कविताअतुकांत कविता
कुष्मांडा मात
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जब नहीं जी सृष्टि किया आह्वान
सूर्य प्रभा मुख पर देदीप्यमान।
हास्य से किया सृजन संसार ।
दुष्टों का कुष्मांडा करती संघार
कल्याणी मां विश्वरूपा कहलाए
कुष्मांड बली मां को प्रसन्न कराएं
जीव जंतु सृष्टि मां पर आश्रित
चंचल मन से पूजे रहे ना निराश्रित
अपने संतानों की करती रखवाली
अष्टभुजा वाली करती सिंह सवारी
सरिता सिंह गोरखपुर उत्तर प्रदेश