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मझधार में लाकर रख दिया - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मझधार में लाकर रख दिया

  • 29
  • 1 Min Read

जिसके लिए हम मर-मिटने को तैयार थे
उसी ने हम को मिटा कर रख दिया,
इक वही थे मिरे डूबते का सहारा "बशर"
उसीने मझधार में लाकर रख दिया!
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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