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मेरा इकरारनामा - Priyanka Gahalaut (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मेरा इकरारनामा

  • 298
  • 3 Min Read

किसी के आंसू..किसी के ख्वाब..
किसी की बात..स्मृतियां कुछ यूँ
छदम रूप में आती है..
और बुलबुलो सी खत्म हो जाती है..
मगर मुझ तक तुम्हारी स्मृतियाँ..
शब्दों में आती है और..
मेरी डायरी पर अंकित..
हो कर सदा के लिए मेरी,,
हो जाती है!!
क्यों?? क्यों कि मैं स्मृतियों को
कभी झूठलाती नहीं,,धिक्कारती नहीं..
उन्हें स्नेह से आलिंगन करती हूँ..
इकरार करती हूँ के वो मेरी है और
ह्रदय से लगा कर उनके शब्द बनाती हूँ..
तब बनती है ये मेरी स्मृतियाँ!!
और रह जाती है सदा के लिए मेरे पन्नो पर!

#इकरार

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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

वाह... भावपूर्ण रचना

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

#इकरार लिखना भूल गए आप

नेहा शर्मा3 years ago

जी कर दीजिये add a tag में #इकरार लिखकर choose कर लीजियेगा।

Priyanka Gahalaut3 years ago

क्या अभी कर सकती है #इकरार

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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