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शब -ए-ग़म बदनाम हो गई है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शब -ए-ग़म बदनाम हो गई है

  • 99
  • 1 Min Read

अकेले तुमही नहीं जगकर रातें गुजारने वाले
येह वबा- ए -शब आज - कल आम हो गई है!

नींद की गोलियां खा खाकर भी सो नहीं पाते
येह शब - ए- ग़म इस क़दर बदनाम हो गई है!

© 'बशर' بشر.

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