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Sahitya Arpan - Anil Dhawan Sirsa

कविताअन्य

इक इक लम्हां

  • Edited 3 years ago
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  • 177
  • 3 Mins Read

इक इक लम्हां

इक इक लम्हां, हर इक लम्हां मैं,,
सोचता हूँ रहता तेरे बारे मे,
कैसे अन्जान से तुम मेरे अपने बन गए,,
जैसे हमेशा से ही तुम रहते हो साथ मेरे,,
मीठी मीठी बाँते तुम्हारी, हमेशा सुनने को दिल चाहता,
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इक इक लम्हां ,<span>अन्य</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत खूब

कविताअतुकांत कविता

मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ

  • Edited 3 years ago
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  • 160
  • 4 Mins Read

मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ।।

मैं देवनागरी लिपि हूँ,, मैं ही संस्कृत हूँ,,
मैं कही वर्ण, तो कही शब्द हूँ,,
मैं ही संज्ञा, सर्वनाम हूँ,, मैं अलंकार हूँ,,
मैं शक्ति मै ही भक्ति हूँ,,
मैं कही चाँद बिन्दु
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मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दोस्ती क्या है

  • Edited 3 years ago
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  • 113
  • 5 Mins Read

दोस्ती क्या है ?

दोस्ती एक एहसास है, दोस्ती एक विश्वास है,,
चाहे दोस्त दूर है, चाहे दोस्त पास है,,
दोस्ती कुछ अनकहे अल्फाज़ है,
दोस्ती दिल के खुले हुए कुछ राज़ है,,
दोस्ती अपने आप मे ही रिश्ता खास है,
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दोस्ती क्या है,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

जी दोस्ती पर जितना लिखा जाए कम ही है बढ़िया लिखा है आपने

Anil Dhawan Sirsa3 years ago

Shukriya mam

कविताअन्य

मातृ भाषा हूँ मैं

  • Edited 3 years ago
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  • 121
  • 5 Mins Read

मैं मातृ भाषा हूँ। (मेरी पहचान)

जो है मेरी पहचान, मेरी वही रहने दो,
मुझे ना तुम जात -पात मे डालो,
हूँ जैसी मैं, मुझे वैसे ही अपनालो,
हूँ माँ के समान तुम्हारी,
मैं मातृ भाषा हूँ, मुझे तुम अपने
मन मस्तिष्क
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मातृ भाषा हूँ मैं ,<span>अन्य</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

हिंदी दिवस आने वाला है और उस पर आपकी रचना बहुत खूब

Anil Dhawan Sirsa3 years ago

Shukriya mam

कविताअतुकांत कविता

प्रेम पथ

  • Edited 3 years ago
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  • 108
  • 3 Mins Read

प्रेम पथ पर जाऊंगी।।

मन की सुन्दरता देख लगाए जो मन,
उस संग मैं प्रेम पथ पर जाऊंगी,,
जो समझेगा मेरे दिल के सब अरमानो को,
मैं उस संग प्रीत निभाऊंगी,,
कद्र जो डा़लेगा मेरी ,जो विश्वास
मुझ पर खुद से ज्यादा
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प्रेम पथ,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब राधा कृष्ण की छवि उभारती हुई रचना

Anil Dhawan Sirsa3 years ago

ji mam

कविताअतुकांत कविता

अक्सर भूल जाते है लोग

  • Edited 3 years ago
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  • 176
  • 4 Mins Read

#27अगस्त 2020
विषयः चित्र लेखन
शीर्षकः अक्सर भूल जाते है लोग।।

एक दूसरे को नीचा गिराने के चक्कर मे,
अपने फर्ज, अपने कर्म अपनी इंसानियत तक को,,
अक्सर भूल जाते है लोग,,
खुद ही सबसे ऊँचा दिखना चाहते है लोग,,
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अक्सर भूल जाते है लोग ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

यथार्थ सृजन

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

कुछ लोग ऐसे हैं , सभी नहीं।

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

रिश्तों के सौदे

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर सत्य को उजागर करती रचना

Anil Dhawan Sirsa3 years ago

Shukriya ji

कविताअन्य

मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे

  • Edited 3 years ago
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  • 249
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मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे।।

बेशक आलीशान होगा, तुम्हारा महल,,
नही कमी होगी वहा किसी भी सामान की,,
सब होगी जरूरी चीजे बेशक आराम की,,
एक अलग ही नजारा होगा जानता हूँ,,,
मैं तुम्हारे महल मे ।

जानता हूँ
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मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे ,<span>अन्य</span>
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कविताअतुकांत कविता

गिरकर ही संभलता है इंसान

  • Edited 3 years ago
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  • 167
  • 3 Mins Read

#23 अगस्त
गिरकर ही संभलता है इंसान।।

जिंदगी मे बहुत सी मुश्किलें आती है,,
जो अपना दबाव हम पर बनाना चाहती है,,
हमे रोकती है, वो मुश्किलें कभी आगे बढ़ने से,,
तो कभी किसी के कदमों के नीचे ले आती है।।

हमे
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गिरकर ही संभलता है इंसान ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

धोखा

  • Edited 3 years ago
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  • 104
  • 3 Mins Read

धोखा

जो दे वो भी पछताए, जिसे मिले वो भी,
हम अक्सर जब हद से, ज्यादाकिसी पर
विश्वास करते, तो एक ना एक दिन उसका फल मिलना
ही होता है, और उस फल का नाम है धोखा।

हमारी बंद आँखो से जब किसी के झूठे ,
विश्वावस या
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धोखा,<span>अतुकांत कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

धोखा खाने के बाद संभल जाए वही इंसान है।

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

हाँ...सही कहा

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

कविताअन्य

बारिश वाला प्यार

  • Edited 3 years ago
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  • 377
  • 5 Mins Read

#शब्दाक्षरी अगस्त 2020
विषयः मुक्त
शीर्षकः बारिश वाला प्यार,
साहित्य अर्पण

क्या याद है तुम्हें, हमारा पहली बार मिलना,
चाँद की चाँदनी के नीचे, रंग बिरंगे फूलो के यहा थे बगीचे,
जहा तुम थे,और मैं था और
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बारिश वाला प्यार ,<span>अन्य</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह क्या बात बात