लेखआलेखनिबन्ध
विषय कोई भी कठिन नहीं है, यदि हम सभी विषयों को कठिन मानने की बजाए मन से उस विषय का अध्ययन करें। फिर भी, कुछ ऐसे भी विद्यार्थी होते हैं जो गणित का नाम सुनते ही अनगिनत प्रश्न करने को आतुर हो जाते हैं, सर! कुछ और पढ़ा दीजिए, इस विषय को आज रहने दीजिए। शिक्षक कभी-कभी इन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं और कक्षा से बिना पढ़ाएं ही बाहर निकल जाते हैं मजबूरन। पर हमें समस्या का समाधान करना होगा, ये तभी संभव है जब शिक्षक इस ओर विशेष पहल करें।
इन बातों को ध्यान में रखकर शिक्षक बच्चों के मन से इस विषय के डर को दूर कर सकते हैं-
१)बच्चों से खुलकर बातें करें:- शिक्षक का कड़ा बरताव कभी-कभी बच्चों की नज़र में शिक्षक की इज्ज़त को शून्य कर देता है। इस स्थिति में शिक्षकों को इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। बच्चों द्वारा गणित विषय नापसंद करने पर उन्हें डाँटने या पनिशमेंट देने की बजाए उनसे इस विषय की खूबियाँ बतानी चाहिए। उनसे खुलकर बातें करनी चाहिए। ताकि बच्चों को यह महसूस हो कि हमारी भावना को भी समझने वाला कोई है।
२)सवाल का सॉल्यूशन रटने की सलाह न दें:- गणित में कुछ प्रश्नों का हल अधिक पेज में बनता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चों को यह शिक्षा दें कि विद्यार्थियों आप सॉल्यूशन को रटें नहीं बल्कि समझें, तत्पश्चात ख़ुद ब्लैंक पेज पर प्रश्न को हल करें। समझकर प्रश्न हल करने से विद्यार्थी को दीर्घकाल तक प्रश्न का सॉल्यूशन स्मरण रहेगा।
३)फॉर्मूला स्मरण के लिए प्रेरित करें:- गणित विषय में फॉर्मूलों का विशेष महत्व है, फार्मूले के बिना हम प्रश्नों को हल नहीं कर सकते हैं, इस बात को विद्यार्थियों को समझाएं। विद्यार्थियों से कहें, कि वे सर्वप्रथम फॉर्मूलों को अच्छे से याद कर लें।
४)नोट्स फ्रेश पेज पर लिखने की सलाह दें:- जो भी नोट्स आपके द्वारा लिखाएं जाते हैं उन सभी नोट्स को फ्रेश पेज पर उतारने की सलाह दें बच्चों को। बच्चे यदि नोट्स सही से उतारेंगे तो उनको प्रश्नों को हल करते वक्त आसानी होगी। नोट्स को एक बार पढ़कर वे सुगमतापूर्वक प्रश्नों को हल कर सकते हैं।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित