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Sahitya Arpan - umesh shukla
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umesh shukla

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    Section Genre Rank
    कविता गीत First

    कविताबाल कविता, गीत

    न पनपे भेदभाव का नासूर

    • Added 3 days ago
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    • 3
    • 3 Mins Read

    कागज पर उकेरती नित
    वो मन में उभरते विंब
    दुनिया के छल, विद्वेष
    का उसे अभी नहीं इल्म
    जोशो-खरोश से रच देती
    है वो मनवांछित किरदार
    रचनाओं से उसके मन को
    मिलती है खुशियां बेशुमार
    बड़ों को हर सृजन दिखाके
    वो
    Read More

    न पनपे भेदभाव का नासूर,<span>बाल कविता</span>, <span>गीत</span>
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    कवितागीत

    देश के रास्तों पर शूल

    • Added 1 week ago
    Read Now
    • 5
    • 4 Mins Read

    जो बोएंगे वो ही काटेंगे
    इसे भारतवासी गए भूल
    अपने कर्मों से ही बिछाते
    गए देश के रास्तों पर शूल
    दिन पर दिन बढ़ता रहा इस
    देश में अंग्रेजी का ही जाल
    बुद्धिजीवियों के सभी बच्चे
    अंग्रेजी पढ़ करते रहे
    Read More

    देश के रास्तों पर शूल,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    रखो माहौल का पूरा ध्यान

    • Added 1 week ago
    Read Now
    • 4
    • 2 Mins Read

    अपनों का दिल खुश कर
    सकती आपकी मुस्कान
    आप सकुशल हैं उनको
    हो जाएगा ये इत्मीनान
    मगर विघ्न संतोषियों के
    दिल पे लोट जाएंगे सांप
    वे जज्ब नहीं कर पाते हैं
    खुशी से दूजों का मिलाप
    बड़े बुजुर्ग समझा गए
    Read More

    रखो माहौल का पूरा ध्यान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    ताउम्र करना पड़े पश्चाताप

    • Added 5 months ago
    Read Now
    • 32
    • 2 Mins Read

    समय का चक्र घूमता रहता
    देता सबको यही एक सीख
    होकर सतर्क सदा आगे बढ़ो
    और बनाओ अपनी एक लीक
    समय की गति समझ साधना
    होगा उससे बेहतर तालमेल
    तभी जीवन बगिया मेें बढ़ती
    रहेगी सफलताओं की बेल
    समय से चूके हर
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    ताउम्र करना पड़े पश्चाताप ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    भ्रष्टाचार ने बदल डाला

    • Added 5 months ago
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    • 89
    • 4 Mins Read

    हर गली, गांव में गूंजेगा
    अब बुलबुलों का गीत
    हर दल के नेता बताएंगे
    खुद को जनता का मीत
    वोट औ समर्थन पाने को
    वो देंगे लंबी लंबी तकरीर
    बड़े बड़े दावों से रचेंगे वो
    क्षेत्र की मनभावन तस्वीर
    चुनाव
    Read More

    भ्रष्टाचार ने बदल डाला ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    अर्थार्जन का सुखद संयोग

    • Added 5 months ago
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    • 82
    • 2 Mins Read

    जनादेश का पूर्व आकलन
    भी ज्यों गुफा का रहस्य
    फिर भी टीवी पर जारी
    रहे इसका क्रम अवश्य
    तय एजेंडे पर काम कर
    रहे मीडिया के सब लोग
    उनके लिए चुनाव होता है
    अर्थार्जन का सुखद संयोग
    मोटे पैकेज ले भरते रहते
    Read More

    अर्थार्जन का सुखद संयोग ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    खोटे सिक्कों के जोर से

    • Added 6 months ago
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    • 83
    • 2 Mins Read

    खोटे सिक्कों के जोर
    से सियासत बदनाम
    इन्हें चलन से बाहर
    कर सकता है अवाम
    जो संसद में खामोशी
    ओढ़े रहते हैं पांच साल
    उनको नेतृत्व सौंप कर
    क्यों हम बने रहें बदहाल
    प्रश्नों को उछालने में भी
    कंपित
    Read More

    खोटे सिक्कों के जोर से,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    मेरी लाज है तेरे हाथ

    • Added 8 months ago
    Read Now
    • 75
    • 3 Mins Read

    जीवन एक खुली किताब
    सा छुपे नहीं हैं कोई राज
    जो भी चाहे देखे औ पढ़े
    नहीं कभी कोई एतराज
    जिस समाज में भी रहते
    रखें उनके मान का ध्यान
    नहीं कहीं कदाचित किया
    मानवीयता का अपमान
    पुरखों के आदर्शों का
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    मेरी लाज है तेरे हाथ ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हौंसले को समेट कर मेघ बन

    • Added 8 months ago
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    • 36
    • 2 Mins Read

    केवल रूदन से बदला
    नहीं जग का इतिहास
    कर्मवीरों ने बदले युग
    के सभी ढर्रे सोल्लास
    जो हालात के सामने
    सहज घुटने देते हैं टेक
    इतिहास उनके नाम को
    देता कहीं हाशिए पे फेंक
    जो हो रहा, होने दो भाव
    से काटते
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    हौंसले को समेट कर मेघ बन ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हालात से निराश नौजवान

    • Added 9 months ago
    Read Now
    • 35
    • 2 Mins Read

    संसद के सदन में जा कूदे
    हालात से निराश नौजवान
    उनके नारों से झलक रहा
    कि वे हैं कितने हलकान
    आज जरूरत इस बात की
    कि बढ़ें रोजगार के मौके
    ताकि नौजवानों के कदम
    आगे मायूसी नहीं रोके
    सभी सरकारें करें तुरंत
    सही
    Read More

    हालात से निराश नौजवान,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    आंखें कराती हैं पहचान

    • Added 9 months ago
    Read Now
    • 39
    • 2 Mins Read

    आंखों की बातें समझते
    दुनिया के सभी प्राणी
    इनकी बदौलत लिखी
    गईं कई अनूठी कहानी
    आंखों से ही होते हैं जग
    में हर वैयक्तिक संवाद
    उनकी भाव भंगिमा में
    छिपे प्रेम, हर्ष, विषाद
    हर परिवेश का ठीक से
    आंखें
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    आंखें कराती हैं पहचान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    अधिकांश होते हैं गुमराह

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 81
    • 3 Mins Read

    आत्मा अजर अमर
    बतलाते सभी पुराण
    वो नित्य, निरंतर ईश
    वश रहती है गतिमान
    विधि के आदेश पर वो
    धरे वसुधा पर कोई देह
    नियत समय के बाद ही
    वो बदल ले अपना गेह
    परमात्मा से मिलन को
    हर पल रहती बेकरार
    इस सत्य को
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    अधिकांश होते हैं गुमराह ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सच समझने में चूका तंत्र सारा

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 81
    • 3 Mins Read

    सवालों में छिपे रहते
    आम इंसानों के दर्द
    इन्हें हल करके बढ़ाता
    इंसान विकास की हद
    मुश्किलें तभी सुलझें जब
    सवाल हों शीशे से साफ
    अन्यथा समाधान खोजने
    में इंसान जाता हैं हांफ
    सवालों को पहचानना
    भी
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    सच समझने में चूका तंत्र सारा ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जीवन से तम को दूर करो

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 83
    • 2 Mins Read

    दीपों का हरेक हिस्सा हरे
    दिल और दिमाग का तम
    मानवता के आदर्शों को
    जी सकें हम सब हरदम
    हर उज्ज्वल रश्मि देती
    सब के मन को प्रकाश
    खुद को जलाकर हरो
    दूजों के पथ का नैराश्य
    दीप देव से मांगता उमेश
    हर बार
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    जीवन से तम को दूर करो ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    वोट की खातिर पखारें कदम

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 31
    • 3 Mins Read

    माल ए मुफ्त, दिल ए बेरहम
    वोट की खातिर पखारें कदम
    कोष की चाबी वोटरों के हाथ
    पर उनको ही रहे हैं ललचाय
    उन्हें इल्म है कि कुछ तोहफों
    से लेंगे लोक इच्छा को भरमाय
    लोगों के दिल और दिमाग को
    हैक करने को जारी
    Read More

    वोट की खातिर पखारें कदम ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सुशब्द बनाते मित्र बहुत

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 68
    • 3 Mins Read

    शब्द साक्षात ब्रह्म है
    बता गए पुरखे, सयाने
    शब्दों से ही निकले हर
    संदेश का भिन्न मायने
    परस्पर संचार में सदा
    इनका एक खास महत्व
    शब्दों से संगठन निखरें
    बिखरें कुटुम्ब के सदस्य
    सही शब्दों के चयन
    Read More

    सुशब्द बनाते मित्र बहुत ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    छटपटाता रहता है आम इंसान

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 71
    • 4 Mins Read

    भारत जैसे देश में
    रंगीन दिन की बात
    वैसे जैसे कोई छेड़ दे
    कोई जख्म अकस्मात
    राजधानी दिल्ली अभी
    प्रदूषण से रही हैं हांफ
    यमुना वर्षों से सरेआम
    उगल रही पीड़ा के झाग
    सत्तानशीं, हुक्मरानों को
    सूझी
    Read More

    छटपटाता रहता है आम इंसान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    घुली अजब सी भांग

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 98
    • 2 Mins Read

    भारतीय राजनीति के कूप
    में घुली अजब सी भांग
    राजनेता अपनी जीत को
    करते नित नव नव स्वांग
    खुद को मानें दुग्ध धुला
    प्रतिद्वंद्वियों का हरें चीर
    पर असलियत में दिखती
    नहीं उन्हें जन मन की पीर
    महज वादों
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     घुली अजब सी भांग,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    आपका माथा जाएगा घूम

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 91
    • 4 Mins Read

    भारतीय राजनीति में खूब
    मिलेंगे बेवफ़ाई के सबूत
    राजनीतिकों ने कैसे खत्म
    किया कुछ दलों का वजूद
    आभामंडल बढ़ाने के लिए
    रातोंरात औचक बदला दिल
    कुछ ने तो यकायक बदल
    दिया राज्य का मुस्तकबिल
    वर्षों
    Read More

    आपका माथा जाएगा घूम,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    विष बो रहे समाज में सरेआम

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 32
    • 3 Mins Read

    टुकड़ों में समाज को तोड़ रहे
    लेकर धर्म औ जाति का नाम
    स्वार्थ सिद्धि के लिए राजनेता
    विष बो रहे समाज में सरेआम
    ईर्ष्या, द्वेष और बैर भाव से हो
    रही है सामाजिकता तार तार
    पारस्परिक विश्वास का भाव
    अब
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    विष बो रहे समाज में सरेआम,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    दृढ़ आत्मबल की दरकार

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 35
    • 3 Mins Read

    साहसी कदम उठाने को
    दृढ़ आत्मबल की दरकार
    निश्छल आत्मा ही धारण
    करे ये पुण्य बल अपरंपार
    अब दुनिया में व्यापक छल
    फरेब और धोखे का व्यापार
    दूर दूर तक कहीं नजर नहीं
    आता मानवता का पैरोकार
    हर एक महत्वपूर्ण
    Read More

    दृढ़ आत्मबल की दरकार ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 41
    • 3 Mins Read

    पांच राज्यों में चुनावी माहौल
    हर राजनीतिक दल में जारी है कोलाहल
    जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल

    सियासी दल चाहें जिताऊ प्रत्याशी
    भविष्य निर्माण को नेताओं में अजब फंताशी
    जीतकर बरसाएंगे रेत से धनराशि

    महफिलों
    Read More

    जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    राम जैसा मनोभाव

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 127
    • 3 Mins Read

    पग पग संग एक डगर चलें
    बदल जाएगी ऋतु चहुंओर
    सामूहिक शक्ति से निपटेंगी
    जन समस्याएं भी बगैर शोर

    संगठन में शक्ति है ये बतला
    गए पुरखे और साधु सयाने
    भूले तब से हम सब गा रहे
    बेबसी औ लाचारी के तराने

    राम,
    Read More

    राम जैसा मनोभाव ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    काम चलता रहता निर्द्वंद्व

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 83
    • 4 Mins Read

    रात का डर कभी वहां नहीं
    जहां होता है भरपूर प्रकाश
    अंधेरा ही उड़ाया करता है
    हर शख्स का होशोहवास
    समुचित प्रकाश का जहां
    कहीं होता उपयुक्त प्रबंध
    वहां उपस्थित लोगों का
    काम चलता रहता निर्द्वंद्व
    जग
    Read More

    काम चलता रहता निर्द्वंद्व ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    प्रभु राम नाम का अवलंब

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 86
    • 2 Mins Read

    बिना कहे ही सब कुछ
    मिले,मांगे मिले न भीख
    जग में मनुष्य उस रूप में
    दिखें जैसा चाहे जगदीश
    सबकी ही अपनी मान्यता
    अलग अलग हो विश्वास
    जैसी ईश्वर की इच्छा हो
    वैसा मिले सबको प्रकाश
    कहीं धूप, कहीं छांव
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    प्रभु राम नाम का अवलंब ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 122
    • 2 Mins Read

    लोकतंत्र में बहुत कठिन
    करना चोर की पहचान
    तरह तरह के लबादों में
    लिपटे सियासी श्रीमान
    एक दूसरे से अलहदा हैं
    सबके राजनीतिक लक्ष्य
    जनहित के दावे करते हैं
    सब पर जनता बने भक्ष्य
    देश में विकास की खातिर
    बनीं
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    राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    अरबपतियों की सूची बेलगाम

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 39
    • 4 Mins Read

    आज जल,जंगल और जमीन
    पर जमी पूंजीपतियों की दृष्टि
    इन पर कब्ज़ा जमाकर रचना
    चाह रहे वो अपने मन की सृष्टि
    आज के दौर में सब सरकारें भी
    बस धनिकों पर ही रहें मेहरबान
    साल दर साल देश में बड़ी होती जा
    रही
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    अरबपतियों की सूची बेलगाम ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    मां का दर रहे सब चूम

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 82
    • 2 Mins Read

    शहर शहर में मची है
    दुर्गा महोत्सव की धूम
    मंगल की कामना लिए
    मां का दर रहे सब चूम
    व्रत, उपवास औ साधना
    का लोग ले रहे अवलंब
    सबकी मंशा यही कि मां
    मंगल करें सब कुछ तुरंत
    आदि शक्ति की महिमा को
    भक्त जन गा
    Read More

    मां का दर रहे सब चूम,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 88
    • 3 Mins Read

    रास्ते सबके लिए
    खुले रहें दिन रात
    आते जाते लोग पर
    जुदा सबके जज्बात
    कोई रोटी की फ़िक्र ले
    पग से नापे हर रोज
    कोई वाहनों पे सवार हो
    करे जलवा अफरोज
    कोई दायित्वों की पूर्ति में
    इनको करता रोज साफ
    कोई
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    करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह ,<span>गीत</span>
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    गीत

    वहशीपन का शिकार होती मानवता

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 44
    • 2 Mins Read

    जब तक रहे मानस शुद्ध
    तब तक नहीं कोई युद्ध
    जब मानस होता है कुंद
    तब पसरे शत्रुता की धुंध
    कत्ल ओ गारद वहशीपन
    की शिकार होती मानवता
    साज़िश, अविश्वास, नफ़रत
    से पग पग पे इंसां सिसकता
    हे प्रभु जग के खलनायकों
    Read More

    वहशीपन का शिकार होती मानवता ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    वहशीपन का शिकार होती मानवता

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 80
    • 2 Mins Read

    जब तक रहे मानस शुद्ध
    तब तक नहीं कोई युद्ध
    जब मानस होता है कुंद
    तब पसरे शत्रुता की धुंध
    कत्ल ओ गारद वहशीपन
    की शिकार होती मानवता
    साज़िश, अविश्वास, नफ़रत
    से पग पग पे इंसां सिसकता
    हे प्रभु जग के खलनायकों
    Read More

    वहशीपन का शिकार होती मानवता ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    मन में क्यों भरा रहे घमंड

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 44
    • 2 Mins Read

    इस समूचे ब्रह्मांड के
    हम इक छोटे से पिंड
    फिर भी ना जाने मन
    में क्यों भरा रहे घमंड
    राम कृपा से मिली है
    यह पंचभूत रचित देह
    फिर भी हम नहीं रखते
    सब जीवों के प्रति स्नेह
    सबको पता है एक दिन
    तय इस वसुधा
    Read More

    मन में क्यों भरा रहे घमंड ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    लीजिए प्रेम का अवलंब

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 93
    • 2 Mins Read

    जहां कहीं विश्वास का
    होता है प्रबल अभाव
    वहां पग पग पे षड्यंत्र
    का बढ़ता रहता प्रभाव
    खल और छल, छद्म का
    आवरण रहता चहुंओर
    एक दूजे को अरि सदृश
    दिखें सब जीव घनघोर
    आशंका के घन गहराते
    रहते उस परिवेश
    Read More

    लीजिए प्रेम का अवलंब ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    दूसरों को देते हैं ज्ञान

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 42
    • 2 Mins Read

    खुद पेंशन भत्ता निगल
    दूसरों को देते हैं ज्ञान
    सचमुच देश के सांसद
    दुनिया में बड़े महान
    अपने लिए जायज है
    कोष से सभी निकासी
    दूसरों के सामने रखते
    बातें आदर्श से तराशी
    अमीरों को देते रहते हैं
    लाखों
    Read More

    दूसरों को देते हैं ज्ञान,<span>गीत</span>
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    कविताभजन, गीत

    मानवीय संवेदना बनी रहे

    • Added 11 months ago
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    • 39
    • 3 Mins Read

    वादा कर आराधना का
    जग में आए सब प्राणी
    भव सागर के जाल में
    उलझ कर रहे मनमानी
    हे प्रभु मुझको दीजिए
    अपनी कृपा दिन, रात
    हर पल सन्मति,सद्पंथ
    की दीजै सुखद सौगात
    मानवीय संवेदना बनी
    रहे मानस में हर पल
    आपके
    Read More

    मानवीय संवेदना बनी रहे ,<span>भजन</span>, <span>गीत</span>
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    कवितागीत

    शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 38
    • 3 Mins Read

    एक का है उजला बदन
    दूसरे का बिल्कुल स्याह
    पहले को सत्य कहे जग
    दूजे को मानता अफवाह
    सुगम, सहज सबके लिए
    सदा जग में सत्य की राह
    जो इसका अवलंबन करे
    वो सबसे बड़ा शहंशाह
    सत्य को विचलित नहीं
    कर सके आंधी
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    शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध,<span>गीत</span>
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    गीत

    हौसले से जग जीतता रहा

    • Added 11 months ago
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    • 52
    • 2 Mins Read

    हौसले से जग जीतता
    रहा है बार बार इंसान
    समूचे जग में प्रसिद्ध
    हैं ढेर सारे आख्यान
    हौसलों ने बदल दिया
    विविध देशों का भूगोल
    इतिहास चेताया करता
    सदा आंखें रखो खोल
    दुश्मन जब करता कभी
    छिपे तौर पर कोई
    Read More

    हौसले से जग जीतता रहा ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हौसले से जग जीतता रहा

    • Added 11 months ago
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    • 45
    • 2 Mins Read

    हौसले से जग जीतता
    रहा है बार बार इंसान
    समूचे जग में प्रसिद्ध
    हैं ढेर सारे आख्यान
    हौसलों ने बदल दिया
    विविध देशों का भूगोल
    इतिहास चेताया करता
    सदा आंखें रखो खोल
    दुश्मन जब करता कभी
    छिपे तौर पर कोई
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    हौसले से जग जीतता रहा ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कर्मों के बल पर बदल गए

    • Added 11 months ago
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    • 103
    • 2 Mins Read

    किसी पल या स्तर पर हो
    सकती कोई नई शुरुआत
    ये सब कुछ होता इंसान
    के हौसलों से अकस्मात
    ईश्वर की कृपा से मिलती
    है इंसान को सटीक राह
    जिस पर आगे बढ़ बदल
    देता वो इतिहास का प्रवाह
    सिकंदर, बाबर, नेपोलियन
    सभी
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    कर्मों के बल पर बदल गए ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जन मन में हो उत्कट चाह

    • Added 11 months ago
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    • 43
    • 3 Mins Read

    जन मानस तक पहुंचे
    मेरे संदेशों का निष्कर्ष
    उनके मन को करें वो
    सब शिद्दत से ही स्पर्श
    लोकतंत्र में कायम रहे
    जन जन का विश्वास
    नियम कानूनों के प्रति
    हो धनात्मक अहसास
    एक दूजे के मान सम्मान
    का रखें
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    जन मन में हो उत्कट चाह ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश

    • Added 11 months ago
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    • 92
    • 2 Mins Read

    संकल्पों से सिद्ध होते
    इंसान के सभी काम
    इसी गुण के बल चंद्र
    पर भेजा गया यान
    कल्पनाओं को मूर्त
    रूप देते हैं संकल्प
    जो संकल्पों के बली
    वो रचते नए विकल्प
    यदि आप रचना चाहते
    जीवन में नया इतिहास
    मन
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    सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कायम रखें उत्साह

    • Added 1 year ago
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    • 90
    • 2 Mins Read

    जब मन को किसी प्रश्न का
    कभी नहीं मिलता कोई हल
    ऐसे में मन अधिकांश का
    हो जाया करता है विकल
    अत्यधिक सोच की दशा में
    मन में उत्पन्न होता है तनाव
    विकल्पहीनता पैदा करती
    है मन में उलझन के भाव
    जब किसी मुद्दे
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    कायम रखें उत्साह ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कौन याद दिलाएगा शक्ति

    • Added 1 year ago
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    • 100
    • 5 Mins Read

    भविष्य को रचने के लिए
    दिन रात जुटे जी जान से
    अच्छे अंक हासिल करके
    मंजिल पानी उन्हें शान से
    मां बाप और अपने सपनों
    को करना है शीघ्र साकार
    समाज में सही मुकाम पाने
    की लालसा भी करे बेकरार
    ये जज्बा
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    कौन याद दिलाएगा शक्ति ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सन्मति औ विवेक का कोष

    • Added 1 year ago
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    • 91
    • 2 Mins Read

    कल आज कल में बीत
    रहे उम्र के दिन तमाम
    जो मानव सेवा करें बस
    उनका ही होता है नाम
    अच्छे कर्म और व्यवहार
    ही दुनिया को रहते याद
    अच्छाई के लिए करता हर
    व्यक्ति प्रभु से फरियाद
    धन, दौलत या संपत्ति से
    बड़ी
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    सन्मति औ विवेक का कोष,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    बस कट, पेस्ट का खेल

    • Added 1 year ago
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    • 135
    • 7 Mins Read

    डर, अविश्वास और नफ़रत
    सत्ता के सदा रहे हथियार
    इनके बल पर विरोधियों को
    हाशिए पे फेंकें सभी किलेदार
    मतलबी औ क्रूर होता है सत्ता
    में बैठा हुआ हर एक रसूखदार
    उसको भुनगे से ही नजर आते
    आम जनता में शुमार
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    बस कट, पेस्ट का खेल,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सब शिक्षकों को प्रणाम

    • Added 1 year ago
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    • 58
    • 2 Mins Read

    शि़क्षक दिवस पर जीवन में
    मिले सब शिक्षकों को प्रणाम
    कुछ न कुछ रोशनी मिली
    उनसे ही पाया नव आयाम
    नया सीखने के लिए पूरी
    उम्र भी पड़ जाती है कम
    जीवन में सफलता के सू़त्र
    शिक्षकों से ही मिले हरदम
    जब जब
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     सब शिक्षकों को प्रणाम,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    आकलन करने को चाहिए सही तंत्र

    • Added 1 year ago
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    • 38
    • 3 Mins Read

    दो पीढ़ियों के सोच विचार
    में सदा से अंतर दिखे खास
    बुद्धिमान करते रहे उनको
    समझने का सतत प्रयास
    जिस समाज में वैचारिक
    अंतर में होती बहुत खाई
    वहां हालात उत्पन्न होते हैं
    जनता के लिए दुखदायी
    तनाव
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    आकलन करने को चाहिए सही तंत्र ,<span>गीत</span>
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    गीत

    जनता हर पल बेचैन

    • Added 1 year ago
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    • 40
    • 2 Mins Read

    सबके सिर पर राज कर
    रहा है आज सफेद झूठ
    जनसेवा के बजाय बनी 
    सियासत आज खुली लूट
    धनार्जन पर ही केंद्रित हैं
    जन प्रतिनिधियों के नैन
    समस्याओं के संजाल में ही
    फंसी जनता हर पल बेचैन
    एम पी एम एल ए बन रहे
    दागियों
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    जनता हर पल बेचैन ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जनता हर पल बेचैन

    • Added 1 year ago
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    • 188
    • 2 Mins Read

    सबके सिर पर राज कर
    रहा है आज सफेद झूठ
    जनसेवा के बजाय बनी 
    सियासत आज खुली लूट
    धनार्जन पर ही केंद्रित है
    जन प्रतिनिधियों के नैन
    समस्याओं के संजाल में ही
    फंसी जनता हर पल बेचैन
    एम पी एम एल ए बन रहे
    दागियों
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    जनता हर पल बेचैन ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    समझें पर्व का मर्म

    • Added 1 year ago
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    • 79
    • 3 Mins Read

    भाई और बहन के प्रेम
    का प्रतीक है रक्षाबंधन
    हर साल यह करता है
    प्रीति का पुनरावलोकन
    एक दूजे के लिए दोनों के 
    मन में रहता खास लगाव
    राखी पर्व भरता है दोनों के
    मन में और विशेष उछाह
    युगों युगों से सनातनी
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    समझें पर्व का मर्म,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन

    • Added 1 year ago
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    • 91
    • 4 Mins Read

    वेब सीरीज अब बन गए
    खुराफातियों के हथियार
    पूंजीवादी ताकतें कर रही
    इनके जरिए बड़ा व्यापार
    सृजन के नाम पर ये कर
    रहे अश्लीलता का विस्तार
    हर निदेशक को बस प्रसिद्धि
    अधिकाधिक धन की दरकार
    मर्यादा
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    नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    प्रेम पर बलिहारी

    • Added 1 year ago
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    • 98
    • 3 Mins Read

    जिंदगी बहुत खूबसूरत
    यह समझे ना हर कोय
    प्रभु जिस पर कृपा करें
    उसको यह अनुभव होय
    पग पग पर बदलें मंजर
    अहसासों में भी बदलाव
    जीवन सफर में दो चार
    हों अनगिनत महानुभाव
    बस वो ही दिल पर छपें
    जिनमें सहजता
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    प्रेम पर बलिहारी ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    नीर क्षीर विभेद का विवेक

    • Added 1 year ago
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    • 88
    • 4 Mins Read

    अब आत्मनिर्भर मैं कैसे बनूं
    असंख्य लबों पर ये सवाल
    डिग्रियां पूरी करने वालों को
    वर्तमान दशा से बहुत मलाल
    कभी देश को बड़ी संख्या में
    दिया करते थे जो रोजगार
    उनके गले पर ही लटक रही
    अब अनिश्चितता
    Read More

    नीर क्षीर विभेद का विवेक ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    विध्वंस का शैतान

    • Added 1 year ago
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    • 41
    • 4 Mins Read

    एक एक कर तोड़ रहे
    वो प्रचलित संस्थान
    उनके मानस में पैठा
    है विध्वंस का शैतान
    जनहित के नाम पर वो
    कर रहे हैं खूब मनमानी
    महंगाई वृद्धि,बेकारी का
    कारण उनकी कारस्तानी
    हर उपलब्धि का श्रेय वो
    अपने पाले
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    विध्वंस का शैतान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जन पक्ष में लेखनी चले

    • Added 1 year ago
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    • 56
    • 3 Mins Read

    सुकून की तलाश में
    चलते रहे दिन रात
    अब तक मिला नहीं
    उसका ठीहा अज्ञात
    हर दिन ढलने के बाद
    मन को देते हैं दिलासा
    कालांतर में शायद छंटे 
    मेरे जीवन का कुहासा
    ग्रह गोचर का असर है
    अजब अपनों से हूं दूर
    एकाकीपन
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    जन पक्ष में लेखनी चले,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    धरातल की दशा से मुंह मोड़

    • Added 1 year ago
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    • 47
    • 4 Mins Read

    पूंजीपतियों का काकश
    दिनोंदिन हो रहा मजबूत
    उनके नाते ही नष्ट हो रहा
    तमाम कानूनों का वजूद
    शोषणकारी ताकतें कस
    रही समाज पर शिकंजा
    उनको कम पैसे में श्रमिक
    चाहिए होशियार भला चंगा
    पूंजीपतियों के
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    धरातल की दशा से मुंह मोड़ ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हर इंसान लगाता दांव

    • Added 1 year ago
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    • 96
    • 3 Mins Read

    हर शय को दौड़ाता रहता
    उसकी ख्वाहिशों का वेग
    जो ख्वाहिशों को काबू में
    रखे उसे सफलता विशेष
    तन, मन, धन और समय
    का हर इंसान लगाता दांव
    विवेक के समुचित प्रयोग से
    ही हासिल होते सही पड़ाव
    बहुत ख्वाहिशें
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    हर इंसान लगाता दांव ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य

    • Added 1 year ago
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    • 94
    • 5 Mins Read

    मेरे प्यारे वतन को लग गई
    धूर्त राजनीतिकों की नजर
    स्वार्थकेंद्रिता की पराकाष्ठा
    अब आती चहुंओर नजर
    जनप्रतिनिधियों को फ़िक्र 
    नहीं, जनता का क्या हाल
    सत्ता मद में डूबीं मचक रही
    देश के जन जन बहुत
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    बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हम कितने चैतन्य

    • Added 1 year ago
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    • 94
    • 4 Mins Read

    पुरखों के त्याग औ बलिदान
    को हमें सदैव रखना है याद
    उनके अनथक संघर्ष से हुआ
    अपना प्यारा वतन आजाद
    स्वतंत्रता दिवस पर अपने
    आप से ही पूछिए एक प्रश्न
    पुरखों के सपनों को साकार
    करने में हम कितने चैतन्य
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    हम कितने चैतन्य ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सुधार आगे के लिए परिवेश

    • Added 1 year ago
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    • 68
    • 6 Mins Read

    अतीत की बातें हर व्यक्ति
    समाज को करती हैं सचेत
    देती गलतियों को समझ आगे
    की दिशा तय करने का संकेत
    प्रगति के लिए बहुत जरूरी है
    हम सही कार्ययोजना करें तय
    इसके बगैर नहीं हो सकता है
    किसी भी समाज का अभ्युदय
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    सुधार आगे के लिए परिवेश ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    ... सच्चे मीत

    • Added 1 year ago
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    • 104
    • 3 Mins Read

    दुनिया में जब तब गूंजती
    रही दो दोस्तों की दास्तान
    भारतीय संस्कृति में भी हैं
    कई लोकप्रिय आख्यान
    कृष्ण सुदामा की मित्रता
    सबसे भावपूर्ण मिसाल
    कर्ण भी दुर्योधन के लिए
    बना आजीवन बड़ा ढाल
    श्रीराम
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    ... सच्चे मीत ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सिर्फ अपना उत्थान

    • Added 1 year ago
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    • 50
    • 3 Mins Read

    मेरी पहली कमाई कब
    ये राह देख रहे असंख्य
    संवेदनहीन हो चुके हैं अब
    लोकतंत्र के तीनों ही स्तंभ
    इनकी चिंता में शुमार है
    सिर्फ अपना ही उत्थान
    ऐसे में देश के करोड़ों युवा
    रोजी के लिए हैं हलकान
    सरकार
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    सिर्फ अपना उत्थान ,<span>गीत</span>
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    गीत

    काश जन चेतना भरे कुलांचें

    • Added 1 year ago
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    • 48
    • 3 Mins Read

    सत्ता की उत्कट चाहत तेजाबी
    जन जन कुछ कहें चाहें वो कामयाबी
    विपक्षियों के जड़ोच्छेद की बेताबी

    राजनीति में झूठ का उत्कर्ष
    गुम हो गया जन वेदनाओं का विमर्श
    फरेबी दावों पर जताते हर्ष

    पूंजीपतियों
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    काश जन चेतना भरे कुलांचें ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    काश जन चेतना भरे कुलांचें

    • Added 1 year ago
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    • 104
    • 3 Mins Read

    सत्ता की उत्कट चाहत तेजाबी
    जन जन कुछ कहें चाहें वो कामयाबी
    विपक्षियों के जड़ोच्छेद की बेताबी

    राजनीति में झूठ का उत्कर्ष
    गुम हो गया जन वेदनाओं का विमर्श
    फरेबी दावों पर जताते हर्ष

    पूंजीपतियों
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    काश जन चेतना भरे कुलांचें ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    इंद्रदेव की बेरुखी

    • Added 1 year ago
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    • 80
    • 3 Mins Read

    इंद्रदेव की बेरुखी से बहुत
    मायूस अधिसंख्य किसान
    कम वर्षा से चौपट होने की
    कगार पे खेतों में रोपा धान
    सूखे का ही संकेत दे रहे हैं
    मेघों के अधिपति इंद्रदेव
    इधर दर्श दिखाकर गुम हो
    जा रहे मेघों के
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    इंद्रदेव की बेरुखी ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    उत्साह का नव प्रवाह

    • Added 1 year ago
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    • 105
    • 3 Mins Read

    भागमभाग भरे जीवन में
    टानिक सदृश है पिकनिक
    प्रकृति के नजारों को देख
    इंसान पा जाए सुख तनिक
    तनाव और अवसाद के साए
    मानस से हो जाते हैं झट दूर
    कुछ अंतराल पर पिकनिक
    का प्लान आप रखिए जरूर
    काम के बोझ से
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    उत्साह का नव प्रवाह ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ

    • Added 1 year ago
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    • 118
    • 2 Mins Read

    सपना सच हो जाए तो
    प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
    क्या होगी भवतव्यता
    बस केवल वही सुविज्ञ
    ईश्वर की कृपा से पूर्ण
    होते जीव के हर स्वप्न
    सन्मति औ सद्मार्ग भी
    हरि प्रेरणा के ही रत्न
    कर्ता केवल एक है इस
    तथ्य
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    प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ ,<span>गीत</span>
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    गीत

    कीमतों ने छुआ आसमान

    • Added 1 year ago
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    • 45
    • 3 Mins Read

    चाय के कप के दर्शन नहीं
    होते हैं अब छोटे बाजारों में
    कागज के छोटे कप में चाय
    परोसी जाती है तलबगारों में
    महंगाई के मकड़जाल ने जन
    जन को जकड़ किया हलकान
    हर वस्तु की मात्रा कम होती जा
    रही, कीमतों ने
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    कीमतों ने छुआ आसमान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कीमतों ने छुआ आसमान

    • Added 1 year ago
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    • 105
    • 3 Mins Read

    चाय के कप के दर्शन नहीं
    होते हैं अब छोटे बाजारों में
    कागज के छोटे कप में चाय
    परोसी जाती है तलबगारों में
    महंगाई के मकड़जाल ने जन
    जन को जकड़ किया हलकान
    हर वस्तु की मात्रा कम होती जा
    रही, कीमतों ने
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    कीमतों ने छुआ आसमान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    धन्य होता हर व्यक्ति

    • Added 1 year ago
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    • 96
    • 3 Mins Read

    ब्रह्मा, विष्णु और महेश ही
    सकल चराचर में है व्याप्त
    सभी पुराणों ने इनकी ही
    महिमा गाई है भली-भांति
    पुराणों में उल्लिखित हैं शिव
    के विविध अवतार और कृत्य
    उनका अध्ययन,मनन,चिंतन
    कर धन्य होता है हर
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    धन्य होता हर व्यक्ति ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कौन सका है बखान

    • Added 1 year ago
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    • 90
    • 2 Mins Read

    मैं तुम्हारा हूं कहना
    होता बड़ा आसान
    जिम्मेदारी निर्वाह में
    विचलित होते इंसान
    मनसा,वाचा,कर्मणा
    जो रहते सदा साथ
    कर्म और व्यवहार में
    दृष्टिगोचर हों जज्बात
    आत्मीय संबंधों को होती
    नहीं है शब्दों
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    कौन सका है बखान,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    योग का एक विधान

    • Added 1 year ago
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    • 283
    • 2 Mins Read

    ध्यान से सधा करते
    जीवन के सब काम
    सहज रूप में ध्यान
    योग का एक विधान
    इसके बल पर मनुष्य
    प्राप्त कर लेता देवत्व
    ध्यान से योगी मुनियों
    को मिला परम तत्व
    हर मनुष्य की सफलता
    में इसका अहम योगदान
    ध्यान
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    योग का एक विधान ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    ईश्वर की कृपा

    • Added 1 year ago
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    • 222
    • 3 Mins Read

    सपने ही हर मनुष्य को
    रखते हैं सदैव गतिमान
    सपनों की पूर्ति को उद्यम
    करता भरसक हर इंसान
    कुछ सपने हरेक के हो
    जाते जीवन में साकार
    कुछ लाख प्रयत्न के बाद
    भी लेते नहीं मूर्त आकार
    जब दुनिया के प्रपंचों
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    ईश्वर की कृपा ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    भक्ति की राह

    • Added 1 year ago
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    • 52
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    भ्रम में जीने को विवश
    है जगत का हर जीव
    ईश्वर की माया से घिरा
    वह हर तरफ से अतीव
    सुख, दुख, हर्ष, विषाद
    का चक्र चलता लगातार
    ऊपर अनंत में बैठा प्रभु
    ही इन सबका है दातार
    ऋषि,मुनि,सिद्ध संत सब
    दिखा गए भक्ति
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    भक्ति की राह ,<span>गीत</span>
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    गीत

    सही पंथ पर चले जो

    • Added 1 year ago
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    • 221
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    ऊपर बैठा देख रहा
    प्रभु सबके गुण कर्म
    उसने हिस्से में लिखा
    मानवता का ही धर्म
    सही पंथ पर चले जो
    वो पुण्य के भागीदार
    पथ से विचलन देता
    जीवन में कष्ट अपार
    ममता, करुणा, स्नेह
    दया रब के हैं उपहार
    रब की
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    सही पंथ पर चले जो,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सु पंथ पर चले जो

    • Added 1 year ago
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    • 96
    • 2 Mins Read

    ऊपर बैठा देख रहा
    प्रभु सबके गुण कर्म
    उसने हिस्से में लिखा
    मानवता का ही धर्म
    सही पंथ पर चले जो
    वो पुण्य के भागीदार
    पथ से विचलन देता
    जीवन में कष्ट अपार
    ममता, करुणा, स्नेह
    दया रब के हैं उपहार
    रब की
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    सु पंथ पर चले जो,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जिंदगी का सबूत

    • Added 1 year ago
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    • 41
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    दिल की धड़कन
    जिंदगी का सबूत
    रुक जाए तो इंसान
    का खत्म हो वजूद
    कम या ज्यादा होना
    भी खतरे का संकेत
    हर इंसान धड़कनों के
    आधार पर रहे सचेत
    इनकी आवृत्ति से तय
    होती इंसान की सेहत
    कम या ज्यादा होने पर
    पड़े
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    जिंदगी का सबूत,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सूर्यदेव

    • Added 1 year ago
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    • 75
    • 3 Mins Read

    सूर्यदेव हर शय को देते
    हैं निरंतरता की सीख
    निश्चित समय पर आते
    करते उजाले की तस्दीक
    सूर्योदय के बाद करता हर
    व्यक्ति दिनचर्या का आरंभ
    पूरे दिन सक्रिय रहता लेकर
    सूर्य की किरणों का अवलंब
    सूर्यास्त
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    सूर्यदेव ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सियासत में

    • Added 1 year ago
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    • 211
    • 2 Mins Read

    सियासत में झूठ का
    होता है परचम बुलंद
    ऐसे में जन हित छोड़
    नेता सब हुए स्वच्छंद
    जब तक जन जन में
    चेतना की रहेगी कमी
    तब तक भ्रष्टाचारियों
    की मुट्ठियां रहेंगी तनीं
    हे ईश्वर मेरे देश के लोगों
    को देना
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    सियासत में,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    मोहता है सबका मन

    • Added 1 year ago
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    • 108
    • 2 Mins Read

    पुष्पों का अधिपति
    माना जाता गुलाब
    रूप,गंध और स्वरूप
    में इसका नहीं जवाब
    बारहों मास खिलता
    मोहता है सबका मन
    पूजा,आराधन,स्वागत
    में उपयोग करें सब जन
    औषधीय गुणों से युक्त
    है सो आता सबके काम
    इससे बने
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    मोहता है सबका मन,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सुबह का खास महत्व

    • Added 1 year ago
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    • 50
    • 3 Mins Read

    सुबह से हर व्यक्ति की
    दिनचर्या की शुरुआत
    नई ऊर्जा से भरे रहते
    हर आदमी के ख्यालात
    दैनिक क्रियाओं से निपट
    कर हर शख्स करता काम
    पर्याप्त रोटी जुटाने के लिए
    करता वो विविध इंतजाम
    तन, मन को दुरुस्त
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    सुबह का खास महत्व ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    न्याय के लिए,,,

    • Added 1 year ago
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    • 91
    • 2 Mins Read

    न्याय के लिए ही जारी
    है पूरी दुनिया में संघर्ष
    बलशाली अपनी जीत
    पर सतत मना रहे हर्ष
    जश्न मनाने वालों को
    को निज बल पे गुमान
    न्याय हाशिए पर पड़ा
    पाने को सही सम्मान
    दुनियाभर में शांति को
    बने जितने
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    न्याय के लिए,,,,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    संतुलित रहें सदा जज्बात

    • Added 1 year ago
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    • 55
    • 2 Mins Read

    जीवन कथा में शुमार
    हैं यादों के पन्ने अनेक
    कुछ यादें सुखदायी तो
    कुछ मन मंद करें विशेष
    सुख और दुख दोनों से
    हर व्यक्ति होता दो चार
    पर सुख औ सफलता का
    हर व्यक्ति होता तलबगार
    आत्मबल में वृद्धि को सब
    करते
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    संतुलित रहें सदा जज्बात ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    कृपा करें श्रीराम

    • Added 1 year ago
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    • 96
    • 2 Mins Read

    मुस्कुराने की वजह मिले
    तब जब कृपा करें श्रीराम
    उनकी इच्छा बगैर संभव
    नहीं जग में कोई भी काम
    जड़, जंगम औ जीव सबके
    कण कण में वो विद्यमान
    पूरी दुनिया याचक सदृश
    बस वो ही एक दयानिधान
    हे प्रभु करना कृपा
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    कृपा करें श्रीराम ,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    अंधे रेवड़ी बांटने में लगे

    • Added 1 year ago
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    • 44
    • 3 Mins Read

    अंधे रेवड़ी बांटने में लगे
    पहचान के सब कद्रदान
    हिंदुस्तान में चमका रहे वो
    शिक्षा की अजब दुकान
    समाचार के नाम पर परोस
    रहे सब मनमाने तथ्य कथ्य
    ऐसे में संशय घन से घिरने
    को विवश देश में अब सत्य
    समाज
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    अंधे रेवड़ी बांटने में लगे,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हे आशुतोष !

    • Added 1 year ago
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    • 44
    • 2 Mins Read

    हे आशुतोष ! मुझे दीजिए
    अपनी भक्ति का वरदान
    मन मानस तव चरण में
    रम पाए सुखद विहान
    मेरे वाणी और कर्मों में भी
    रहे सदा शुचिता बरकरार
    मानवीय मूल्यों में प्रतिबद्धता
    बनी रहे हम सबमें बारंबार
    जन मन
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    हे आशुतोष !,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान

    • Added 1 year ago
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    • 111
    • 2 Mins Read

    रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान


    अब कदम कदम मिलाकर
    चलिए जन जन के साथ
    सब मिल जुल कर सुधार
    सकेंगे बिगड़े हुए हालात
    हाथ से हाथ मिला कर
    कीजिए सामूहिक ऐलान
    एकजुट होकर हम रचेंगे
    बिल्कुल अलग हिंदुस्तान
    उसमें
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    रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान ,<span>गीत</span>
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