कवितादोहा
शब्दाक्षरी अगस्त आयोजन २०२०
।। भींगे भींगे बारिश वाले प्यार ।।
वर्षा रिम - झिम हो रही, कभी पड़े बौछार।
आता है सबको मज़ा, तन पर पड़े फुहार ।।
वर्षा होते देखकर, मन में उठी विचार।
साजन को ले साथ में, निकली हाट बजार।।
निकल पड़ी मैं आज तो, छतरी ले निज हाथ।
वर्षा का रुख देखकर, बचा रही बस माथ।।
तन - मन से भींगा हुआ, लौट गई घर आज।
दूकुल चिपका गात में, आती मन में लाज।।
आते-जाते राह में, मिली सखी दो चार।
सबने ली चुटकी अलग, नयनों से कर वार।।
अनुभव करती आज मैं, देख वही परिवेश।
उथल-पुथल मन में उठी, देख आज निज वेश।।
उछल-उछल कर नाचती, गाती कजरी गीत।
करती हूँ महसूस मैं, काश मिले मन मीत।।
कार्या नन्द पाठक