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Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | गीत |
London is the capital city of England.
कविताबाल कविता, गीत
कागज पर उकेरती नित
वो मन में उभरते विंब
दुनिया के छल, विद्वेष
का उसे अभी नहीं इल्म
जोशो-खरोश से रच देती
है वो मनवांछित किरदार
रचनाओं से उसके मन को
मिलती है खुशियां बेशुमार
बड़ों को हर सृजन दिखाके
वो
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कवितागीत
जो बोएंगे वो ही काटेंगे
इसे भारतवासी गए भूल
अपने कर्मों से ही बिछाते
गए देश के रास्तों पर शूल
दिन पर दिन बढ़ता रहा इस
देश में अंग्रेजी का ही जाल
बुद्धिजीवियों के सभी बच्चे
अंग्रेजी पढ़ करते रहे
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कवितागीत
अपनों का दिल खुश कर
सकती आपकी मुस्कान
आप सकुशल हैं उनको
हो जाएगा ये इत्मीनान
मगर विघ्न संतोषियों के
दिल पे लोट जाएंगे सांप
वे जज्ब नहीं कर पाते हैं
खुशी से दूजों का मिलाप
बड़े बुजुर्ग समझा गए
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कवितागीत
समय का चक्र घूमता रहता
देता सबको यही एक सीख
होकर सतर्क सदा आगे बढ़ो
और बनाओ अपनी एक लीक
समय की गति समझ साधना
होगा उससे बेहतर तालमेल
तभी जीवन बगिया मेें बढ़ती
रहेगी सफलताओं की बेल
समय से चूके हर
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कवितागीत
हर गली, गांव में गूंजेगा
अब बुलबुलों का गीत
हर दल के नेता बताएंगे
खुद को जनता का मीत
वोट औ समर्थन पाने को
वो देंगे लंबी लंबी तकरीर
बड़े बड़े दावों से रचेंगे वो
क्षेत्र की मनभावन तस्वीर
चुनाव
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कवितागीत
जनादेश का पूर्व आकलन
भी ज्यों गुफा का रहस्य
फिर भी टीवी पर जारी
रहे इसका क्रम अवश्य
तय एजेंडे पर काम कर
रहे मीडिया के सब लोग
उनके लिए चुनाव होता है
अर्थार्जन का सुखद संयोग
मोटे पैकेज ले भरते रहते
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कवितागीत
खोटे सिक्कों के जोर
से सियासत बदनाम
इन्हें चलन से बाहर
कर सकता है अवाम
जो संसद में खामोशी
ओढ़े रहते हैं पांच साल
उनको नेतृत्व सौंप कर
क्यों हम बने रहें बदहाल
प्रश्नों को उछालने में भी
कंपित
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कवितागीत
जीवन एक खुली किताब
सा छुपे नहीं हैं कोई राज
जो भी चाहे देखे औ पढ़े
नहीं कभी कोई एतराज
जिस समाज में भी रहते
रखें उनके मान का ध्यान
नहीं कहीं कदाचित किया
मानवीयता का अपमान
पुरखों के आदर्शों का
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कवितागीत
केवल रूदन से बदला
नहीं जग का इतिहास
कर्मवीरों ने बदले युग
के सभी ढर्रे सोल्लास
जो हालात के सामने
सहज घुटने देते हैं टेक
इतिहास उनके नाम को
देता कहीं हाशिए पे फेंक
जो हो रहा, होने दो भाव
से काटते
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कवितागीत
संसद के सदन में जा कूदे
हालात से निराश नौजवान
उनके नारों से झलक रहा
कि वे हैं कितने हलकान
आज जरूरत इस बात की
कि बढ़ें रोजगार के मौके
ताकि नौजवानों के कदम
आगे मायूसी नहीं रोके
सभी सरकारें करें तुरंत
सही
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कवितागीत
आंखों की बातें समझते
दुनिया के सभी प्राणी
इनकी बदौलत लिखी
गईं कई अनूठी कहानी
आंखों से ही होते हैं जग
में हर वैयक्तिक संवाद
उनकी भाव भंगिमा में
छिपे प्रेम, हर्ष, विषाद
हर परिवेश का ठीक से
आंखें
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कवितागीत
आत्मा अजर अमर
बतलाते सभी पुराण
वो नित्य, निरंतर ईश
वश रहती है गतिमान
विधि के आदेश पर वो
धरे वसुधा पर कोई देह
नियत समय के बाद ही
वो बदल ले अपना गेह
परमात्मा से मिलन को
हर पल रहती बेकरार
इस सत्य को
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कवितागीत
सवालों में छिपे रहते
आम इंसानों के दर्द
इन्हें हल करके बढ़ाता
इंसान विकास की हद
मुश्किलें तभी सुलझें जब
सवाल हों शीशे से साफ
अन्यथा समाधान खोजने
में इंसान जाता हैं हांफ
सवालों को पहचानना
भी
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कवितागीत
दीपों का हरेक हिस्सा हरे
दिल और दिमाग का तम
मानवता के आदर्शों को
जी सकें हम सब हरदम
हर उज्ज्वल रश्मि देती
सब के मन को प्रकाश
खुद को जलाकर हरो
दूजों के पथ का नैराश्य
दीप देव से मांगता उमेश
हर बार
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कवितागीत
माल ए मुफ्त, दिल ए बेरहम
वोट की खातिर पखारें कदम
कोष की चाबी वोटरों के हाथ
पर उनको ही रहे हैं ललचाय
उन्हें इल्म है कि कुछ तोहफों
से लेंगे लोक इच्छा को भरमाय
लोगों के दिल और दिमाग को
हैक करने को जारी
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कवितागीत
शब्द साक्षात ब्रह्म है
बता गए पुरखे, सयाने
शब्दों से ही निकले हर
संदेश का भिन्न मायने
परस्पर संचार में सदा
इनका एक खास महत्व
शब्दों से संगठन निखरें
बिखरें कुटुम्ब के सदस्य
सही शब्दों के चयन
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कवितागीत
भारत जैसे देश में
रंगीन दिन की बात
वैसे जैसे कोई छेड़ दे
कोई जख्म अकस्मात
राजधानी दिल्ली अभी
प्रदूषण से रही हैं हांफ
यमुना वर्षों से सरेआम
उगल रही पीड़ा के झाग
सत्तानशीं, हुक्मरानों को
सूझी
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कवितागीत
भारतीय राजनीति के कूप
में घुली अजब सी भांग
राजनेता अपनी जीत को
करते नित नव नव स्वांग
खुद को मानें दुग्ध धुला
प्रतिद्वंद्वियों का हरें चीर
पर असलियत में दिखती
नहीं उन्हें जन मन की पीर
महज वादों
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कवितागीत
भारतीय राजनीति में खूब
मिलेंगे बेवफ़ाई के सबूत
राजनीतिकों ने कैसे खत्म
किया कुछ दलों का वजूद
आभामंडल बढ़ाने के लिए
रातोंरात औचक बदला दिल
कुछ ने तो यकायक बदल
दिया राज्य का मुस्तकबिल
वर्षों
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कवितागीत
टुकड़ों में समाज को तोड़ रहे
लेकर धर्म औ जाति का नाम
स्वार्थ सिद्धि के लिए राजनेता
विष बो रहे समाज में सरेआम
ईर्ष्या, द्वेष और बैर भाव से हो
रही है सामाजिकता तार तार
पारस्परिक विश्वास का भाव
अब
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कवितागीत
साहसी कदम उठाने को
दृढ़ आत्मबल की दरकार
निश्छल आत्मा ही धारण
करे ये पुण्य बल अपरंपार
अब दुनिया में व्यापक छल
फरेब और धोखे का व्यापार
दूर दूर तक कहीं नजर नहीं
आता मानवता का पैरोकार
हर एक महत्वपूर्ण
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कवितागीत
पांच राज्यों में चुनावी माहौल
हर राजनीतिक दल में जारी है कोलाहल
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
सियासी दल चाहें जिताऊ प्रत्याशी
भविष्य निर्माण को नेताओं में अजब फंताशी
जीतकर बरसाएंगे रेत से धनराशि
महफिलों
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कवितागीत
पग पग संग एक डगर चलें
बदल जाएगी ऋतु चहुंओर
सामूहिक शक्ति से निपटेंगी
जन समस्याएं भी बगैर शोर
संगठन में शक्ति है ये बतला
गए पुरखे और साधु सयाने
भूले तब से हम सब गा रहे
बेबसी औ लाचारी के तराने
राम,
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कवितागीत
रात का डर कभी वहां नहीं
जहां होता है भरपूर प्रकाश
अंधेरा ही उड़ाया करता है
हर शख्स का होशोहवास
समुचित प्रकाश का जहां
कहीं होता उपयुक्त प्रबंध
वहां उपस्थित लोगों का
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
जग
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कवितागीत
बिना कहे ही सब कुछ
मिले,मांगे मिले न भीख
जग में मनुष्य उस रूप में
दिखें जैसा चाहे जगदीश
सबकी ही अपनी मान्यता
अलग अलग हो विश्वास
जैसी ईश्वर की इच्छा हो
वैसा मिले सबको प्रकाश
कहीं धूप, कहीं छांव
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कवितागीत
लोकतंत्र में बहुत कठिन
करना चोर की पहचान
तरह तरह के लबादों में
लिपटे सियासी श्रीमान
एक दूसरे से अलहदा हैं
सबके राजनीतिक लक्ष्य
जनहित के दावे करते हैं
सब पर जनता बने भक्ष्य
देश में विकास की खातिर
बनीं
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कवितागीत
आज जल,जंगल और जमीन
पर जमी पूंजीपतियों की दृष्टि
इन पर कब्ज़ा जमाकर रचना
चाह रहे वो अपने मन की सृष्टि
आज के दौर में सब सरकारें भी
बस धनिकों पर ही रहें मेहरबान
साल दर साल देश में बड़ी होती जा
रही
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कवितागीत
शहर शहर में मची है
दुर्गा महोत्सव की धूम
मंगल की कामना लिए
मां का दर रहे सब चूम
व्रत, उपवास औ साधना
का लोग ले रहे अवलंब
सबकी मंशा यही कि मां
मंगल करें सब कुछ तुरंत
आदि शक्ति की महिमा को
भक्त जन गा
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कवितागीत
रास्ते सबके लिए
खुले रहें दिन रात
आते जाते लोग पर
जुदा सबके जज्बात
कोई रोटी की फ़िक्र ले
पग से नापे हर रोज
कोई वाहनों पे सवार हो
करे जलवा अफरोज
कोई दायित्वों की पूर्ति में
इनको करता रोज साफ
कोई
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गीत
जब तक रहे मानस शुद्ध
तब तक नहीं कोई युद्ध
जब मानस होता है कुंद
तब पसरे शत्रुता की धुंध
कत्ल ओ गारद वहशीपन
की शिकार होती मानवता
साज़िश, अविश्वास, नफ़रत
से पग पग पे इंसां सिसकता
हे प्रभु जग के खलनायकों
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कवितागीत
जब तक रहे मानस शुद्ध
तब तक नहीं कोई युद्ध
जब मानस होता है कुंद
तब पसरे शत्रुता की धुंध
कत्ल ओ गारद वहशीपन
की शिकार होती मानवता
साज़िश, अविश्वास, नफ़रत
से पग पग पे इंसां सिसकता
हे प्रभु जग के खलनायकों
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कवितागीत
इस समूचे ब्रह्मांड के
हम इक छोटे से पिंड
फिर भी ना जाने मन
में क्यों भरा रहे घमंड
राम कृपा से मिली है
यह पंचभूत रचित देह
फिर भी हम नहीं रखते
सब जीवों के प्रति स्नेह
सबको पता है एक दिन
तय इस वसुधा
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कवितागीत
जहां कहीं विश्वास का
होता है प्रबल अभाव
वहां पग पग पे षड्यंत्र
का बढ़ता रहता प्रभाव
खल और छल, छद्म का
आवरण रहता चहुंओर
एक दूजे को अरि सदृश
दिखें सब जीव घनघोर
आशंका के घन गहराते
रहते उस परिवेश
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कवितागीत
खुद पेंशन भत्ता निगल
दूसरों को देते हैं ज्ञान
सचमुच देश के सांसद
दुनिया में बड़े महान
अपने लिए जायज है
कोष से सभी निकासी
दूसरों के सामने रखते
बातें आदर्श से तराशी
अमीरों को देते रहते हैं
लाखों
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कविताभजन, गीत
वादा कर आराधना का
जग में आए सब प्राणी
भव सागर के जाल में
उलझ कर रहे मनमानी
हे प्रभु मुझको दीजिए
अपनी कृपा दिन, रात
हर पल सन्मति,सद्पंथ
की दीजै सुखद सौगात
मानवीय संवेदना बनी
रहे मानस में हर पल
आपके
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कवितागीत
एक का है उजला बदन
दूसरे का बिल्कुल स्याह
पहले को सत्य कहे जग
दूजे को मानता अफवाह
सुगम, सहज सबके लिए
सदा जग में सत्य की राह
जो इसका अवलंबन करे
वो सबसे बड़ा शहंशाह
सत्य को विचलित नहीं
कर सके आंधी
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गीत
हौसले से जग जीतता
रहा है बार बार इंसान
समूचे जग में प्रसिद्ध
हैं ढेर सारे आख्यान
हौसलों ने बदल दिया
विविध देशों का भूगोल
इतिहास चेताया करता
सदा आंखें रखो खोल
दुश्मन जब करता कभी
छिपे तौर पर कोई
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कवितागीत
हौसले से जग जीतता
रहा है बार बार इंसान
समूचे जग में प्रसिद्ध
हैं ढेर सारे आख्यान
हौसलों ने बदल दिया
विविध देशों का भूगोल
इतिहास चेताया करता
सदा आंखें रखो खोल
दुश्मन जब करता कभी
छिपे तौर पर कोई
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कवितागीत
किसी पल या स्तर पर हो
सकती कोई नई शुरुआत
ये सब कुछ होता इंसान
के हौसलों से अकस्मात
ईश्वर की कृपा से मिलती
है इंसान को सटीक राह
जिस पर आगे बढ़ बदल
देता वो इतिहास का प्रवाह
सिकंदर, बाबर, नेपोलियन
सभी
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कवितागीत
जन मानस तक पहुंचे
मेरे संदेशों का निष्कर्ष
उनके मन को करें वो
सब शिद्दत से ही स्पर्श
लोकतंत्र में कायम रहे
जन जन का विश्वास
नियम कानूनों के प्रति
हो धनात्मक अहसास
एक दूजे के मान सम्मान
का रखें
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कवितागीत
संकल्पों से सिद्ध होते
इंसान के सभी काम
इसी गुण के बल चंद्र
पर भेजा गया यान
कल्पनाओं को मूर्त
रूप देते हैं संकल्प
जो संकल्पों के बली
वो रचते नए विकल्प
यदि आप रचना चाहते
जीवन में नया इतिहास
मन
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कवितागीत
जब मन को किसी प्रश्न का
कभी नहीं मिलता कोई हल
ऐसे में मन अधिकांश का
हो जाया करता है विकल
अत्यधिक सोच की दशा में
मन में उत्पन्न होता है तनाव
विकल्पहीनता पैदा करती
है मन में उलझन के भाव
जब किसी मुद्दे
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कवितागीत
भविष्य को रचने के लिए
दिन रात जुटे जी जान से
अच्छे अंक हासिल करके
मंजिल पानी उन्हें शान से
मां बाप और अपने सपनों
को करना है शीघ्र साकार
समाज में सही मुकाम पाने
की लालसा भी करे बेकरार
ये जज्बा
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कवितागीत
कल आज कल में बीत
रहे उम्र के दिन तमाम
जो मानव सेवा करें बस
उनका ही होता है नाम
अच्छे कर्म और व्यवहार
ही दुनिया को रहते याद
अच्छाई के लिए करता हर
व्यक्ति प्रभु से फरियाद
धन, दौलत या संपत्ति से
बड़ी
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कवितागीत
डर, अविश्वास और नफ़रत
सत्ता के सदा रहे हथियार
इनके बल पर विरोधियों को
हाशिए पे फेंकें सभी किलेदार
मतलबी औ क्रूर होता है सत्ता
में बैठा हुआ हर एक रसूखदार
उसको भुनगे से ही नजर आते
आम जनता में शुमार
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कवितागीत
शि़क्षक दिवस पर जीवन में
मिले सब शिक्षकों को प्रणाम
कुछ न कुछ रोशनी मिली
उनसे ही पाया नव आयाम
नया सीखने के लिए पूरी
उम्र भी पड़ जाती है कम
जीवन में सफलता के सू़त्र
शिक्षकों से ही मिले हरदम
जब जब
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कवितागीत
दो पीढ़ियों के सोच विचार
में सदा से अंतर दिखे खास
बुद्धिमान करते रहे उनको
समझने का सतत प्रयास
जिस समाज में वैचारिक
अंतर में होती बहुत खाई
वहां हालात उत्पन्न होते हैं
जनता के लिए दुखदायी
तनाव
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गीत
सबके सिर पर राज कर
रहा है आज सफेद झूठ
जनसेवा के बजाय बनी
सियासत आज खुली लूट
धनार्जन पर ही केंद्रित हैं
जन प्रतिनिधियों के नैन
समस्याओं के संजाल में ही
फंसी जनता हर पल बेचैन
एम पी एम एल ए बन रहे
दागियों
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कवितागीत
सबके सिर पर राज कर
रहा है आज सफेद झूठ
जनसेवा के बजाय बनी
सियासत आज खुली लूट
धनार्जन पर ही केंद्रित है
जन प्रतिनिधियों के नैन
समस्याओं के संजाल में ही
फंसी जनता हर पल बेचैन
एम पी एम एल ए बन रहे
दागियों
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कवितागीत
भाई और बहन के प्रेम
का प्रतीक है रक्षाबंधन
हर साल यह करता है
प्रीति का पुनरावलोकन
एक दूजे के लिए दोनों के
मन में रहता खास लगाव
राखी पर्व भरता है दोनों के
मन में और विशेष उछाह
युगों युगों से सनातनी
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कवितागीत
वेब सीरीज अब बन गए
खुराफातियों के हथियार
पूंजीवादी ताकतें कर रही
इनके जरिए बड़ा व्यापार
सृजन के नाम पर ये कर
रहे अश्लीलता का विस्तार
हर निदेशक को बस प्रसिद्धि
अधिकाधिक धन की दरकार
मर्यादा
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कवितागीत
जिंदगी बहुत खूबसूरत
यह समझे ना हर कोय
प्रभु जिस पर कृपा करें
उसको यह अनुभव होय
पग पग पर बदलें मंजर
अहसासों में भी बदलाव
जीवन सफर में दो चार
हों अनगिनत महानुभाव
बस वो ही दिल पर छपें
जिनमें सहजता
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कवितागीत
अब आत्मनिर्भर मैं कैसे बनूं
असंख्य लबों पर ये सवाल
डिग्रियां पूरी करने वालों को
वर्तमान दशा से बहुत मलाल
कभी देश को बड़ी संख्या में
दिया करते थे जो रोजगार
उनके गले पर ही लटक रही
अब अनिश्चितता
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कवितागीत
एक एक कर तोड़ रहे
वो प्रचलित संस्थान
उनके मानस में पैठा
है विध्वंस का शैतान
जनहित के नाम पर वो
कर रहे हैं खूब मनमानी
महंगाई वृद्धि,बेकारी का
कारण उनकी कारस्तानी
हर उपलब्धि का श्रेय वो
अपने पाले
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कवितागीत
सुकून की तलाश में
चलते रहे दिन रात
अब तक मिला नहीं
उसका ठीहा अज्ञात
हर दिन ढलने के बाद
मन को देते हैं दिलासा
कालांतर में शायद छंटे
मेरे जीवन का कुहासा
ग्रह गोचर का असर है
अजब अपनों से हूं दूर
एकाकीपन
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कवितागीत
पूंजीपतियों का काकश
दिनोंदिन हो रहा मजबूत
उनके नाते ही नष्ट हो रहा
तमाम कानूनों का वजूद
शोषणकारी ताकतें कस
रही समाज पर शिकंजा
उनको कम पैसे में श्रमिक
चाहिए होशियार भला चंगा
पूंजीपतियों के
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कवितागीत
हर शय को दौड़ाता रहता
उसकी ख्वाहिशों का वेग
जो ख्वाहिशों को काबू में
रखे उसे सफलता विशेष
तन, मन, धन और समय
का हर इंसान लगाता दांव
विवेक के समुचित प्रयोग से
ही हासिल होते सही पड़ाव
बहुत ख्वाहिशें
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कवितागीत
मेरे प्यारे वतन को लग गई
धूर्त राजनीतिकों की नजर
स्वार्थकेंद्रिता की पराकाष्ठा
अब आती चहुंओर नजर
जनप्रतिनिधियों को फ़िक्र
नहीं, जनता का क्या हाल
सत्ता मद में डूबीं मचक रही
देश के जन जन बहुत
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कवितागीत
पुरखों के त्याग औ बलिदान
को हमें सदैव रखना है याद
उनके अनथक संघर्ष से हुआ
अपना प्यारा वतन आजाद
स्वतंत्रता दिवस पर अपने
आप से ही पूछिए एक प्रश्न
पुरखों के सपनों को साकार
करने में हम कितने चैतन्य
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कवितागीत
अतीत की बातें हर व्यक्ति
समाज को करती हैं सचेत
देती गलतियों को समझ आगे
की दिशा तय करने का संकेत
प्रगति के लिए बहुत जरूरी है
हम सही कार्ययोजना करें तय
इसके बगैर नहीं हो सकता है
किसी भी समाज का अभ्युदय
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कवितागीत
दुनिया में जब तब गूंजती
रही दो दोस्तों की दास्तान
भारतीय संस्कृति में भी हैं
कई लोकप्रिय आख्यान
कृष्ण सुदामा की मित्रता
सबसे भावपूर्ण मिसाल
कर्ण भी दुर्योधन के लिए
बना आजीवन बड़ा ढाल
श्रीराम
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कवितागीत
मेरी पहली कमाई कब
ये राह देख रहे असंख्य
संवेदनहीन हो चुके हैं अब
लोकतंत्र के तीनों ही स्तंभ
इनकी चिंता में शुमार है
सिर्फ अपना ही उत्थान
ऐसे में देश के करोड़ों युवा
रोजी के लिए हैं हलकान
सरकार
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गीत
सत्ता की उत्कट चाहत तेजाबी
जन जन कुछ कहें चाहें वो कामयाबी
विपक्षियों के जड़ोच्छेद की बेताबी
राजनीति में झूठ का उत्कर्ष
गुम हो गया जन वेदनाओं का विमर्श
फरेबी दावों पर जताते हर्ष
पूंजीपतियों
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कवितागीत
सत्ता की उत्कट चाहत तेजाबी
जन जन कुछ कहें चाहें वो कामयाबी
विपक्षियों के जड़ोच्छेद की बेताबी
राजनीति में झूठ का उत्कर्ष
गुम हो गया जन वेदनाओं का विमर्श
फरेबी दावों पर जताते हर्ष
पूंजीपतियों
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कवितागीत
इंद्रदेव की बेरुखी से बहुत
मायूस अधिसंख्य किसान
कम वर्षा से चौपट होने की
कगार पे खेतों में रोपा धान
सूखे का ही संकेत दे रहे हैं
मेघों के अधिपति इंद्रदेव
इधर दर्श दिखाकर गुम हो
जा रहे मेघों के
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कवितागीत
भागमभाग भरे जीवन में
टानिक सदृश है पिकनिक
प्रकृति के नजारों को देख
इंसान पा जाए सुख तनिक
तनाव और अवसाद के साए
मानस से हो जाते हैं झट दूर
कुछ अंतराल पर पिकनिक
का प्लान आप रखिए जरूर
काम के बोझ से
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कवितागीत
सपना सच हो जाए तो
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
क्या होगी भवतव्यता
बस केवल वही सुविज्ञ
ईश्वर की कृपा से पूर्ण
होते जीव के हर स्वप्न
सन्मति औ सद्मार्ग भी
हरि प्रेरणा के ही रत्न
कर्ता केवल एक है इस
तथ्य
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गीत
चाय के कप के दर्शन नहीं
होते हैं अब छोटे बाजारों में
कागज के छोटे कप में चाय
परोसी जाती है तलबगारों में
महंगाई के मकड़जाल ने जन
जन को जकड़ किया हलकान
हर वस्तु की मात्रा कम होती जा
रही, कीमतों ने
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कवितागीत
चाय के कप के दर्शन नहीं
होते हैं अब छोटे बाजारों में
कागज के छोटे कप में चाय
परोसी जाती है तलबगारों में
महंगाई के मकड़जाल ने जन
जन को जकड़ किया हलकान
हर वस्तु की मात्रा कम होती जा
रही, कीमतों ने
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कवितागीत
ब्रह्मा, विष्णु और महेश ही
सकल चराचर में है व्याप्त
सभी पुराणों ने इनकी ही
महिमा गाई है भली-भांति
पुराणों में उल्लिखित हैं शिव
के विविध अवतार और कृत्य
उनका अध्ययन,मनन,चिंतन
कर धन्य होता है हर
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कवितागीत
मैं तुम्हारा हूं कहना
होता बड़ा आसान
जिम्मेदारी निर्वाह में
विचलित होते इंसान
मनसा,वाचा,कर्मणा
जो रहते सदा साथ
कर्म और व्यवहार में
दृष्टिगोचर हों जज्बात
आत्मीय संबंधों को होती
नहीं है शब्दों
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कवितागीत
ध्यान से सधा करते
जीवन के सब काम
सहज रूप में ध्यान
योग का एक विधान
इसके बल पर मनुष्य
प्राप्त कर लेता देवत्व
ध्यान से योगी मुनियों
को मिला परम तत्व
हर मनुष्य की सफलता
में इसका अहम योगदान
ध्यान
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कवितागीत
सपने ही हर मनुष्य को
रखते हैं सदैव गतिमान
सपनों की पूर्ति को उद्यम
करता भरसक हर इंसान
कुछ सपने हरेक के हो
जाते जीवन में साकार
कुछ लाख प्रयत्न के बाद
भी लेते नहीं मूर्त आकार
जब दुनिया के प्रपंचों
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कवितागीत
भ्रम में जीने को विवश
है जगत का हर जीव
ईश्वर की माया से घिरा
वह हर तरफ से अतीव
सुख, दुख, हर्ष, विषाद
का चक्र चलता लगातार
ऊपर अनंत में बैठा प्रभु
ही इन सबका है दातार
ऋषि,मुनि,सिद्ध संत सब
दिखा गए भक्ति
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गीत
ऊपर बैठा देख रहा
प्रभु सबके गुण कर्म
उसने हिस्से में लिखा
मानवता का ही धर्म
सही पंथ पर चले जो
वो पुण्य के भागीदार
पथ से विचलन देता
जीवन में कष्ट अपार
ममता, करुणा, स्नेह
दया रब के हैं उपहार
रब की
Read More
कवितागीत
ऊपर बैठा देख रहा
प्रभु सबके गुण कर्म
उसने हिस्से में लिखा
मानवता का ही धर्म
सही पंथ पर चले जो
वो पुण्य के भागीदार
पथ से विचलन देता
जीवन में कष्ट अपार
ममता, करुणा, स्नेह
दया रब के हैं उपहार
रब की
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कवितागीत
दिल की धड़कन
जिंदगी का सबूत
रुक जाए तो इंसान
का खत्म हो वजूद
कम या ज्यादा होना
भी खतरे का संकेत
हर इंसान धड़कनों के
आधार पर रहे सचेत
इनकी आवृत्ति से तय
होती इंसान की सेहत
कम या ज्यादा होने पर
पड़े
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कवितागीत
सियासत में झूठ का
होता है परचम बुलंद
ऐसे में जन हित छोड़
नेता सब हुए स्वच्छंद
जब तक जन जन में
चेतना की रहेगी कमी
तब तक भ्रष्टाचारियों
की मुट्ठियां रहेंगी तनीं
हे ईश्वर मेरे देश के लोगों
को देना
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कवितागीत
पुष्पों का अधिपति
माना जाता गुलाब
रूप,गंध और स्वरूप
में इसका नहीं जवाब
बारहों मास खिलता
मोहता है सबका मन
पूजा,आराधन,स्वागत
में उपयोग करें सब जन
औषधीय गुणों से युक्त
है सो आता सबके काम
इससे बने
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कवितागीत
सुबह से हर व्यक्ति की
दिनचर्या की शुरुआत
नई ऊर्जा से भरे रहते
हर आदमी के ख्यालात
दैनिक क्रियाओं से निपट
कर हर शख्स करता काम
पर्याप्त रोटी जुटाने के लिए
करता वो विविध इंतजाम
तन, मन को दुरुस्त
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कवितागीत
न्याय के लिए ही जारी
है पूरी दुनिया में संघर्ष
बलशाली अपनी जीत
पर सतत मना रहे हर्ष
जश्न मनाने वालों को
को निज बल पे गुमान
न्याय हाशिए पर पड़ा
पाने को सही सम्मान
दुनियाभर में शांति को
बने जितने
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कवितागीत
जीवन कथा में शुमार
हैं यादों के पन्ने अनेक
कुछ यादें सुखदायी तो
कुछ मन मंद करें विशेष
सुख और दुख दोनों से
हर व्यक्ति होता दो चार
पर सुख औ सफलता का
हर व्यक्ति होता तलबगार
आत्मबल में वृद्धि को सब
करते
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कवितागीत
मुस्कुराने की वजह मिले
तब जब कृपा करें श्रीराम
उनकी इच्छा बगैर संभव
नहीं जग में कोई भी काम
जड़, जंगम औ जीव सबके
कण कण में वो विद्यमान
पूरी दुनिया याचक सदृश
बस वो ही एक दयानिधान
हे प्रभु करना कृपा
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कवितागीत
अंधे रेवड़ी बांटने में लगे
पहचान के सब कद्रदान
हिंदुस्तान में चमका रहे वो
शिक्षा की अजब दुकान
समाचार के नाम पर परोस
रहे सब मनमाने तथ्य कथ्य
ऐसे में संशय घन से घिरने
को विवश देश में अब सत्य
समाज
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कवितागीत
हे आशुतोष ! मुझे दीजिए
अपनी भक्ति का वरदान
मन मानस तव चरण में
रम पाए सुखद विहान
मेरे वाणी और कर्मों में भी
रहे सदा शुचिता बरकरार
मानवीय मूल्यों में प्रतिबद्धता
बनी रहे हम सबमें बारंबार
जन मन
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कवितागीत
रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान
अब कदम कदम मिलाकर
चलिए जन जन के साथ
सब मिल जुल कर सुधार
सकेंगे बिगड़े हुए हालात
हाथ से हाथ मिला कर
कीजिए सामूहिक ऐलान
एकजुट होकर हम रचेंगे
बिल्कुल अलग हिंदुस्तान
उसमें
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