों के हम सच्चे साथी
कर रस - पान सुयश गुण गाते
सबमें
Read More

फूल सदा मुस्काता है।,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image

कविताबाल कविता

माँ की रोटी

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 121
  • 2 Mins Read

माँ की रोटी मोटी मोटी
कितनी मीठी कितनी सोंधी
देखकर इसको जी ललचाए
घरवालों के मन को भाये
पूछूं इसको कैसे बनाती ?
इसमें ऐसा क्या हो मिलाती?
अच्छा !! समझी तेरी माया
इसमें अपना प्यार मिलाया
थाली में
Read More

माँ की रोटी,<span>बाल कविता</span>
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

waah bahut khub

Rashmi Sharma3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता

मेरे मनवा अब मत रोओ

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 190
  • 4 Mins Read

मेरे मनवा अब मत रोओ

सुख की बारिश में भिंगोगे
दुख के अब काँटे ना बोओ
मेरे मनवा अब मत रोओ

बीत रही जो रीत रही है
सदियों के दिग्दर्शन से
है आदर्श सामने तेरे
समय के निज अन्तर्मन से
जब काँटों की सेज मिली
Read More

मेरे मनवा अब मत रोओ ,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

waah bahut khoob 👌🏻

Rashmi Sharma3 years ago

धन्यवाद नेहा जी

लेखसमीक्षा

बूढ़ी काकी

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 700
  • 15 Mins Read

पुस्तक का नाम - बूढ़ी काकी
पुस्तक के लेखक - मुंशी प्रेमचंद्र
भाषा - हिन्दी
प्रकाशन - हिन्द पाकेट बुक प्रा. लि ,शाहदरा दिल्ली
पुस्तक की कीमत - ₹ 30
पाठक व समीक्षक - रश्मि शर्मा

वैसे तो मुंशी
Read More

बूढ़ी काकी,<span>समीक्षा</span>
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत ही सुंदर समीक्षा लिखी है आपने वाकई यह पुस्तक पढ़ने योग्य है।

Rashmi Sharma3 years ago

धन्यवाद 🙏🙏

कवितालयबद्ध कविता

ग़म ना कर

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 145
  • 5 Mins Read

ऐ दिल तू ग़म ना कर , हिम्मत का दामन थाम ले
ऐसा नही कुछ भी जगत में,जो अमर हो ,पहचान ले
हर रात काली कोख में ,धारण किये नव शिशु प्रभात
हर भोर में है अघोर की छाया, तनिक संज्ञान ले
हो भ्रमित तू कर्म पथ से ,वास्ता
Read More

ग़म ना कर,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Rashmi Sharma3 years ago

बहुत शुक्रिया

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

Rashmi Sharma3 years ago

बहुत बहुत धन्यावाद 🙏🙏

लयबद्ध कविता

माँ तुम्ही संसार हो

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 114
  • 4 Mins Read

माँ तुम्ही संसार हो

तुम ह्रदयपट पर छपी ,भावना उद्गार हो
हो समुंदर नयन में ,तुम सृष्टि का आधार हो
एक होकर भी ,आनेको छवि तुम्हारी दिव्यता
हर अनेकों की अनुपम ,एक सूत्रधार हो
मां तुम्ही संसार हो, मां
Read More

माँ तुम्ही संसार हो,<span>लयबद्ध कविता</span>
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह बहुत खूब आदरणीया यहां अपनी नही रचना से सम्बंधित तस्वीर लगा दीजिये।

Rashmi Sharma3 years ago

ठीक है मैम