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जूठे बेर - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

कहानीअन्य

जूठे बेर

  • 416
  • 4 Min Read

बरसों रमिया ने जिसकी राह तकी आज वह ख़ुद ही उसके दरवाज़े तक आ गया था। वह चेहरे पर वही स्मित हास्य लिए था जो रमिया ने दशहरा मेले में रावण दहन के समय उसके मुख पर देखा था। अपने क्षेत्र के विधायक रघुनाथ के लिए रमिया ने जूठे बेर तो नहीं जुटाए थे, हां! अपने दो बीघा खेत में उगाए मोटे धान से भात जरूर बनाया था। अपने एल्युमिनियम के बर्तन भी उसने दो बार मांज लिए थे
मगर विधायक जी का भोजन और बर्तन तो उनका लवाज़मा साथ ही लाया था। रमिया को तो बस वह भोजन परोसना भर था। साबुन से हाथ धुलवा विधायक की पीए ने जैसे ही उसके हाथों में भात से भरा करछुल दिया कैमरों की फ्लैश लाइट चमक उठी।
"देखिए आज शबरी के घर राम आए हैं।" एक न्यूज़ चैनल की एंकर चीख रही थी और उसका चीखना सुन रमिया सोच रही थी, "क्या सच में शबरी के घर राम आए हैं!"

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

कलियुग के ' राम'..!

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया सर

प्रपोजल
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दादी की परी
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