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"कर"
कविता
हाँ वही इश्क करना है मुझे
सूरज
तुम कह कर तो देखते
भींगे-भींगे बारिश वाले प्यार
"इश्क वाला लव"
मां ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है ।
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
पिता
तन्हाई
करवा चौथ पर पति की व्यथा
अपने सपने
मैं आज भी वहीं खड़ा हूँ।
प्यार
अहम
कविता-ख़्वाब देखा करो
गिरकर ही संभलता है इंसान
यथार्थ रूप
जीवन के रंग अनेक
"तेरे महलों को छूकर आती धूप"
छुप कर वार न कर
क्या कर रहे हो तुम?
मैं तुमसे प्यार नही करता
ठुकराई गई
माँ आपकी पहली रोटी कैसी थी
जब कलम चलती है
असंभव कार्य संभव करती हैं बेटियाँ
मैंने पूछा चाँद से
क्या खोया क्या पाया
पाप और पुण्य
जिंदगी
हाँ, वो प्यार करती है
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
झरोखे से
गुरु के नाम
शमा तू फिर भी जल
प्रेम विश्वास के बिना
एक हसरत दिल की
बारिश की बूंदें
मैं और वह
वक्त करवटें बदलता है
दिले अहसास हमारे
मातृ-पिता ही प्रथम गुरु
यूँ हाथ थामकर हर पल का
सूरज का यह सुनहरा खत
बस मुझेअच्छा लगता है
नोंक झोंक
दिल से दोस्ती तक
जोगन की यात्रा
मौला.....! तू करम करना
सवाल करेंगे
"जीवन की सीख"
मेरे मन मे डर नाम का शैतान
काश ! मुड़कर देख लेते
मत करो जीवन नष्ट ये अद्भुत वरदान है
सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
भारतीय मीडिया
जीवन अपना है...
हाल ए दिल
यह धड़कन
मैं सिमटकर रहूंगा कब तक
जोगन की यात्रा
#एतबार कर लिया होता
"अपना सा"
कौन बनेगा करोड़पति
मन की वे खेल खिलौने
तेरी आँखें
करुण अन्त
हम पास तो हैं पर साथ नहीं
आशिकी मत करना
ये फूफा भी कमाल करते है
जुगुनू
सड़क का दर्द
एक अदद जिंदगी
प्रेम
मुझे हारकर जीत जाने दो
राजा-रंक सभी फल ढ़ोते
#नवरात्रि
पत्ते डाली से
बँटे आज हम जाने क्यूँ
जिन्दगी की राह
हूँँ मैं नारी
क्यों न मिलकर सुख दुःख बाटें
अच्छा होगा संवाद करो
देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
मनवा रे
मेरे जीवन की चाह
मां (प्रार्थना)
मैं आश्चर्य करता हूँ
जनप्रतिनिधि इंसान करो
जोगन की यात्रा
कान्हा संग प्रेम
शरारत
तुम भी कर सकते हो
बिखरते चंद्रबिंदु
मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी
करवाचौथ
करवाचौथ
करवाचौथ
करवा चौथ
गुड़िया की चाह
मिलकर देश उठाओ ना
इन सबका रंग लाल है
कफ़न में लिपटकर आना है
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
आओ मिल कर दीप जलाएँ
करवाचौथ
घर
मणिकर्णिका
झूठ देख इंकार न कर
मन रे क्यों
डर रहा हूं मैं
वक्त से तकरार
वापसी
गुड़िया की चाह
लौह पुरुष
जिंदगी ऐसे ही चलती है
मन रे क्यों
आज भी पीछा करती हैं
आखिर मेरा क्या कसूर था
शायद दूर तक सफर कर रहा हूं
प्रतिक्षा
राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे
#अलविदा 2020
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
सब कुछ पाकर भी....
आहट साजन की
जो अपने है उनको पराया ना कर
कर्म करो
मकरसंक्रांति/लोहड़ी
ग़ज़ल
#इकरार
# इकरार
इकरार
इकरार
मेरा इकरारनामा
इकरार
दो अजनबी
आँसू, खून, पसीना
नारी को प्रणाम है
तुझसे प्यार करने लगी हूँ मै
जब कोई बात दिल में घर कर जाती है
ऐसा हिंदुस्तान कर दे.....
एक दीया शहीदों के नाम
माँ/ बेटी
ना कर इतना गुमां अपनी कलम पर ऐ शायर
नस नस से गुजरती संवेदनाएँ
हे माँ तू मेरी जन्नत है,
रो पड़ता हूं ये सोच-सोच...
बसंती छोले
बसंती चोले
काश तुम Hug कर पाते"
वैलेंटाइन याद रह गया उनको याद करेगा कौन
बलिदान (तांका)
बसंती चोले
परिचय
संवेदनाएं जागृत कर...
तेरी आंखों के पैमाने
शिकार
एक करवट की दूरी
अन्तर्मन की पुकार
मेरी तमन्नाओं का
बरसात में तेरा दीदार
मुस्कुरा कर वह कह के चले गए।।
विरहिन
कशिश
कशिश
मेरा गांव मेरा आंगन
दुष्कर ही श्रेयस्कर
अंधेरे का आकर्षण
रात की दीवार
आवाहन करती है ये वसुंधरा
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दूर ना जाना
येदिलकर रहा है तुम से ही बातें
पेड़ बनकर नहीं तलवार बनकर
शादी एक व्यापार
करुण अन्त
काजल
वक्त की तलवार की धार
प्रतिक्षा
एक दीया शहीदों के नाम करते हैं।
इज़हार-ए-मोहब्बत
दीवानगी
मोहब्बत करते रहो
सजदा...
खेल खेल में
माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।
एक अविकसित सा फूल
प्रेम की गाड़ी चल पड़ी
यूँ हाथ थामकर हर पल का
प्रेम की गाड़ी चल पड़ी
गीत
सूरज
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
सड़क का दर्द
सूखते हुए दो पत्ते हम
ज़िन्दगी के रंग
पश्चाताप
मैं आसमान तक जाकर
कतरा-कतरा, बूँद-बूँद
दीदार
आऊँ भरूँ तुझे अंक में
आ भरूँ तुझे अंक में
नववर्ष
शक्तियों की प्रतीक देवियाँ
कर लो विनती मेरी अब स्वीकार मेरी माँ "
चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा
आपदा में अवसर
सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
चमक चाँदनी।
धरती कहे पुकार के
ग़म ना कर
मिलकर भगायेंगे कोरोनावायरस
प्रार्थना
फूल सदा मुस्काता है।
प्रार्थना
प्रार्थना
घर
कह मुकरी-गर्मी
कभी नही मरुँगी। मैं
कभी नही मरूँगी मैं
क्या धरती बस इंसान की है ?
तन्हा मैं नही
बँटे आज हम जाने क्यूँ
एक कड़वे सच के आईने में
फिर मन करता है
ऐ सूरजमुखी के फूल
जो कुछ नहीं करते बहुत कुछ करते हैं
घर किसी का तोड़कर
अब तो मेघ करो बौछार।
अभिव्यक्ति भावों की
उसकी बाजी उसके मोहरे
#तेरे मेरे सपने(प्रतियोगिता हेतु)
# तेरे मेरे सपने (प्रतियोगिता)
बददुआ
मेरे घर की खिड़की से
प्रेम करना
यूँ तकरार बनी मनुहार
पिता पर वर्ण पिरामिड
" हुनर" 💐💐
उसका होना
पंछी निराले रंगीले।
छोटे-छोटे कायनात कई
क्या कहती अल्फाबेट
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
परछाईयाँ अगर बोल सकती
सड़क का दर्द
सिले होंठ
मेरे घर आना जिंदगी
अखण्ड भारत का संकल्प
✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है।।
राधा की पायल बोल उठी
मैंने पूछा चाँद से
सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय
समर्पिता
तितली और भवरा
देखो घड़ी क्या बोल रही...
" हे संतति तुम्हे प्रणाम " 💐💐
प्रेम मधुरसम मस्ती है
आकर्षण
तमन्नाए...
ख्वाइश-ए-जिंदगी
हे सहचरी क्षमा करना
ठोकर से ठाकुर
मेरे घर में माँ आयी है
" ऋतु-प्रभाव " 💐💐
चाँद का टुकड़ा
*प्यार अपने आप से कर.....*
सार्थक करे ये दीपावली
मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति
मेरी प्यारी मां
तुम हमसे मिलें ऐसे
क्या करूँ, बीच में नेहरू आ गया
गणेश के स्वरूप
एक दौर था जब मां जिंदा थी
आँखें
थोड़ी दूर तो साथ चलों
विरुपाक्ष
क्योंकि मैं खास हूं
शबनमी प्रकृति
शुभ कर्मों में देरी क्यूँ
नज़दीक होकर भी
मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
मेरे घर आना जिंदगी
जीवन
वसंत
जिदंगी, मुझको तुझसे प्यार है
तुम्हारी सादगी
शिवाजी
हे माँं करुणामयी शारदा
बालक का हठ
चौका
मैं क्या लिख रहा हूं
यादों का कहर
मेरी उल्फ़त, मेरी चाहत
क्षुधा प्यास
करवा चौथ
इन्तजार
धारणा
वो दिन याद करो
ऐसी रित जगत में
ऐसी रित जगत में
पुस्तक समीक्षा
क्या कर रही हूं मैं?
शीशा सच ही बोलेगा
वक़्त से बशर बना कर चल
प्यास दरिया की बुझती है समंदर में आकर
घर की बात बशर रखा कर घर मेंअपने
मतलब की बातें करते हैं
हद-ए-बर्दाश्त का बांध टूट कर सैलाब बन सकता है
हद-ए-बर्दाश्त का बांध टूट कर सैलाब बन सकता है
कम बोला कर
तन्हा होकर रह गई जिंदगी
ख़त्म करो बशर येह तलाश अपनी गैरों की हयात में
दश्त हरा पानी छू-कर होता है
कृपा करें श्रीराम
सब्र कर
जीकर तो देख आज अपना
सुकूँ से बशर हम सैर करें
मुफलिसी ने बेनक़ाब कर रखा है
दोज़ख भी तिरा क़ुबूल अता फ़रमाकर देख
बशर ज़ेरे-ए-असर आकर दामने-कोह के सहन में बस गया
सुब्ह का इतजार करके देख
ख़ामोश रहकर बशर वो अश्आर हज़ार कह देते हैं
इन्सानियत के लिए फ़रियाद करें
हिज्र-ओ-फ़ुर्क़त में हबीब के कभी बसर करने का इरादा भी नहीं है
अपने आज की हिफ़ाज़त कर
किसका बशर इंतज़ार करें
क्यूं करे कोई नफ़रत उनसे
आजमाइश
गुजारिश की बरसात की आसमान देखकर
किसी सयाने को ना इश्क़ करना आया
अमन का रास्ता बातचीत के द्वार से होकर गुजरता है
आगाज़े-सफ़र कर रहा है तू
छुपाकर अपने ग़म रखिए
औलाद की ख़ातिर सबकुछ कर जाता है आदमी
अबतो जीना शुरू कर बशर
हवाले किसी के ना अपनी औक़ात कर
जी भरकर ख़्वाब देखो आपही की रात है
गैरों से दोस्ताना अहबाब से रक़ाबत रखते हैं
किरदार इन्सान का ज़ीस्त में असली सरमाया होता है
मैं सब कुछ था तेरा, मेहंदी महावर हो नहीं पाया
आज वतन की शान में करते थकते नहीं गुणगान
मुकम्मल कभी सपने नहीं होते
मुकम्मल कर सफ़र बशर हम आते हैं
अहबाब फ़िक्र-ए-मुसबत वाले क़िस्मत से मिला करते है
चांद पर बसने की बात करते हैं
आकर देख कभी क़रीब मेरे
करने लगे मन-पूरे लोग
हमें न बताकर आए
सुकून थोड़ातो अपने लिएभी बचाकर रख बशर
कितने खुदाओं पे यक़ीन करें
आकलन करने को चाहिए सही तंत्र
आरजू दिल की बशर कह कर बयाँ की नहीं जती
बीते हुए वोह जमाने ढूंढ़ कर कहाँ से लाऊँ
हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है
खुद अपना तमाशा मत कर
कर्मों के बल पर बदल गए
प्रेम लाइन
*पीठ पर वार नहीं करते*
करते नहीं हैं याद हमको हबीब हमारे
फ़न छुपकर नहीं रहता
संवेदना
नामुराद इक दूसरे पे इल्ज़ाम लगाते रह गए
अपने ही घर में थे
*खुद का चश्मा लगाकर देखा*
करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह
*अनसुनी करी नफ़्ज-ए-क़ल्ब हमने*
गुरु वंदना
क़ुदरत ने करिश्माई ताक़त बख़्शी है
सांप सूंघ जाया करते हैं
परिवार
*भरोसा करो*
विष बो रहे समाज में सरेआम
"प्रेम गाथा"
करवाचौथ का चांद
*पीने आ जाया करो*
*तलब ना कर*
याद करे
तबीब करने लगे शिफ़ा वबा से
चलो अदला-बदली करते हैं किरदारों की
*रक़ीब क्या करेगा*
उजालों के भी अदब हुआ करते हैं
रौशनाई के भी अपने उसूल ओ अदब हुआ करते हैं
जीवन से तम को दूर करो
बचपन का घर
ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें
*दिल को पहलू में संभाल कर रखा करो*
*मुसाफ़िर बनकर रहना है*
*मुस्कुराए हुए ज़माना हुआ*
*अहसासे-फुर्क़त हुआ हदे- हयात से निकलकर*
*मुड़कर भी नहीं देख*
"शादी"
महताब देख
अपनों का हर मुमकिन ए'तिमाद करें एहतराम करें
तन्हाई
तनहाई
ज़मीन से उठकर मिट्टी कहाँतक जाएगी
क्या हुआ हासिल अमीर होकर
आंखें कराती हैं पहचान
चलते बने लोग बशर खाक डाल कर कब्र पर
तुझपे कितना एतबार करूं
बचकर रहने का तरीक़ा है
मन भरकर बशर बात हुई
रोया मग़र बशर गोया आकर दिसम्बर के महीने में
बनाकर किरदारे-दास्ताँ छोड़ दिया
बतियाते रहा करो बशर
जख़्म दिखलाकर तमाशा क्या करना
तवज्जोह किया करो दिलके मकान की
कुरबत मिले तो जीकर देखें
ख़ूबसूरत मुस्तक्बिल
मुर्शिद खड़ा देख कर
वक़्त अपना सफ़र करता है
कफ़न ओढ़कर
हौंसले को समेट कर मेघ बन
गुरेज कर जरा परहेज रख
"अंत"
जख़्म से बात करे जख़्म
हम भी तो देखें दिल उसका अपने सीने में डालकर
मौसमे-बहार को फिर बहाल कर
कोई किसीसे जफ़ा करे ऐसा न खुदा करे
रास्ते सफ़र के बहुत हमने बदल बदल कर देखे
शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर
आगे की राहे-सफ़र
दरबदर होकर घरकी बहुत याद आती है
हुई नहीं नसीब शब-ए-नींद
फिर क्या चले ?
सच और हक़ की सब बात करते हैं
नींद औरों की उड़ाकर
हुदूदे-ग़म हम पार कर आए हैं सारे
आंखें चुराने की ज़रूरत क्या है
दूर ये तकरार हो
मंज़िलें दूर नहीं हो जाया करतीं
अच्छाई ने हमको बुराई से सिला दिया
बदनामी शोर मचाकर आती है
बदनामी बड़ा शोर मचाकर आती है
जिंदगी को देखकर पसीना आया
मेरा संसार मुक़म्मल कर दे
तुमजो चाहोतो फ़ासले और बढा लो
कोशिश जीने की करनी चाहिए
इल्ज़ाम 🔪
सच को साबित हलाल करना
तुमको कभी अनदेखा न करे
खुद केलिए बचाकर अंधेरा रखा
*नज़र-ए-'इनायत उसकी*
दिमाग से पैदल बेबात की बात करता है
मरतीं आ कर साहिल पर
शिद्दत इस क़दर दुआओं ने कर ली
ताकीद परेशान करती है
इबादत करने आना
खुश रहें इन्तज़ार क्यूं करें
बे-सबब तकरार क्यूँ करें
बुजुर्गों का सम्मान
ख़ामोश रहकर
बुज़ुर्गियत फ़जूल मत करना
उम्रे-तमाम इंतज़ार करने को भी हम हैं तैयार
सरक न जाएं रिश्ते हिफ़ाज़त रखा करो
जर्द पत्ते समेटकर आग लगाने को
कविता
बुर्के पर नक़ाब लगाकर आया
छू कर देखूँ क्या आसमान!!
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
नहीं बसर करने के लिए किसीने पूछा
चांद के ख़्वाब न देखा करो
बच्चे अब बड़े हो गए
एक बार बोलकर
आसमानों से बाते करने लगे हैं
मुक़म्मल कर गए
कांटे-कैर ना करो
दुश्मनी सरेआम किया करो
सपनों का महल बनाते हैं
ख़ुशगवार मंज़र देखा करो
अहल-ए-करम देखते हैं
सपने देखा करो
ख़ामोशियों से गुरेज़ कर
जल्दबाजी कभी नहीं करते हुए देखा
दूर खुद से भागता रहा आदमी
जानवर आदमी से प्यार करता है
सफ़र मुक़म्मल कर गया सागरमें समाकर
अपने आप पर ए'तिमाद ओ एहतराम की इब्तिदा करें!
अक्ल आती है ठोकर खाकर
ज़ीस्त है बशर जीकर जाएगी
बीता वक़्त खरीद कर बताए
जी भरकर हमने जिया ही नहीं
महरूम कर दिया दादू को पोते के दीदार से
नारी तुम कमजोर नहीं
क्या आखीर-ओ-तासीर से भी बचकर निकल सकते हो
सूरत से भी बढ़ कर होता है स्वावलंबन
राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते
कर लो कर्म अभी
वफ़ा करने वाला तन्हा क्यूँ है
बेहतर ख़ामोशी तेरी आज
स्त्री
सफ़र में रहकर
हमने बच्चा बनकर रहना चाहा
मुक़म्मल कहीं कोई सपना
भीतर अपने तलाश कर
जरा भी नहीं मलाल करते हैं
मां - बाप के पास बैठ जाया करो
मुश्क़िलात में लोग कमाल कर गए
दुआसे बढ़कर दवा क्या है
खुदको नाशाद करता है
मरनेपे तुला होतो क्या करें
ना सताया कर 🥹
मतलब निकल जाए तो कदर कौन करता है - sumit arya shayari - शायरी
परिंदे के दिल से कफ़स निकालना है
खुशियों को दरकिनार न कर
क़दम सही उट्ठे इसका ए'तिमाद कर
भुलाये जा रहे हैं
अकेले कैसे जिया जाता है
मुस्कराकर बात कर
अल्फ़ाज ना कर सके बयाँ
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
बसर करने का तरीक़ा दे दे
रंग लगाकर नहीं गया
ज़हर पीना पड़ता है ग़म खाना पड़ता है
जीने केलिए तैयार रहो
उसे कोई सूचित करो
टकरार क्या करना
किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा
जब रखवाला ही जुआरी था
रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला
नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये
ईद भी आकर चली गई
दिल की बस्ती
ऐतिबार कोई एक तोड़कर जाता है
जीना सिखाकर ही दम लेगी
अक्ल-मंद बनकर जियें
दर्द में भी मुस्कराया करो
किरदार हमें हमारे कर्म से मिला है
दौलत से परखने लगे हैं
तू ही चारागर
रिश्तों को बेघर कर जाएं
पलमें सदियां जीकर जाते हैं
किसीके होकर भी देखो
किसी और केलिए रोकर भी देखो
हाथों की लकीर बनाकर रखती है
बीते हुए दिनों का लौटकर आना
दुनियादारी को देख कर
यारों की महफ़िल में आया करो
मुफ़लिस की बस्ती में चलकर दुआ करें
नश्वर सब ये संसार मान कर
खेलकर तीन पत्ती ताश
अब खुदको भी समय कुछ दान करो
हिज़ाब नहीं करते मुलाक़ात करते वक़्त
हबीब मिरे हंसकर तो दिखाना
चर्चे 😍
मझधार में लाकर रख दिया
दिलमें उतरने वालोंको संभालकर रखिए
शब -ए-ग़म बदनाम हो गई है
परिंदा कहीं भी जाए शामको वहीं लौट आएगा
पत्थर जमा करते रहे
मेरा ही साया था
लहरों को पार वो कर गया
ख़राब ना किया करो मिज़ाज मिरा
धुआं 🔥
परेशान कर गया 💔🥀
इन्सान बस खुश रहा करे
समझौता मत करो अपने वक़ार से
ज़रूरतें बदल जाती हैं इन्सान की
जिंदगी हमको जीकर चली गई
मुश्क़िल है घरको घर करना
लाख आवाजें लगाया करना
खुदको धोखा देना आसान है
ज़मीन पर चल कर देखो
किरदार अमर कर जाते हैं
जमाने गुज़र जाते हैं तकरार में
ख़ामुशी ने सब ज़ाहिर कर दिया
लौट कर नहीं आऊंगा
आओ मतदान करें हम।
लहू पसीना बनकर रोमरोम से निकल आता है
उनका क्या करें जो दिल में समाए हैं
फ़क़ीरी तक पीछा करती हैं
शुक्र है सिर्फ़ महसूस करता है
इस जमाने से विदा लेकर ......
रोशन चेहरा तेरा ☺️
कहानी
बेडनी
मुझे सुसाइड नहीं करना था
मायाजाल
"माँ का आँचल"
जूठे बेर
मेरी दादी
मैच्युरिटी
हां मुझे बहुत डर लगता है..
धरती कहे पुकार के
हमारा कर्तव्य
काश!रावण जिंदा होता
मैं हूँ ना,,,,लंबी कहानी
पति परमेश्वर
हर बात में राजी
मैं हूँ ना
अपराजिता
चिंता मत करो
प्यार से बढ़कर कुछ नहीं
चिंता मत करो
चाय के बहाने
जीत
वह त्योहार
" वो नीला स्वेटर "
" वो तिराहा "
ख़ुद ही बिछ जाता है
गुलमोहर
अब मायके नहीं जाऊँगी
बेचारी बिल्ली
मास्क वाली रजिया दर्जी
औरत बनकर मन भर गया
#इकरार शीर्षक : अपने अपने दायरे
पवित्र बन्धन
जुन्हाई
"झूठ का दर्द"
जैसी करनी वैसी भरनी
समाज के दिखावटी मुखौटे
अर्धांगिनी
मुस्करातें खिलौने
कर्ण का दर्द
Indian हर जगह rock करते हैं।
मैं हूँ ना
वह खत....!!
अविष्कार
बूढ़ी अम्मा
पहले गुस्सा फिर प्यार
मिनी
सिटी
फर्ज
#गो करोना गो
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐💐
हर बात में राजी
काश बुद्ध सा कुछ करता
एक और नवप्रभात
" हिम्मत"💐💐
अलबेली
लालसा 💐💐
"खोया हुआ आदमी "
" प्रवासी बहु " 💐💐
लगे सनिमा में काम करे
करामाती नुस्खा
काश बुद्ध से कुछ करके जाट
मिमी को मिली मोहलत
" करवाचौथ " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग २१ ) साप्ताहिक धारावाहिक
काश बुद्ध सा कुछ कर जाता
डर के आगे जीत है
"छठ पर्व विशेष " 💐💐
" अभिनेत्री "💐👌🏼
"मिनी की रुमानी दुनिया " 💐😁
सत्य बना यूँ शरणागत
" गुलाबी -स्कूटी " 🍁🍁
कर्ण और दुर्योधन
"वह मुझको छोड़ गया मां" 🌺🌺
एकलव्य:महाभारत का महाउपेक्षित महायोद्धा
करवा-चौथ
लेख
हौसला हो यदि बुलंद तो मुश्किल नहीं करेगी तंग
#Stage of life and #experiences
किसी का कभी ना दिल दुखाउँ
झूठ बोले, कौआ काटे ?
याद करने का हुनर सीख लिया
जल्दी का काम शैतान का
ढूंढा करते हैं तुम्हें
नव वर्ष का स्वागत
नव वर्ष पर मेरे संकल्प
छोटी खुशियाँ, छोटी समस्या
मकरसंक्रांति का महत्व
डर
हमारे कर्तव्य
आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।
ऐ कलम मेरी, मेरे अल्फाज़ लिख दो।
गुनाह हो गया है, इज़हार करना..
करारा तमाचा
अब तो कुछ काम करने लगे हैं..
विघ्नहर्ता मंगल कर्ता
स्वस्थ हम, स्वस्थ समाज
ये अनजाने
धरती का आवरण है पर्यावरण
धरती का आवरण
मैं तो नहीं कर पाऊँगी
शिक्षक इस प्रकार बच्चों के मन से करें गणित विषय का डर दूर
शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं
नरक चतुर्दशी
बच्चों को कैसे स्यकारित करें
रश्मिरथी : रामधारी सिंह'दिनकर'
वाणिज्यिकृत ईश्वर
इश्क क्या है ?
इश्क़
बुजुर्गों का सम्मान करना:
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