No Info Added By Writer Yet
#Followers 0
#Posts 8
#Likes 6
#Comments 7
#Views 1764
#Competition Participated 4
#Competition Won 0
Writer Points 8915
#Posts Read 152
#Posts Liked 19
#Comments Added 13
#Following 0
Reader Points 985
Section | Genre | Rank |
---|---|---|
लेख | समीक्षा | 4th |
London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
जब-जब छाया घोर अंधेरा,
नव रवि का आह्वान हुआ।
युद्धभूमि में गौरव लेकर,
तिमिर चीर नव - प्राण हुआ।। 1
जगत मिला फिर से आलंबन,
सुधा के घूंट घट भर लाए।
विष का क्षार विक्षार भये तब,
कलुषित पल हर हर जाये।। 2
ये
Read More
कवितालयबद्ध कविता
आओ तज कर विकृत मन को
बोध करे अंतर्मन का
बुद्ध को धारण कर लें, हो कर
कुछ प्रबुद्ध , छोड़ें जड़ता
पाप पुण्य का लेखा जोखा
काम है उपर वाले का
अंतर्दीप जलाकर देखो
दमक उठे मन का मनका
जब यह पावन जन्म मिला
Read More
कवितालयबद्ध कविता
ओ पथिक सुनो! जरा ठहरो ,
कुछ क्षण बैठो पास मेरे
किंचित् जो कुछ मै कहती हूँ
उसपर हैं अधिकार तेरे
हम अपनी खुश्बू फैलाते
बच्चे, बूढ़े खुश हो जाते
भ्रमरों के हम सच्चे साथी
कर रस - पान सुयश गुण गाते
सबमें
Read More
कविताबाल कविता
माँ की रोटी मोटी मोटी
कितनी मीठी कितनी सोंधी
देखकर इसको जी ललचाए
घरवालों के मन को भाये
पूछूं इसको कैसे बनाती ?
इसमें ऐसा क्या हो मिलाती?
अच्छा !! समझी तेरी माया
इसमें अपना प्यार मिलाया
थाली में
Read More
कवितालयबद्ध कविता
मेरे मनवा अब मत रोओ
सुख की बारिश में भिंगोगे
दुख के अब काँटे ना बोओ
मेरे मनवा अब मत रोओ
बीत रही जो रीत रही है
सदियों के दिग्दर्शन से
है आदर्श सामने तेरे
समय के निज अन्तर्मन से
जब काँटों की सेज मिली
Read More
लेखसमीक्षा
पुस्तक का नाम - बूढ़ी काकी
पुस्तक के लेखक - मुंशी प्रेमचंद्र
भाषा - हिन्दी
प्रकाशन - हिन्द पाकेट बुक प्रा. लि ,शाहदरा दिल्ली
पुस्तक की कीमत - ₹ 30
पाठक व समीक्षक - रश्मि शर्मा
वैसे तो मुंशी
Read More
बहुत ही सुंदर समीक्षा लिखी है आपने वाकई यह पुस्तक पढ़ने योग्य है।
धन्यवाद 🙏🙏
लयबद्ध कविता
माँ तुम्ही संसार हो
तुम ह्रदयपट पर छपी ,भावना उद्गार हो
हो समुंदर नयन में ,तुम सृष्टि का आधार हो
एक होकर भी ,आनेको छवि तुम्हारी दिव्यता
हर अनेकों की अनुपम ,एक सूत्रधार हो
मां तुम्ही संसार हो, मां
Read More
वाह बहुत खूब आदरणीया यहां अपनी नही रचना से सम्बंधित तस्वीर लगा दीजिये।
ठीक है मैम