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कविताअतुकांत कविता
कुष्मांडा मात
🌹🚩🌹🚩🌹🚩🌹🚩
जब नहीं जी सृष्टि किया आह्वान
सूर्य प्रभा मुख पर देदीप्यमान।
हास्य से किया सृजन संसार ।
दुष्टों का कुष्मांडा करती संघार
कल्याणी मां विश्वरूपा कहलाए
कुष्मांड बली
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक: कहती हैं आज की नारी
जब चाहिए दहेज भारी
क्यों चाहिए शिक्षित नारी।
जब करवाना चाकरी बहू से
क्यों चाहिए नौकरी बहू से।
चाहिए दान में कार और मोटर ।
और चाहिए मुफ्त की नौकर।
बहू चाहिए तुमको गाय।
जो
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कवितालयबद्ध कविता
कविता :
शीर्षक:किरकिरा हुआ काजल
किरकिरा हुआ काजल साथ छूटा तब ।
हमें भी एहसास हुआ दिल टूटा जब।।
उनका दर्द आंखों से ज़रा निकला जो।
मेरा भी दिल हाथों से जरा फिसला तो।।
आंखों के कोरे से बही जो नयन सरिता
उन
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सरिता जी कविता के साथ रचना से जुड़ी तस्वीर लगाएं अपनी नहीं
की सूचना के लिए धन्यवाद चित्र बदल दिया है
कहानीसामाजिक
औरत बन कर मन भर गया
जिस सुंदरता पर रोशनी को बहुत गुमान था। आज उसी खूबसूरती पर आज बहुत पछतावा हो रहा । रोशनी चुकी थी अब के जीवन में कभी सुबह नहीं आएगी ।जीवन नर्क बन गया है।बस एक कैद की चिड़िया बनकर
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मैंने पढ़ी क्षमा करें पर पूर्ण विराम आदि विराम चिन्हों की कमी खटक रही है विराम
सरिता जी आपका प्रयास निस्संदेह बहुत अच्छा है मगर मेरी आपको सलाह है कि आप अपनी इस रचना को तीन चार बार ध्यान से पढ़ें और इसके शिल्प में सुधार का प्रयत्न करें। फिर यह रचना और भी अच्छी हो जाएगी
प्रशंसा के लिए धन्यवाद अंकिता भार्गव जी जी मैंने एडिट कर दिया है आप देखें
कविताअतुकांत कविता
****( सूरज से लड़ लूंगा) ***
अपने जीवन की यूहीं शाम नहीं होने दूंगा
उम्मीदों का यूं ही सूरज नहीं बुझने दूंगा।
भले ही सुबह से शाम हो जाए
भले ही मेरा यह तन थक जाए।
मैं लड़ लूंगा अपनी किस्मत से।
मैं भी सूरज
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कहानीलघुकथा
लघु कथा
रजिया दर्जी
रजिया की कपड़े सिलाई की दुकान महीनों से बंद पड़ी थी, पति शकील रिक्शा चलाकर कुछ पैसे कमा लाता उसी से घर का गुजारा चल रहा था पिछले हफ्ते वह भी करोना की बलि चढ़ गया।
सर पर हाथ धरे
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रचना के साथ प्रस्तुत फोटो गूगल द्वारा प्राप्त है
आपने यदि यह रचना प्रतियोगिता हेतु लिखी है तो आप हैश टैग लगाना भूल गयी।
लेखअन्य
नमन मंच साहित्य अर्पण
प्रतियोगिता हेतु रचना दिनांक 25/11/2020
विषय: आप भी कुछ रख कर भूल जाते हैं
*****लघु कथा********
चीजें रख कर भूलने की आदत तो मेरी पुरानी थी हर काम की जल्दबाजी से रहती बीते वर्ष टीईटी की परीक्षा
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यह संस्मरण है
जी मेरे जीवन का एक किस्सा