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हाँ वही इश्क करना है मुझे - Bhawna Batra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

हाँ वही इश्क करना है मुझे

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"हाँ वही इश्क़़ करना है मुझे"

जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो,लाजवाब हो।
जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो, लाजवाब हो।
हाँ वही, हाँ वही इश्क़ सीखना है मुझे।

दर्द की गहराईयों से,तन्हाईयों की भीड़ से,
चुप्पी के शोर से, शांति की आग से ।

रूसवाईयों से निकलकर चीखना है मुझे ।
हाँ वही, हाँ वही इश्क़ सीखना है मुझे।

जहाँ अकेलेपन में भीड़ हो, जहाँ आँखों की ज़ुबान हो,
जहाँ दूरियों में नज़दीकियाँ हो,
जहाँ अपनेपन का न शोर हो।

जहाँ न होकर भी सब अपने हो ।
जहाँ हकीकत सारे,मुहोब्बत के नगमें हो।
बस वो हो, मैं हूँ और कायनात में संगीत हो।

कोयल के मीठे स्वरों की ध्वनि जहाँ सुनाई दे,
हवाओ में जहाँ किसी प्रेम धुन की गूँज हो ।
वो हो, मैं हूँ और सच्ची अपनी प्रीत हो ।

हाँ वही, हाँ वही इश्क़ सीखना है मुझे।
जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो,लाजवाब हो।
जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो, लाजवाब हो।
हाँ वही, हाँ वही इश्क़ सीखना है मुझे।
©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद,हरियाणा

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