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कह मुकरी-गर्मी - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

कह मुकरी-गर्मी

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  • 3 Min Read

गर्मी
१.
चमन के फूल मुरझाए
घाम सताए,चलें गर्म हवाएं
सबेरा जल्दी उजास फैलाए
जाने कौन चैन दिलाए
ऐ सखि साजन?न सखि सावन।

२.कोयल की सुन मीठी तान
जिया मेरा भूला सब भान
मधुर आम्ररस का करुं पान
उठा बवंडर क्या हठधर्मी
क्या सखि साजन?न सखि गर्मी।
३.
मन-मयूर कहे आए हैं आज
दादुर स्वागत में छेड़े हैं साज
बादल गरजें,भागी गर्मी डर से
पाहुन की याद में बूंदें बरसें
क्या सखि साजन?न सखि वर्षा।
४.
दमक उठा घर का आंगन
नहा गए पेड़ और पल्लव
ठंडी बयार करें मन हुलसित
मिट्टी महके,पंछी चहके
कहें, तू जा ,उनको ला
क्या सखि साजन?न सखि मेघा।

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