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ताउम्र करना पड़े पश्चाताप - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

ताउम्र करना पड़े पश्चाताप

  • 33
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समय का चक्र घूमता रहता
देता सबको यही एक सीख
होकर सतर्क सदा आगे बढ़ो
और बनाओ अपनी एक लीक
समय की गति समझ साधना
होगा उससे बेहतर तालमेल
तभी जीवन बगिया मेें बढ़ती
रहेगी सफलताओं की बेल
समय से चूके हर मनुष्य को
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
पग पग पर उसे भुगतना ही
पड़ता दूजों के तानों का ताप
राम नाम का जाप ही उसके
लिए है सबसे बड़ा अवलंब
आत्मा का शोधन कर हरता
वह मानसिक ताप अविलंब

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