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Sahitya Arpan - Bhawna Batra

कविताअन्य

८४ जूनी बाद मिला है जीवन

  • Edited 4 years ago
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  • 346
  • 3 Mins Read

84 जूनी बाद मिला है,
जीवन ये अनमोल।

हार मानकर मुश्किलों से,
खुदको न तराजू में तोल।

ओ बन्दे,रोता हुआ आया था,
क्या रोता हुआ ही जाएगा।

उठ,खड़ा हो,आगे बड़
क्या जीवन में नाम नहीं कमाएगा।

छोड़दे दुनिया
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८४ जूनी बाद मिला है जीवन,<span>अन्य</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कविताअन्य

कमियां और खूबियां

  • Edited 4 years ago
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  • 992
  • 5 Mins Read

हज़ार खूबियों के बीच,कुछ कमियाँ नज़र आती हैं,
लेकिन खूबियाँ नहीं,कमियाँ ही गिनी जाती हैं

देकर संदूक खिलौनौ का,खिलौना जो एक उठा लिया,
खिलौने तुमने दिए या नहीं फर्क नहीं पड़ता,
लेकिन खिलौना उठाकर
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कमियां और खूबियां,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

औरत का सफर

  • Edited 4 years ago
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  • 197
  • 3 Mins Read

ब्याह के आई तो रिश्तों के तराज़ू में तोली जाती है ।
चूक जाए फर्ज़ो से, संस्कारों पर उंगली जाती है ।

घर की राजकुमारी सी जो मायके में थी,
नौकरों की तरह ससुराल में रहे,
फिर भी न संभाली जाती है ।

मांगे
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औरत का सफर,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

प्रेम की परिभाषा

  • Edited 4 years ago
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  • 125
  • 4 Mins Read

मेरी कोई परिभाषा नहीं,
मैं निस्वार्थ भाव से आता हूँ
मुझे सभी ने भुला दिया,
जहाँ दौलत है बिक जाता हूँ ।

न हूँ बेटे के लाड प्यार में,
न बेटी के मोह में नज़र मैं आता हूँ
अब परवाह मेरी किसको है,
मतलब से जहाँ
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प्रेम की परिभाषा,<span>अन्य</span>
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कहानीसंस्मरण

पिता "नसमझ हूँ मगर प्यार समझता हूँ"

  • Edited 4 years ago
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  • 206
  • 10 Mins Read

"पिता-नासमझ हूँ मगर प्यार समझता हूँ"

मैैं अकसर घर के आँगन में कुर्सी लगाए बैठा बच्चों को खेलते
देखा करता हूँ।
मेरी बीवी मुझे बुद्धु/नासमझ कहती है।क्योंकि
अकसर मैं उसका कहना बड़ी आसानी से मान जाया
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

स्त्रियों के त्याग और बलिदान के बारे में सभी बोलते हैं , पुरुषों की इस मामले में अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। आपने उस कमी को बाखूबी उकेरा है और वह भी बेहद खूबसूरत ढंग से।

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

सुंदर

कविताअन्य

क्रोशिया का धागा

  • Edited 4 years ago
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  • 346
  • 10 Mins Read

ज़िंदगी कभी कभी बहुत निराश होती हूँ तुझसे,
और सवाल करती हूँ तब सिर्फ खुदसे ।
के क्या कभी मैं ये महसूस कर पाऊँगी,
कि जिसके लिए मैं जीती हूँ,अपनी ज़िंदगी
वो समझेगा मुझे।
या बस गिनेगा मेरी गलतियाँ हमेशा
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क्रोशिया का धागा,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

दुख - सुख

  • Edited 4 years ago
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  • 141
  • 2 Mins Read

दुख तो हिस्सा है जीवन का,
फिर काहे को घबराए।
जो किया है भोगेगा वही,
करनी को पछताए।

दुख के बाद सुख का आना,
सुख के बाद दुख का आना,
ऐसे है 2 जीवन के पात्र,
जिसने पार कर लिया हंसते हंसते
उसके लिए माटी के
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दुख - सुख,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

हाँ वही इश्क करना है मुझे

  • Edited 4 years ago
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  • 214
  • 5 Mins Read

"हाँ वही इश्क़़ करना है मुझे"

जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो,लाजवाब हो।
जो निस्वार्थ हो, बेहिसाब हो, लाजवाब हो।
हाँ वही, हाँ वही इश्क़ सीखना है मुझे।

दर्द की गहराईयों से,तन्हाईयों की भीड़ से,
चुप्पी
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हाँ वही इश्क करना है मुझे ,<span>अन्य</span>
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