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दूर ना जाना - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कवितागीत

दूर ना जाना

  • 182
  • 2 Min Read

पास आये हो तुम दोस्ती बनकर,
दूर ना जाना अजनबी बनकर।

परेशां दिल के अधरों पे कभी
मुस्काये नही जहां लफ्ज़ एक भी
ठहर गये वहां तुम हंसी बनकर।

तन्हा राह में कितने तन्हा थे
गुज़रा ना कोई जब हैरां थे
मिल गए मुझको ज़िन्दगी बनकर।

कभी हां कभी ना के ख्यालों में
कुछ कहें ना कहें के इरादों में
उतर आये हो अब यकीं बनकर।

पास आये हो तुम दोस्ती बनकर।
दूर ना जाना अजनबी बनकर।

शिवम राव मणि

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया आपका

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