कवितालयबद्ध कविता
अच्छा सुनो एक बूढ़ी सी जवानी देख रही हूँ तुम्हारे साथ।
लड़खड़ाते हुए बेंत लेकर चलना।
एक दूसरे का सहारा बनकर हंसी ठिठोली करना।
आपके चश्मे को मेरे स्कार्फ़ से साफ करके आपकी नाक पर रखना।
बच्चे की तरह मैं भी फिर से बात मनवाने के लिए जिद जरूर करूँगी।
तुम पकड़ना मेरा हाथ उस वक़्त जब राह में मॉर्निंग वॉक साथ जाएंगे।
तब ऑफिस जैसी सौतन भी नही होगी वहां।
तब लड़कियो को देखकर याद करेंगे।
वो पल जब देखकर कहते थे आप।
ड्रेस कुछ ज्यादा छोटी नही पहनी है।
और मैं कहती थी चाचीजी को गर्मी ज्यादा लग रही होगी।
उस वक़्त हम जोर से हंसा करेंगे।
तब महसूस होगा वक्त बिल्कुल नही बदला।
तब मिलकर कहेंगे जिंदगी तुझे जिया है हमने
भरपूर जिया है। - नेहा शर्मा
बहुत ही सुन्दर और भावनाओं से ओत-प्रोत रचना है साधुवाद और बधाई।
शुक्रिया आदरणीय
बहुत ही सुंदर। हसरतें पूरी हो जाना ज़िंदगी का सुखी हो जाना
????
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां। वाकई, दिल की हसरत इतनी ही तो है
??
वाह,बेहद ही भावनात्मक
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय
बहुत भावपूर्ण और सत्य पर आधारित कविता लिखी आपने। उम्र का ये पडाव सभी के साथ आना है
जी होंसला अफजाई हेतु आपका बेहद शुक्रिया मैं भी बेसब्री से आपकी रचना का इंतज़ार कर रही हूं।