#Priyanka Tripathi
BSc(Maths),DCA,MCA,BEd
Poetess, writer, blogger,nature,Desh bhakti, motivational speaker
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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
ध्रुवतारा बन जाएंगे
पुराना सब कुछ भुलाकर,
नए साल मे कुछ ऐसा कर जाएंगे।
सपनो के पंख लगाकर,
आशाओं के फूल खिलाएंगे।।
हिम्मत की मशाल लेकर,
नदियों सा अविरल बहते जाएंगे।
हिमालय सा सीधा तनकर,
स्वाभिमान
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कवितालयबद्ध कविता
यह साल कैसा रहा
यह साल कैसा रहा।
करते है इस पर चर्चा।।
चीन ने बिना हथियार के आतंक मचाया।
पूरे विश्व मे कोरोना का भय छाया रहा।।
मनुष्य घरों मे कैद हुआ, सड़क गली मे सन्नाटा छाया।
जानवरों ने समझा धरती
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आदरणीया यदि यह रचना प्रतियोगिता हेतु है तो आप ऐड a टैग में टैग लिखना भूल गयी।
मैम कर दिया है कृपया देखें धन्यवाद 🙏
बहुत सुंदर रचना
जी धन्यवाद
हार्दिक आभार 🙏
कविताअतुकांत कविता
आज गणित दिवस है तथा महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन जी का जन्मदिन है इसी उपलक्ष्य में मेरी कविता पढ़िए.....
मै शून्य हूं
हां स्वीकार है मुझे
मैं शून्य हूं
पूरा ब्रह्माण्ड मुझमें समाया
विधाता की
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लेखआलेख
लेख - बच्चो की सहजता छीन ली
'बचपन'स्मृति पटल पर आते ही मन भाव विभोर हो उठता है।बचपन कितना आनन्ददायक होता था। लड़के गेंद से तो कभी गुल्ली डंडे से खेलते थे वहीं लडकियां गुड़िया गुड्डो से खेलना पसंद
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बहुत सुन्दर और वास्तविक आंकलन. पहले घर के सभी सदस्य बच्चों के साथ समय व्यतीत करते थे. सोशल मीडिया था नहीं. टीवी के कार्यक्रम भी सीमित किन्तु मर्यादित होते थे. बच्चे भावनात्मक रूप से घर के सभी सदस्यों से जुड़े रहते थे. अब एकल परिवार, गैजेट्स., माता पिता की अति व्यस्तता ने बच्चों को अकेला कर दिया है.
धन्यवाद सर
कविताअतुकांत कविता
स्वरचित::कलम से लगन लगी.......
आज मेरा मन कविमय हो गया
शब्दों के रस में में डूबकर भाव विभोर हो गया
कलम से ऐसी लगन लगी कि
सबकुछ लिखने को तैयार हो गया
आज मेरा मन कविमय हो गया!!
स्त्री पर लिखूं तो
मन खिन्न
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक :: प्रेम पथिक
चाह मेरी मैं राधा बन जाऊं
वंशी की धुन पर दौड़ी आऊं
गोपियों संग नाचूं थिरकू
कान्हा की मुरली बन जाऊं
मैं प्रेम पथिक कहलाऊं!!!
चाह मेरी मैं मीरा बन जाऊं
नित नए भजन मैं गांऊ
कृष्ण
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कवितालयबद्ध कविता
क्या लिखूं
सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती
या दर्द भरी कोई कहानी
सोचती हूं क्या लिखूं ।
जीवन एक फसाना है
आना और जाना है
संघर्ष करते हुए
हंसते हंसते जीवन बिताना है ।
सोचती हूं क्या लिखूं
लिख
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बचपन की मासूमियत भरी यादें।
हार्दिक आभार ??
बचपन की खूबसूरत स्मृतियाँ..!
Thankyou sir ?
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: मणिकर्णिका
ब्राम्हण कुल में जन्मी,एक कन्या निराली थी।
नाम था मणिकर्णिका,मनु नाम से जानी जाती थी।
शस्त्र शास्त्र की शिक्षा लेती,अद्भुत चंचल छबीली थी।
बरछी ढाल कृपाण कटारी,उसको
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वाह, वीरांगना की कहानी को प्रस्तुत करने का अनूठा ढंग!
Thankyou very much ??
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक :: नारी ही नारी की सूत्रधार है!
नारी ही नारी की सूत्रधार है!
फिर नारी ही नारी से क्यो परेशान है?
हर नारी सुखी रहना चाहती है!
फिर नारी ही नारी के सुख से क्यो हैरान है?
नारी कृपालु, दयालु,
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मंथन योग्य प्रश्न हैं,हर नारी जवाबदेह है। बहुत खूब।
धन्यवाद ?
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक::कफ़न मे लिपट कर आना है
मां अब समय आ गया
मुझे युद्ध भूमि मे जाना है।
भारत मां पुकार रही
उसकी लाज बचाना है।।
मां मुझे आज्ञा दो
देखो दुश्मन ललकार रहा है।
मत जकङो ममता की बेड़ियों मे
दुश्मन
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: सुरभित मुखरित पर्यावरणीय
मै पतित पावन प्रकृति,
वसुंधरा का वरदान हूं।
धानी रंग की चुनरीया मेरी,
लताओं पुष्पों से सजी धजी हूं।
हिम पर्वत आकाश,
को धारण करती हूं।
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक :: विध्ंहर्ता गणपति बप्पा
जय गणपति बप्पा मोरया....
तुम्हरे जैसा कोई ना!
गौरा के हो राज दुलारे!
भ्राता कार्तिक के अति प्यारे!
शिव की आंखों के तारे!
जय गणपति बप्पा मोरया....
तीक्ष्ण बुद्धि
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गणपति की बहुत सुन्दर वंदना..!
हादिँक अभिनन्दन?
कवितालयबद्ध कविता
मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
दर्द को सीने मे दफनाकर हरदम मुस्कुराया करती
थी।
हमने तुम संग प्रीत लगाई ,
प्रीत संग ही रीत नीभाई,
रीत ने जो हमको दर्द
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: नादान परिंदे
क्यो छाई है,
अतंरद्वन्द की बदरी।
तेरे ब्याकुल मन मे,
ऐ नादान परिंदे।।
क्यों मन कैद है,
मायूसी के पीजंरे मे।
तोड़ दे निराशा की जंजीरे,
ऐ नादान परिंदे।।
वक्त है तेरा,
वक्त
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: मुमकिन हो सफर हो आसां
मुमकिन हो सफर हो आसां,
अब साथ भी चल कर देखे।
कुछ तुम भी बदल कर देखो,
कछ हम भी बदल कर देखे।।
मुमकिन हो सफर हो आसां..
माना की तुम्हारे पास काम बहुत है,
पर हम भी बेकार
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सुंदर रचना..!
Thanku??
धन्यवाद् आपका??
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक::सत्ता के नशे मे चूर हो
सत्ता के नशे मे चूर हो,
क्यो तुम इतने मगरूर हो।
चार दिन की चांदनी है,
समझो अब सत्ता से दूर हो।
हाथ जोड़ कर वोट मांगते हो,
कसमे वादे हजार खाते हो।
कुर्सी पर बैठते
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यह सच है कि बहुत से लोग सत्ता पाने के लिए ही लुभावने वादे करते हैं और बाद में भूल कर मनमानी करते हैं.
जी बिल्कुल सही ?
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: दिखा दे शक्ति का अवतार है तू
हे नारी उठ
उठा ले भाल,कृपाण,त्रिशूल
बन जा रणचङी,दुर्गा,भवानी
अब तेरी है बारी
तुझे स्वयं लेना है प्रतिकार
नही है तू अबला
बन जा सबला
दिखा दे शक्ति का अवतार
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कविताअतुकांत कविता
स्वरचित मौलिक::श्रम साधक को विश्राम नही
आशा के दीप जलाकर
हदय मे लक्ष्य साधकर
तप के पथ पर
तू चल दिया रे साधक
हां!श्रम साधक को विश्राम नही!!!
प्रकाश की खोज मे
नित नए प्रयोग
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कवितालयबद्ध कविता
#स्वरचित:: मुझे आसमां छूने दो
मुझे आसमां छूने दो
मेरे अरमानों को उड़ने दो
मैं कोई पक्षी नही
जो मेरे पर कतर दो
मुझे आसमां छूने दो।।
तुम्हारी तरह मेरे अंदर भी
मेरा मन मेरी आत्मा है
मेरी सांसें चलती
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कविताअतुकांत कविता
***मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं***
मैं धरा हूं
जन मानस की जननी
तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाओं से घायल हूं
मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं!
मै स्त्री हूं
असंख्य भूमिकाएं अदा करती
तुम्हारी पराकाष्ठाओ पर बली चढ़ी हूं
मौन
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कवितालयबद्ध कविता
#करूण रस से ओत-प्रोत
#स्वरचित मौलिक : मै गंगा मां हूं
स्वर्ग से उतरी हूं ! मैं हूं बहती धारा!
तुम मुझे मानो तो जग है मुझमें सारा!
हां गंगा मां हूं!
मैं गंगा मां हूं!
धरती को पावन करती!
मैं निर्मल
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कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:# बेटी को पराया धन न कहना
बाबुल के बगिया की चिरैया हूं
एक दिन बिन पंख उड़ जाऊंगी।
बाबुल के घर आंगन को सूना कर
यादों की पोटली संग घर से विदा हो जाऊंगी।
मन व्यथित कर देता ये कैसी रीत जहां
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अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण स्रजन..!
Bahut bahut dhanayavad
कविताअतुकांत कविता
स्वरचित मौलिक:: तुझमें हुनर है
तुझमें हुनर है ,
तो आगे बढ़।
अपने हुनर की एक,
इमारत तो खड़ी कर।
उसमे हजार हुनरमंद ,
तु तैयार तो कर।
अपने हुनर की एक ,
मिशाल तो खड़ी कर।
उस हुनर से हजारों के ,
घर माहताब तो
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शानदार...
आपका हार्दिक आभार धन्यवाद
कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक:: हम भारत की बेटी
शरहद पर मरना जानती
दुश्मनों को चीरकर
आगे बढ़ना जानती
देश पर कुर्बान हो जाती।।
हम भारत की बेटी........
तूफानों से नही डरती
अंगारों पर भी चलती
मन मे शूल पड़े तो
चट्टानों
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कविताअतुकांत कविता
स्वरचित मौलिक:: बेटियां नूर है
बेटियां नूर है
ईश्वर का दिया हुआ कोहिनूर है।
इनमें इतना तेज भर दो...
कि घूरने वाला भी भस्म हो जाए।
इनमें इतना वेग भर दो...
कि छूने वाला भी डूब जाए।
इन्हें इतना जिम्मेदार
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