Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
तभी तो पिता - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तभी तो पिता

  • 146
  • 3 Min Read

नहीं तुम ईश्वर नहीं
हां पिता तुम ईश्वर नहीं
क्योंकि साकार हो तुम निराकार नहीं
तुम मेरे हो बस मेरे
मेरे ही तो हो
मैं कृति हूं तुम्हारी
और तुम रचनकार मेरे
तभी तो पिता
तुम बसते हो अंतर्मन में मेरे
और झलकते हो सर्वांग अस्तित्व से मेरे
दुनिया तुम्हारी सीमित बस मुझ तक
विस्तार उसका सुदूर ब्रह्मांड तक नहीं
बांट रखा है तुमने
अपना प्रेम बेशक हज़ार हिस्सों में
पर आश्चर्य मेरे हिस्से का
कोई और हिस्सेदार नहीं
पल पल तुमने संवारा मुझे
कदम कदम तुम्हीं ने संभाला मुझे
बना कर खुदको सीप
मोतियों सा निखारा मुझे
फ़िर भी पिता तुम ईश्वर नहीं
क्योंकि साकार हो तुम निराकार नहीं

logo.jpeg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

Nice....

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Ankita Bhargava3 years ago

आभार सर

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
आप क्यूँ हैं उनके बिना नाखुश
logo.jpeg
विदेशी शहर
IMG-20240518-WA0017_1716097452.jpg