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"मुझे"
कविता
हाँ वही इश्क करना है मुझे
दुःख होता है
काश! युँ ही
तभी तो पिता
मगर मै न था
साज़िशें बहुत की उसने मुझे ढाने की
कलम-मिल गई मुझे शादमानी
प्रेम पथ
मातृ भाषा हूँ मैं
बस मुझेअच्छा लगता है
मुझे तू अपना सा लगता है
बहुत कुछ है हमारे बीच
तू मुझे अपना सा लगता है
मुझे तू अपना सा लगता है
मुझे हारकर जीत जाने दो
मुझे तू अपना सा लगता है
मुझे आसमां छूने दो
तुमने मुझे
वो जगह बता मुझे
मुझे उनके आने का पैगाम देना
मुझे वो नज़रें बदलनी हैं
मुझे याद है
मुझे तू अपना सा लगता है
मुझे तू अपना सा लगता है
मिल गई मुझे शादमानी
मुझे इंसाफ चाहिए
मुझे कुछ कहना है
मुझे कुछ कहना है
मुझे कुछ कहना है
मिल गई मुझे शामदानी
"मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"
सूरज मुझे जगाता
मैं पुकारुँ तुझे
जिंदगी मिली मुझे
"एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"
मुझे उड़ान भरने दो
मुझे उड़ान भरने दो
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे
किसी को ये ज़मी दे दो किसी को आसमाँ दे दो
मत छेड़ मुझे
अज़ीज़ मुझे समझ न सके अजनबी मग़र समझ गए
याद नहीं वो पल मुझे...
छोड़ गया है मुझे
मुझे नहीं फ़िक्र कोई हाले-दिल बताने में
कहानी
मुझे सुसाइड नहीं करना था
स्वर्ग की सैर
"बाबा यहाँ ना छोड़ो मुझे..अपने साथ ले चलो।
हां मुझे बहुत डर लगता है..
लेख
आया है मुझे फिर याद वो जालिम
तू मुझे अपना बेटा सा लगता हैं….
इश्क़
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