कविताअन्य
दुख तो हिस्सा है जीवन का,
फिर काहे को घबराए।
जो किया है भोगेगा वही,
करनी को पछताए।
दुख के बाद सुख का आना,
सुख के बाद दुख का आना,
ऐसे है 2 जीवन के पात्र,
जिसने पार कर लिया हंसते हंसते
उसके लिए माटी के मात्र ।
जैसे बीत गए खुशी के लम्हें,
दुख के भी दिन कट जाएंगे ।
भोगा है दुख तो ,कर्म तेरे हैं
सुख के भी तेरे दिन आएँगे ।
©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद,हरियाणा