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जीत - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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जीत

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  • 9 Min Read

हैप्पी एंडिंग
जीत
खुश थी वह बहुत...,या कहें कि.. कृतज्ञ थी कि उन्होंने उसे नौकरी दे दी थी।बीते कई महीनों से वह नौकरी के लिए जदोज़हद कर रही थी। हताश हो चुकी थी ...लगभग कि यह नौकरी मिल गई!
काम था कंप्यूटर टाइपिंग का। सुबह आठ बजे रिपोर्ट करना और दो बजे छुट्टी।वह तो अपने भाग्य पर इतराने ही लगी।
हमेशा उसका भाग्य अच्छा रहा हो,ऐसा नहीं था।देखने में सुंदर,पढ़ी- लिखी ,कंप्यूटर शिक्षित लड़की थी।तीन बहनें थीं,वह सबसे बड़ी। मां बिस्तर से लगी थीं।पिता की छोटी सी मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान थी।आमदनी इतनी की दोनों समय की रोटी का जुगाड कभी- कभी ही हो पाता था।पिता को नशे की भी लत थी।
पिता को अच्छी दुकान खुलवा देने का लालच देकर पंकज रोजाना उन्हें एक बोतल पकड़ाने लगा।बदले में आरती का हाथ मांग लिया।पिता ने आनन - फानन आरती का हाथ उसके हाथ में दे दिया।शादी कर दी।
कुछ ही दिनों में उसका असली रूप सबके सामने था।वह गंवार और अशिक्षित था।आरती की पढाई - लिखाई और सुंदरता की कद्र करने के बजाय  उस पर ताने कसता,प्रताड़ित करता ।शक्की स्वभाव के कारण बात -बात पर हाथ भी उठाने लगा।
सहने की भी कोई सीमा होती है,आरती ने सोच लिया कि अब और नहीं।अपना सामान उठा कर लौट आई।
अगले कुछ दिनों में आरती ने महसूस किया कि वह मां बनने वाली है।पिता ने चहकते हुए दामाद को यह खबर सुनाई,वहां से जो जवाब आया ,उसे सुनकर  आरती ने उस दिन फैसला लिया कि अब वह उसे बच्चे  का कभी मुंह भी न देखने देगी।
जब आरती को यह नौकरी मिली ,बच्चा लगभग ढाई वर्ष का हो चुका था।
हां,तो यहां इसे वह सब मिला जिसकी यह हकदार थी।आरती मेहनतकश तो थी ही,व्यावहारिक भी थी।जल्दी ही अपने काम से उसने सबका दिल जीत लिया।
उस संस्थान के मालिक के प्रोत्साहित करने पर आरती ने एलएलबी की शिक्षा पूरी की।
आज  आरती के अपने तलाक़ के मुक़दमे की आखिरी सुनवाई थी।
वह जीत गई!
यह  शिक्षा की जीत थी।

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

जीत हिंदी में लिख लीजिये क्योंकि अंग्रेजी मे भी स्पेलिंग मिस्टेक हो रही है। ?

Gita Parihar3 years ago

जी, शुक्रिया

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

Gita Parihar3 years ago

धन्यवाद

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