Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
जिसके लिए हम मर-मिटने को तैयार थे उसी ने हम को मिटा कर रख दिया, इक वही थे मिरे डूबते का सहारा "बशर" उसीने मझधार में लाकर रख दिया! @"बशर"