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चौका - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताछंद

चौका

  • 83
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कहकर वो
बात अपनी हमें
चुप नही थे
कहकर यूँ नग्में

चल रही थी
एक शाम को थामें
बनी बिगड़ी
वो अनकही यादें

महकमें में
उनके कदम थे
सरस प्यारे
मेरे हमदम थे
वो हमकदम थे - नेहा शर्मा

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