कवितालयबद्ध कविताअन्य
एक दिन पत्नी अड़ गयी एक बात पर।
पूछने लगी पति का हाथ पकड़कर.....
अजी सुनते हो क्या मुझे एक बात बताओगे।
पति पत्नी पर ही क्यों चुटकुले बनते हैं जरा समझाओगे।
अब पति बड़ी हैरानी से रहा था देख।
सोच रहा था क्या उत्तर दूँ इस बात का नेक।
अगर बोलता हूँ पक्ष में पति के तो कुटाई होगी पक्का।
और अगर बोल दिया पत्नी के हक में तो मेरे लिए बिल्कुल ना होगा चोखा।
अब पति बिचारा बैठकर सोच ही रहा था।
सवाल का जवाब खोज ही रहा था।
की पत्नी जोर से बोली हाय दैया.... गैस पर चढ़ी सब्जी तो मैं भूल ही गयी।
अब तक तो वो बहुत बुरी तरह होगी जल गई।
पति जोर से बोला मुझे जली हुई सब्जी खिलाएगी।
बच्ची को क्या तू यही सिखाएगी।
वो भी जला भुना खाना पति के आगे परोस देगी।
तेरी तरह वो भी अपने पति को मायके जाने की फिर धौंस देगी।
इतना कहना था कि पत्नी की त्योरियां चढ़ गई।
आप अच्छा नही कर रहे हो गुस्से में बड़-बड़ कर गई।
अब पति मुस्कुराता हुआ सा खड़ा था।
पर पत्नी का तो जैसे थोपड़ा चढा था।
हाथ पकड़कर बोला प्राणप्रिये जरा इधर तो आ जाओ।
अब तुम मेरी इस कोमल भावना को जरा समझो।
मेरा तुम्हे गुस्सा दिलाने का बिल्कुल मतलब नही था।
मुझे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देना अब था।
इतना सुन पत्नी आश्चर्य से भर गई।
बोली अब कौन सी मीठी गोली काम कर गयी।
पति बोला सुन मेरी बात यदि तू ठंडा कर अपना दिमाग लगाएगी।
तो जितना बखेड़ा खड़ा हुआ उन सब पर तुझे खुद हँसी आएगी।
देख पति-पत्नी का चुटकुला तो यहीं मीठी नोंक झोंक पर बन गया।
मीठा- मीठा सा प्यार इस झगड़े से और बढ़ गया।
इतना कह बीवी जोर से हँस पड़ी।
अब ना लड़ूंगी कहकर पति से लिपट गयी।
पर नेहा एक बात कहवे है कान खोल कर सुन लो सारे।
झगड़ा करो छोटा-मोटा तलाक तक बात नही जाए ये बात गांठ मार लो मेरी।
नही तो लड़ाई-झगड़े में प्यार कम खींचतान ज्यादा नज़र आएगी।
और रिश्ते की डोर तनिक भी चल नही पाएगी।
इसलिये प्रेम रिश्ते का मजबूत बनाये रखो।
और नेहा पंडिताइन की इस खट्टी मीठी कविता का सब मजा लो। © - नेहा शर्मा