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मैं आश्चर्य करता हूँ - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मैं आश्चर्य करता हूँ

  • 115
  • 4 Min Read

मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
किस तरह पेड़ एक जगह रहकर ही
हम इंसानों को बहुत कुछ देता है
खाने के लिए स्वादिष्ट फल एवं जीने के लिए ऑक्सीजन।।

मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
माँ धरती कितना दर्द सहन करती है
इंसान कितना सताता है धरती माँ को
फिर भी धरती माँ हम से कुछ भी नही कहती है।।

मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
एक गरीब सहन करता है कितना कुछ
गरीबी का दर्द, तो कभी ज़िन्दगी से आँसू
फिर भी लड़ता है एक गरीब ज़िन्दगी से डरकर नहीं डटकर।।

मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
किस तरह एक माँ संभालती है पूरे परिवार को
ख़ुद सहन करती है कष्ट पर
परिवार के हर सदस्य को ख़ुश रखती है।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

बिल्कुल सही

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद आपका

Anjani Tripathi

Anjani Tripathi 3 years ago

बहुत सुंदर

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद मैम

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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