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Sahitya Arpan - Priyanka Tripathi

कवितालयबद्ध कविता

होली

  • Edited 3 years ago
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  • 426
  • 4 Mins Read

होली

होली खूब मस्ती से, सराबोर होकर खेले।
पर सावधानीपूर्वक, सकारात्मकता के साथ।।

गीले रंगों को तजकर, सूखे रंगों की करें बौछार।
जल का संरक्षण कर, खुशियां बांटें अपार।।

होलिका दहन मे,जला दें सारी
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होली,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आपने यह प्रत्तियोगिता में ऐड नही की है।

कविताबाल कविता

विद्यालय

  • Edited 3 years ago
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  • 119
  • 4 Mins Read

विधालय

मै ऐसा विधालय बनाऊंगी
बाबा रामदेव को बुलाऊंगी
योग का पाठ पढ़ाएंगे
बच्चे हष्ट-पुष्ट हो जाएंगे
भारत को रोग मुक्त बनाएंगे//1

मै ऐसा विधालय बनाऊंगी
श्री रविशंकर को बुलाऊंगी
सभ्यता संस्कार
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विद्यालय,<span>बाल कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

ध्रुवतारा बन जाएंगे

  • Edited 3 years ago
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  • 752
  • 3 Mins Read

ध्रुवतारा बन जाएंगे

पुराना सब कुछ भुलाकर,
नए साल मे कुछ ऐसा कर जाएंगे।
सपनो के पंख लगाकर,
आशाओं के फूल खिलाएंगे।।

हिम्मत की मशाल लेकर,
नदियों सा अविरल बहते जाएंगे।
हिमालय सा सीधा तनकर,
स्वाभिमान
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ध्रुवतारा बन जाएंगे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Anil Mishra Prahari

Anil Mishra Prahari 2 years ago

Bahut sunder rachana.

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वीरता के ओज और उत्साह को दर्शाती रचना

Ritu Garg

Ritu Garg 3 years ago

बहुत बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद मैम

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर 🙏

कवितालयबद्ध कविता

यह साल कैसा रहा #2020

  • Edited 3 years ago
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  • 125
  • 5 Mins Read

यह साल कैसा रहा

यह साल कैसा रहा।
करते है इस पर चर्चा।।

चीन ने बिना हथियार के आतंक मचाया।
पूरे विश्व मे कोरोना का भय छाया रहा।।

मनुष्य घरों मे कैद हुआ, सड़क गली मे सन्नाटा छाया।
जानवरों ने समझा धरती
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यह साल कैसा रहा #2020,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आदरणीया यदि यह रचना प्रतियोगिता हेतु है तो आप ऐड a टैग में टैग लिखना भूल गयी।

Priyanka Tripathi3 years ago

मैम कर दिया है कृपया देखें धन्यवाद 🙏

कवितालयबद्ध कविता

नन्ही कली

  • Edited 3 years ago
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  • 174
  • 3 Mins Read

नन्ही कली

नन्ही कली की तमन्ना है
मैं भी फूलो की तरह खिलू
चारो तरफ खुशबू फैलाऊं
रंग बिरंगी तितलियों की तरह
इठलाऊं इतराऊ
फूलो के रंगों चुराऊ
कोयल की तरह मधुर राग सुनाऊं
मोरनी की तरह पखं फैलाकर झूम
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नन्ही कली,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Anjani Tripathi

Anjani Tripathi 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

Priyanka Tripathi3 years ago

जी धन्यवाद

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार 🙏

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत नैसर्गिक तमन्ना है।

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार 🙏

कविताअतुकांत कविता

मै शून्य हूं

  • Edited 3 years ago
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  • 172
  • 4 Mins Read

आज गणित दिवस है तथा महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन जी का जन्मदिन है इसी उपलक्ष्य में मेरी कविता पढ़िए.....

मै शून्य हूं

हां स्वीकार है मुझे
मैं शून्य हूं
पूरा ब्रह्माण्ड मुझमें समाया
विधाता की
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मै शून्य हूं,<span>अतुकांत कविता</span>
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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

जी धन्यवाद

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

'' शून्य '' बहुत ही महत्वपूर्ण है..!

लेखआलेख

बच्चो की सहजता छीन ली

  • Edited 3 years ago
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  • 333
  • 13 Mins Read

लेख - बच्चो की सहजता छीन ली

'बचपन'स्मृति पटल पर आते ही मन भाव विभोर हो उठता है।बचपन कितना आनन्ददायक होता था। लड़के गेंद से तो कभी गुल्ली डंडे से खेलते थे वहीं लडकियां गुड़िया गुड्डो से खेलना पसंद
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बच्चो की सहजता छीन ली,<span>आलेख</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और वास्तविक आंकलन. पहले घर के सभी सदस्य बच्चों के साथ समय व्यतीत करते थे. सोशल मीडिया था नहीं. टीवी के कार्यक्रम भी सीमित किन्तु मर्यादित होते थे. बच्चे भावनात्मक रूप से घर के सभी सदस्यों से जुड़े रहते थे. अब एकल परिवार, गैजेट्स., माता पिता की अति व्यस्तता ने बच्चों को अकेला कर दिया है.

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर

कवितालयबद्ध कविता

मनमोहिनी

  • Edited 3 years ago
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  • 379
  • 3 Mins Read

।।मनमोहिनी।।

मन को छू ले ऐसी है काया।
ऐसे ही फलती रहे देती है छाया।।

तुझे बार बार मै देखूं।
मन ही मन पुलकित हो जाऊं।।

तु जूही चम्पा चमेली।
झूमे अमवा की डाली।।

नदियां बरखा तेरी सहेली।
हवाओं संग
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मनमोहिनी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद आन्टी

Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

बहुत खूब रचना

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

कविताअतुकांत कविता

कलम से लगन लगी

  • Edited 3 years ago
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  • 902
  • 8 Mins Read

स्वरचित::कलम से लगन लगी.......

आज मेरा मन कविमय हो गया
शब्दों के रस में में डूबकर भाव विभोर हो गया
कलम से ऐसी लगन लगी कि
सबकुछ लिखने को तैयार हो गया
आज मेरा मन कविमय हो गया!!

स्त्री पर लिखूं तो
मन खिन्न
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कलम से लगन लगी,<span>अतुकांत कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर रचना, वाह!

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद 🌷😃

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता

प्रेम पथिक

  • Edited 3 years ago
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  • 174
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक :: प्रेम पथिक

चाह मेरी मैं राधा बन जाऊं
वंशी की धुन पर दौड़ी आऊं
गोपियों संग नाचूं थिरकू
कान्हा की मुरली बन जाऊं
मैं प्रेम पथिक कहलाऊं!!!

चाह मेरी मैं मीरा बन जाऊं
नित नए भजन मैं गांऊ
कृष्ण
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प्रेम पथिक,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर ?

Main Pal

Main Pal 3 years ago

अति सुन्दर अभिव्यक्ति

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद आपका

कवितालयबद्ध कविता

शब्द

  • Edited 3 years ago
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  • 171
  • 2 Mins Read

#चित्रकविता
शब्द

रात घनी थी....
सपनो की दुनिया मे खोई थी
शब्दो से मुलाकात हो गई
उसने मुझसे कुछ इस तरह कहा
मै कलम की संगिनी हू
मुझको पंक्तियो मे पिरो दो
कोई ऐसी कविता गढ़ दो
पन्नो का श्रृंगार हो जाए
कुछ
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शब्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार ?

Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद ?

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर लिखा

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

कहानीसंस्मरण

भुलक्कड़

  • Edited 3 years ago
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  • 201
  • 4 Mins Read

संस्मरण
भुलक्कड़
# किस्सा/कहानी

बात भूलने की चल रही है तो सच बताऊं भूल तो मैं भी जाती हूं अक्सर अपना चस्मा।मैं अक्सर अपना चस्मा काम करते वक्त सिर पर बालो मे फंसा लेती हूं और भूल जाती हूं फिर पूरे
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भुलक्कड़,<span>संस्मरण</span>
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कवितालयबद्ध कविता

क्या लिखूं

  • Edited 3 years ago
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  • 362
  • 3 Mins Read

क्या लिखूं

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती
या दर्द भरी कोई कहानी
सोचती हूं क्या लिखूं ।

जीवन एक फसाना है
आना और जाना है
संघर्ष करते हुए
हंसते हंसते जीवन बिताना है ।

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख
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क्या लिखूं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 2 years ago

विलक्षण

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार ?

कवितालयबद्ध कविता

बचपन

  • Edited 3 years ago
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  • 213
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: बचपन

बचपन की बतियां बचपन की गलियां
बहुत याद आती है बचपन की सखियां।

बचपन का हसना बचपन का खेलना
बहुत गुदगुदाता है बचपन का तुतलाना।

पापा से डरना मां के आंचल मे छुपना
बहुत भावुक करता
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बचपन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बचपन की मासूमियत भरी यादें।

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार ??

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बचपन की खूबसूरत स्मृतियाँ..!

Priyanka Tripathi3 years ago

Thankyou sir ?

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

Thankyou ?

कवितालयबद्ध कविता

मणिकर्णिका

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 6 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: मणिकर्णिका

ब्राम्हण कुल में जन्मी,एक कन्या निराली थी।
नाम था मणिकर्णिका,मनु नाम से जानी जाती थी।
शस्त्र शास्त्र की शिक्षा लेती,अद्भुत चंचल छबीली थी।
बरछी ढाल कृपाण कटारी,उसको
Read More

मणिकर्णिका,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह, वीरांगना की कहानी को प्रस्तुत करने का अनूठा ढंग!

Priyanka Tripathi3 years ago

Thankyou very much ??

कवितालयबद्ध कविता

नारी ही नारी की सूत्रधार है!

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 180
  • 5 Mins Read

स्वरचित मौलिक :: नारी ही नारी की सूत्रधार है!

नारी ही नारी की सूत्रधार है!
फिर नारी ही नारी से क्यो परेशान है?
हर नारी सुखी रहना चाहती है!
फिर नारी ही नारी के सुख से क्यो हैरान है?
नारी कृपालु, दयालु,
Read More

नारी ही नारी की सूत्रधार है!,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

मंथन योग्य प्रश्न हैं,हर नारी जवाबदेह है। बहुत खूब।

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद ?

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद ?

कवितालयबद्ध कविता

कफ़न में लिपटकर आना है

  • Edited 3 years ago
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  • 145
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक::कफ़न मे लिपट कर आना है

मां अब समय आ गया
मुझे युद्ध भूमि मे जाना है।
भारत मां पुकार रही
उसकी लाज बचाना है।।

मां मुझे आज्ञा दो
देखो दुश्मन ललकार रहा है।
मत जकङो ममता की बेड़ियों मे
दुश्मन
Read More

कफ़न में लिपटकर आना है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

जय हिंद

Priyanka Tripathi3 years ago

जय हिन्द

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सुंदर गीत

Priyanka Tripathi3 years ago

Thankyou very much

कवितालयबद्ध कविता

सुरभित मुखरित पर्यावरण

  • Edited 3 years ago
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  • 340
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: सुरभित मुखरित पर्यावरणीय

मै पतित पावन प्रकृति,
वसुंधरा का वरदान हूं।
धानी रंग की चुनरीया मेरी,
लताओं पुष्पों से सजी धजी हूं।
हिम पर्वत आकाश,
को धारण करती हूं।

Read More

सुरभित मुखरित पर्यावरण,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

Thanks??

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

Anupma Anu

Anupma Anu 3 years ago

बहुत सुंदर सृजन

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना..!

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

कवितालयबद्ध कविता

गणपति बप्पा मोरया

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 133
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक :: विध्ंहर्ता गणपति बप्पा

जय गणपति बप्पा मोरया....
तुम्हरे जैसा कोई ना!
गौरा के हो राज दुलारे!
भ्राता कार्तिक के अति प्यारे!
शिव की आंखों के तारे!
जय गणपति बप्पा मोरया....
तीक्ष्ण बुद्धि
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गणपति बप्पा मोरया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

गणपति की बहुत सुन्दर वंदना..!

Priyanka Tripathi3 years ago

हादिँक अभिनन्दन?

कवितालयबद्ध कविता

मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 154
  • 5 Mins Read

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
दर्द को सीने मे दफनाकर हरदम मुस्कुराया करती
थी।

हमने तुम संग प्रीत लगाई ,
प्रीत संग ही रीत नीभाई,
रीत ने जो हमको दर्द
Read More

मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह वाह

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद आन्टी??

कवितालयबद्ध कविता

सघंर्ष

  • Edited 3 years ago
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  • 139
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: सघंर्ष

सूर्यं की तरह अटल
प्रतिदिन प्रतिपल
अनवरत सकंल्प ले
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!

बाधा कोई भी आए
डरना नही घबराना नही
गीर उठ सभंल
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!

सत्य अहिंसा अपनाकर
धर्म
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सघंर्ष ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह वाह

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद आन्टी

कवितालयबद्ध कविता

नादान परिंदे

  • Edited 3 years ago
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  • 125
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: नादान परिंदे

क्यो छाई है,
अतंरद्वन्द की बदरी।
तेरे ब्याकुल मन मे,
ऐ नादान परिंदे।।

क्यों मन कैद है,
मायूसी के पीजंरे मे।
तोड़ दे निराशा की जंजीरे,
ऐ नादान परिंदे।।

वक्त है तेरा,
वक्त
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नादान परिंदे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया जी। पिंजरा

Priyanka Tripathi3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद?

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया जी। पिंजरा

Priyanka Tripathi3 years ago

???

कवितालयबद्ध कविता

मुमकिन हो सफर हो आसां

  • Edited 3 years ago
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  • 234
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: मुमकिन हो सफर हो आसां

मुमकिन हो सफर हो आसां,
अब साथ भी चल कर देखे।
कुछ तुम भी बदल कर देखो,
कछ हम भी बदल कर देखे।।

मुमकिन हो सफर हो आसां..

माना की तुम्हारे पास काम बहुत है,
पर हम भी बेकार
Read More

मुमकिन हो सफर हो आसां,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

सकारात्मक रचना

Priyanka Tripathi3 years ago

शुक्रिया?

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

सुंदर रचना..!

Priyanka Tripathi3 years ago

Thanku??

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद् आपका??

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

हादिँक आभार??

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Priyanka Tripathi3 years ago

सादर आभार सर?

कवितालयबद्ध कविता

सत्ता के नशे मे चूर हो

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 171
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक::सत्ता के नशे मे चूर हो

सत्ता के नशे मे चूर हो,
क्यो तुम इतने मगरूर हो।
चार दिन की चांदनी है,
समझो अब सत्ता से दूर हो।

हाथ जोड़ कर वोट मांगते हो,
कसमे वादे हजार खाते हो।
कुर्सी पर बैठते
Read More

सत्ता के नशे मे चूर हो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

सत्य का दर्पण

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर?

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बिल्कुल बहुत बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद??

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बहुत खूब

Priyanka Tripathi3 years ago

हादिँक आभार?

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

यह सच है कि बहुत से लोग सत्ता पाने के लिए ही लुभावने वादे करते हैं और बाद में भूल कर मनमानी करते हैं.

Priyanka Tripathi3 years ago

जी बिल्कुल सही ?

कवितालयबद्ध कविता

दिखा दे शक्ति का अवतार है तू

  • Edited 3 years ago
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  • 316
  • 4 Mins Read

स्वरचित मौलिक:: दिखा दे शक्ति का अवतार है तू

हे नारी उठ
उठा ले भाल,कृपाण,त्रिशूल
बन जा रणचङी,दुर्गा,भवानी
अब तेरी है बारी
तुझे स्वयं लेना है प्रतिकार
नही है तू अबला
बन जा सबला
दिखा दे शक्ति का अवतार
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दिखा दे शक्ति का अवतार है तू,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बेहतरीन

Priyanka Tripathi3 years ago

Thanks

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Priyanka Tripathi3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद?

Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

नारी को अब स्वयंसिद्धा बनना ही है.

Priyanka Tripathi3 years ago

बिल्कुल

कविताअतुकांत कविता

श्रम साधक को विश्राम नही 

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 165
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक::श्रम साधक को विश्राम नही

आशा के दीप जलाकर
हदय मे लक्ष्य साधकर
तप के पथ पर
तू चल दिया रे साधक
हां!श्रम साधक को विश्राम नही!!!

प्रकाश की खोज मे
नित नए प्रयोग
Read More

श्रम साधक को विश्राम नही ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

मुझे आसमां छूने दो

  • Edited 3 years ago
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  • 305
  • 4 Mins Read

#स्वरचित:: मुझे आसमां छूने दो

मुझे आसमां छूने दो
मेरे अरमानों को उड़ने दो
मैं कोई पक्षी नही
जो मेरे पर कतर दो
मुझे आसमां छूने दो।।

तुम्हारी तरह मेरे अंदर भी
मेरा मन मेरी आत्मा है
मेरी सांसें चलती
Read More

 मुझे आसमां छूने दो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

सार्थक

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad apka

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत ही उम्दा

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad ??

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Priyanka Tripathi3 years ago

Sadar abhar

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad apka

कविताअतुकांत कविता

मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 210
  • 3 Mins Read

***मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं***

मैं धरा हूं
जन मानस की जननी
तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाओं से घायल हूं
मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं!

मै स्त्री हूं
असंख्य भूमिकाएं अदा करती
तुम्हारी पराकाष्ठाओ पर बली चढ़ी हूं
मौन
Read More

 मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं,<span>अतुकांत कविता</span>
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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

प्रशंसनीय.... रचना...।

Priyanka Tripathi3 years ago

Sadar abhar

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

सार्थक

Priyanka Tripathi3 years ago

Sadar abhar ??

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad apka

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत बढ़िया, बिल्कुल सत्य

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad apka

कवितालयबद्ध कविता

मैं गंगा मां हूं

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 207
  • 6 Mins Read

#करूण रस से ओत-प्रोत
#स्वरचित मौलिक : मै गंगा मां हूं

स्वर्ग से उतरी हूं ! मैं हूं बहती धारा!
तुम मुझे मानो तो जग है मुझमें सारा!
हां गंगा मां हूं!
मैं गंगा मां हूं!

धरती को पावन करती!
मैं निर्मल
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मैं गंगा मां हूं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Priyanka Tripathi3 years ago

Dhanayavad sir

कवितालयबद्ध कविता

मेरा मन

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 233
  • 3 Mins Read

स्वरचित मौलिक:मेरा मन

मेरा मन न जाने क्यों?
पवन संग उड़ना चाहे
घटाओं संग बरसना चाहे
कोयल संग कूकना चाहे
फूलो संग महकना चाहे
मेरा मन न जाने क्यों?

आसमानों पर घर बनाऊ
चांद तारों संग टिमटिमाऊ
सुबह
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मेरा मन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत खूब....

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद ?

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Priyanka Tripathi3 years ago

शुक्रिया

कवितालयबद्ध कविता

बेटी को पराया धन न कहना

  • Edited 3 years ago
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  • 177
  • 5 Mins Read

स्वरचित मौलिक:# बेटी को पराया धन न कहना

बाबुल के बगिया की चिरैया हूं
एक दिन बिन पंख उड़ जाऊंगी।
बाबुल के घर आंगन को सूना कर
यादों की पोटली संग घर से विदा हो जाऊंगी।
मन व्यथित कर देता ये कैसी रीत जहां
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बेटी को पराया धन न कहना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण स्रजन..!

Priyanka Tripathi3 years ago

Bahut bahut dhanayavad

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत ही सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

शुक्रिया आभार

कविताअतुकांत कविता

तुझमे हुनर है

  • Edited 3 years ago
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स्वरचित मौलिक:: तुझमें हुनर है

तुझमें हुनर है ,
तो आगे बढ़।
अपने हुनर की एक,
इमारत तो खड़ी कर।
उसमे हजार हुनरमंद ,
तु तैयार तो कर।
अपने हुनर की एक ,
मिशाल तो खड़ी कर।
उस हुनर से हजारों के ,
घर माहताब तो
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तुझमे हुनर है,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बेहतरीन

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

शानदार...

Priyanka Tripathi3 years ago

आपका हार्दिक आभार धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता

हिंदी

  • Edited 3 years ago
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स्वरचित मौलिक:: हिंदी

हिंदी घबराई सकुचाई सी !
पहुंची भाषा के दरबार !
सभा लगी थी भाषाओं की !
हिंदी बिचारी लाचार खड़ी थी !

हिंदी को तन्हा खड़ा देख !
अन्य भाषाओं ने तंज कसा !
हिंदी तो टूटी-फूटी चरमराई है
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हिंदी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद ?

कवितालयबद्ध कविता

हम भारत ‌की बेटी

  • Edited 3 years ago
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स्वरचित मौलिक:: हम भारत की बेटी

शरहद पर मरना जानती
दुश्मनों को चीरकर
आगे बढ़ना जानती
देश पर कुर्बान हो जाती।।
हम भारत की बेटी........

तूफानों से नही डरती
अंगारों पर भी चलती
मन मे शूल पड़े तो
चट्टानों
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हम भारत ‌की बेटी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

जी बहुत बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार धन्यवाद

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बहादुर बेटियां

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

कविताअतुकांत कविता

बेटियां नूर है

  • Edited 3 years ago
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स्वरचित मौलिक:: बेटियां नूर है

बेटियां नूर है
ईश्वर का दिया हुआ कोहिनूर है।

इनमें इतना तेज भर दो...
कि घूरने वाला भी भस्म हो जाए।

इनमें इतना वेग भर दो...
कि छूने वाला भी डूब जाए।

इन्हें इतना जिम्मेदार
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बेटियां नूर है,<span>अतुकांत कविता</span>
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