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विघ्नहर्ता मंगल कर्ता - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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विघ्नहर्ता मंगल कर्ता

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गणेश चतुर्थी के अवसर पर
विघ्नहर्ता मंगलकर्ता
रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं।भक्त उन्हें विघ्नहर्ता मंगलकर्ता कहते हैं। गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं। उनकी पूजा-अर्चना करने से शुभ-लाभ प्राप्त होता है।धन-धान्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
गणेश चतुर्थी पर बप्पा की पूजा करने से शनि की वक्रदृष्टि तथा ग्रहदोष से भी मुक्ति मिलती है और गणेश जी की कृपा से समस्त कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं। विघ्नहर्ता भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।हिन्दू धर्म में गणेश जी को सभी देवों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त है और प्रत्येक पूजा या कोई भी शुभ कार्य करने से पहले उनकी पूजा करने का विधान है। भगवान शिव ने ही यह विशेष वरदान उन्हें दिया था।माना जाता है कि विघ्नहर्ता श्रीगणेश शुभ कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।भगवान गणेश की पूजा से कई वास्तुदोषों का भी निवारण होता है।

उनकी पूजा सभी देवी-देवताओं में सबसे सरल मानी जाती है। गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। इस अक्षर के मंत्र का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि देता है।मंत्रों से पूजित विघ्नहर्ता भगवान गणपति की प्रतिमा नए घर में स्थापित करने से आर्थिक परेशानी, कलह, विघ्न, अशांति, क्लेश, तनाव, मानसिक संताप दूर होते हैं।

शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व अपने मैल से एक बालक उत्पन्न कर उसे अपना द्वारपाल का जिम्मा सौंपा और स्नान करने लगीं। जब वे स्नान कर रही थीं, तब अचानक भगवान शिव पधारे, लेकिन द्वारपाल बने बालक ने उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। यह देख शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया,लेकिन बालक को पराजित नहीं कर सके। क्रोधित शिव ने अपने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया।जब पार्वती नहा कर आईं, तो यह दृश्य देखकर वह अत्यंत क्रोधित हो गईं। उन्होंने प्रलय करने का निश्चय कर लिया।यह जानकर देवलोक भयाक्रांत हो उठा। देवताओं ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया। भगवान शिव ने निर्देश दिया कि उत्तर दिशा में सबसे पहले जो भी प्राणी मिले, उसका सिर काटकर ले आएं। विष्णु उत्तर दिशा की ओर गए तो उन्हें सबसे पहले एक हाथी दिखाई दिया। वे उसी का सिर काटकर ले आए और शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। पार्वती उसे पुनः जीवित देख बहुत खुश हुई और तब समस्त देवताओं ने बालक गणेश को अनेकानेक आशीर्वाद दिए।
भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कोई भी शुभ कार्य यदि गणेश की पूजा करके शुरू किया जाएगा तो वह निर्विघ्न सफल होगा।उन्होंने गणेश को अपने समस्त गणों का अध्यक्ष घोषित करते हुए आशीर्वाद दिया कि विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

एक प्रचलित लोककथा के अनुसार भगवान शिव का एक बार त्रिपुरासुर से भीषण युद्ध हुआ। युद्ध शुरू करने से पहले उन्होंने गणेश को स्मरण नहीं किया, इसलिए वे त्रिपुरासुर से जीत नहीं पा रहे थे। उन्हें जैसे ही इसका भान हुआ, उन्होंने गणेश जी को स्मरण किया और उसके बाद आसानी से त्रिपुरासुर का वध करने में सफल हुए।

बुद्धि, विवेक, धन-धान्य और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा गणेश चतुर्थी के दिन प्रायः दोपहर के समय ही की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि विध्नहर्ता गणेश का जन्म मध्यान्ह के समय हुआ था।मंगलमूर्ति गणेश जी को लड्डू और चूहा बेहद प्रिय हैं।

गीता परिहार
अयोध्या

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