Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
वह त्योहार - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायकअन्य

वह त्योहार

  • 249
  • 10 Min Read

मुझे आज भी याद है जब भी देव उठनी एकादशी आती माँ हमेशा सफेद रंग के कत्थई और चाक से जमीन पर देवता बनाया करती थी। गेरू से घर की सभी देहरी पर डिजाइन बनाया करती थी। और भी बहुत कुछ करती थी। फिर छलनी को जमीन पर बने देवता के ऊपर रख रख दिया करती थी। हम हमेशा माँ को यह करते देखते। उनके गेरू से घर में यह सब करने से हमारे मन में इच्छा जगती की हम भी गेरू से यह सब करें। जो थोड़ा बहुत गेरू बचता हम भी जमीन पर शुरू हो जाते कहीं अपना नाम लिख देते कहीं चांद सितारे बना देते। बच्चा मन था तो कुछ कुछ करने लगते। जिस डंडी पर वह रुई लगाकर डिजाइन बनाने की कलम तैयार की होती हमारी करामात से वह जल्दी खराब हो जाती। फिर हम सारे फर्श को गंदा कर कहीं कहीं गेरू बिखेर चलते बनते। त्योहार का दिन होता तो उस समय माँ कुछ नही कहती। अगले दिन जब उनका सफाई का नम्बर आता तो हमारी क्लास लग जाती।

देव उठनी एकादशी वाले दिन देव कितने उठे पता नही पर हमें शाम का बेसब्री से इंतज़ार रहता। हम माँ के पास बैठकर छलनी के नीचे दिया रख हल्का हल्का सा हाथ लगाकर गाते हुए सुनते ... उठो देव बैठो देव, देव उठेंगे कातक मास, नई टोकरी नई कपास..... उस गाने में हमें कुछ समझ आये न आये पर हम सब मुँह पर उंगली रखकर चुपचाप सुना करते बहुत बार तो जो हल्की सी टोकरी ऊपर उठी हुई होती उसके नीचे झाँककर भी देखते उस जलते दिए को। मजा तब आता जब गीत में सभी भाई बहनों सभी चाचा ताऊ बाबा का नाम आता । अधिकतर लड़को का नाम ही आता था। सब बेसब्री से अपने अपने नाम आने का इंतज़ार करते। मजाल कोई वहां से हिल भी जाये। अगर किसी का नाम आता तो वहां बैठा हुआ बच्चा जोर से चिल्ला कर बोलता, जल्दी आ, तेरा नाम आया, बाकी के बच्चे मुँह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा करते।

सब होने के बाद प्रसाद का इंतज़ार होता प्रसाद खाकर सब अपने अपने खेल और काम में लग जाते। अगला दिन शुरू होता मम्मी की झाड़ के साथ और उस गेरू की सफाई के साथ जो हमने फैलाया होता। कितना मासूम सा बचपन था अपना देव उठनी एकादशी अभी भी जब भी आती है इन प्यारी सी यादों की दस्तक दे जाती है। अब न वह गेरू रहा और न सफेद चॉक। है तो बस यु ट्यूब पर अपलोड यह गाना उठो देव बैठो देव, देव उठेंगे कातक मास.... - नेहा शर्मा

94268mceclip1_1606592391.jpg
user-image
Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर सृजन

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बिल्कुल, ऐसी क‌ई प्रथाएं है जो जो छुपती जा रही है

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

Bahot Dilchasp Smrati .. !

Shabdahuti Prakashan

Shabdahuti Prakashan 3 years ago

Bahut Hi Achha Neha Ji.

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

बचपन की शरारते और यादें बहुत याद आती हैं अच्छी रचना

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

अच्छी जानकारी

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG