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Sahitya Arpan - Sarita Singh Singh

कविताअतुकांत कविता

चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा

  • Edited 3 years ago
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  • 228
  • 2 Mins Read

कुष्मांडा मात
🌹🚩🌹🚩🌹🚩🌹🚩

जब नहीं जी सृष्टि किया आह्वान
सूर्य प्रभा मुख पर देदीप्यमान।

हास्य से किया सृजन संसार ।
दुष्टों का कुष्मांडा करती संघार

कल्याणी मां विश्वरूपा कहलाए
कुष्मांड बली
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चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

कहती है आज की नारी

  • Edited 3 years ago
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  • 201
  • 3 Mins Read

शीर्षक: कहती हैं आज की नारी

जब चाहिए दहेज भारी
क्यों चाहिए शिक्षित नारी।

जब करवाना चाकरी बहू से
क्यों चाहिए नौकरी बहू से।

चाहिए दान में कार और मोटर ।
और चाहिए मुफ्त की नौकर।

बहू चाहिए तुमको गाय।
जो
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कहती है आज की नारी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

किरकिरा हुआ काजल

  • Edited 3 years ago
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  • 234
  • 4 Mins Read

कविता :
शीर्षक:किरकिरा हुआ काजल

किरकिरा हुआ काजल साथ छूटा तब ।
हमें भी एहसास हुआ दिल टूटा जब।।

उनका दर्द आंखों से ज़रा निकला जो।
मेरा भी दिल हाथों से जरा फिसला तो।।

आंखों के कोरे से बही जो नयन सरिता
उन
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किरकिरा हुआ काजल,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर

Sarita Singh Singh3 years ago

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सरिता जी कविता के साथ रचना से जुड़ी तस्वीर लगाएं अपनी नहीं

Sarita Singh Singh3 years ago

की सूचना के लिए धन्यवाद चित्र बदल दिया है

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Sarita Singh Singh3 years ago

आपका बहुत शुक्रिया आदरणीय

कविताअतुकांत कविता

जीवनसाथी

  • Edited 3 years ago
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  • 159
  • 4 Mins Read

# जीवनसाथी

हमसफर हमें साथ चलना है।
जल रहे दीया और बाती जैसे हमें भी जलना है।

यदि तुम अर्धांगिनी हो मैं भी व टुकड़ा आधा।
दुख के साथी हर पथ पर खड़ा रहूंगा है ये वादा।

तुम से ही हर अभिलाषा अब हर उन्मेश
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जीवनसाथी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कहानीसामाजिक

औरत बनकर मन भर गया

  • Edited 3 years ago
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  • 256
  • 9 Mins Read

औरत बन कर मन भर गया

जिस सुंदरता पर रोशनी को बहुत गुमान था। आज उसी खूबसूरती पर आज बहुत पछतावा हो रहा । रोशनी चुकी थी अब के जीवन में कभी सुबह नहीं आएगी ।जीवन नर्क बन गया है।बस एक कैद की चिड़िया बनकर
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औरत बनकर मन भर गया,<span>सामाजिक</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मैंने पढ़ी क्षमा करें पर पूर्ण विराम आदि विराम चिन्हों की कमी खटक रही है विराम

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सरिता जी आपका प्रयास निस्संदेह बहुत अच्छा है मगर मेरी आपको सलाह है कि आप अपनी इस रचना को तीन चार बार ध्यान से पढ़ें और इसके शिल्प में सुधार का प्रयत्न करें। फिर यह रचना और भी अच्छी हो जाएगी

Sarita Singh Singh3 years ago

प्रशंसा के लिए धन्यवाद अंकिता भार्गव जी जी मैंने एडिट कर दिया है आप देखें

कविताअतुकांत कविता

सूरज नहीं बुझने दूंगा

  • Edited 3 years ago
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  • 210
  • 3 Mins Read

****( सूरज से लड़ लूंगा) ***

अपने जीवन की यूहीं शाम नहीं होने दूंगा
उम्मीदों का यूं ही सूरज नहीं बुझने दूंगा।

भले ही सुबह से शाम हो जाए
भले ही मेरा यह तन थक जाए।

मैं लड़ लूंगा अपनी किस्मत से।
मैं भी सूरज
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सूरज नहीं बुझने दूंगा,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Sarita Singh Singh3 years ago

जी आपका धन्यवाद

कहानीलघुकथा

मास्क वाली रजिया दर्जी

  • Edited 3 years ago
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  • 157
  • 10 Mins Read

लघु कथा
रजिया दर्जी

रजिया की कपड़े सिलाई की दुकान महीनों से बंद पड़ी थी, पति शकील रिक्शा चलाकर कुछ पैसे कमा लाता उसी से घर का गुजारा चल रहा था पिछले हफ्ते वह भी करोना की बलि चढ़ गया।
सर पर हाथ धरे
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मास्क वाली रजिया दर्जी ,<span>लघुकथा</span>
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Sarita Singh Singh

Sarita Singh Singh 3 years ago

रचना के साथ प्रस्तुत फोटो गूगल द्वारा प्राप्त है

नेहा शर्मा3 years ago

आपने यदि यह रचना प्रतियोगिता हेतु लिखी है तो आप हैश टैग लगाना भूल गयी।

लेखअन्य

याद करने का हुनर सीख लिया

  • Edited 3 years ago
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  • 113
  • 13 Mins Read

नमन मंच साहित्य अर्पण
प्रतियोगिता हेतु रचना दिनांक 25/11/2020
विषय: आप भी कुछ रख कर भूल जाते हैं

*****लघु कथा********

चीजें रख कर भूलने की आदत तो मेरी पुरानी थी हर काम की जल्दबाजी से रहती बीते वर्ष टीईटी की परीक्षा
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याद करने का हुनर सीख लिया,<span>अन्य</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

यह संस्मरण है

Sarita Singh Singh3 years ago

जी मेरे जीवन का एक किस्सा