कविताअतुकांत कविता
किसी के आंसू..किसी के ख्वाब..
किसी की बात..स्मृतियां कुछ यूँ
छदम रूप में आती है..
और बुलबुलो सी खत्म हो जाती है..
मगर मुझ तक तुम्हारी स्मृतियाँ..
शब्दों में आती है और..
मेरी डायरी पर अंकित..
हो कर सदा के लिए मेरी,,
हो जाती है!!
क्यों?? क्यों कि मैं स्मृतियों को
कभी झूठलाती नहीं,,धिक्कारती नहीं..
उन्हें स्नेह से आलिंगन करती हूँ..
इकरार करती हूँ के वो मेरी है और
ह्रदय से लगा कर उनके शब्द बनाती हूँ..
तब बनती है ये मेरी स्मृतियाँ!!
और रह जाती है सदा के लिए मेरे पन्नो पर!
#इकरार
#इकरार लिखना भूल गए आप
जी कर दीजिये add a tag में #इकरार लिखकर choose कर लीजियेगा।
क्या अभी कर सकती है #इकरार