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Sahitya Arpan - Anupma Anu

कविताअतुकांत कविता

वसंत का आगमन

  • Edited 3 years ago
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  • 240
  • 3 Mins Read

वसंत का आगमन

ए वसंत ,
बड़ा ही मनमोहक, तेरा आगमन,
मन भाए तेरा अल्हड़पन,
चहुं दिशा हरियाली छाए,
हर्षाए वन -उपवन।
भरे मन में प्रेम की सौगात,
फूलों ने किए सोलह श्रृंगार,
तितलियां भी करें अठखेलियां,
मस्ती
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वसंत का आगमन,<span>अतुकांत कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह,वाह

Anupma Anu3 years ago

सादर आभार

कविताअतुकांत कविता

स्त्री का अस्तित्व

  • Edited 3 years ago
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  • 185
  • 5 Mins Read

स्त्री का अस्तित्व

ताउम्र निभाते रिश्तेदारियां,
अब थक गई हूं मैं,
मानों ऐसा लगता है,
अपना अस्तित्व भी,
खोते जा रही हूं मैं।

सबको खुश रखते रखते,
अपनी खुशी भूल,
जाती हूं मैं,
सबकी जरूरतें पूरी करते
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स्त्री का अस्तित्व,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत बढ़िया

कहानीलघुकथा

आत्मग्लानि

  • Edited 3 years ago
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  • 102
  • 9 Mins Read

आत्मग्लानि (लघुकथा)

मां………... और काव्या सुबक सुबक कर रोने लगी। रजनी ने बड़े ही विस्मित होकर पूछा 'काव्य क्या हुआ?' मां की ममता भरी आवाज सुन काव्या और जोर जोर से रोने लगी। रजनी ने काव्या की आसुओं को
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आत्मग्लानि,<span>लघुकथा</span>
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लेखआलेख

लोकपर्व छ्ठ

  • Edited 3 years ago
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  • 104
  • 8 Mins Read

छठ महापर्व बिहार का अत्यंत लोकप्रिय लोक पर्व है। जो संपूर्ण बिहार और उत्तर पूर्वी राज्यों में मनाया जाता है। कार्तिक महीने के षष्ठी तिथि से इस महाअनुष्ठान की शुरुआत होती है। यह अनुष्ठान 4 दिनों
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लोकपर्व छ्ठ ,<span>आलेख</span>
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कहानीअन्य

छठ पर्व

  • Edited 3 years ago
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  • 106
  • 3 Mins Read

छठ पर्व

प्रकृति की है छटा निराली,
साक्षात सूर्यदेव ने ,
दर्शन दे डाली,
चार दिनों का यह अनुष्ठान,
है अपने सनातन ,
धर्म की पहचान
सु मधुर गीतों से,
भक्तिमय माहौल बना ,
रंग बिरंगे दीपों से,
सारा नदी तालाब
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छठ पर्व,<span>अन्य</span>
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कविताअतुकांत कविता

दीपोत्सव

  • Edited 3 years ago
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  • 203
  • 4 Mins Read

#साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई
#विषय-दीपोत्सव
#दिनांक-14/11/2020
#विद्या- कविता

आओ मिलकर,
एक दीप जलाएं,
इस बार की दिवाली,
किसी और के नाम से मनाएं।

दीप खरीदें इस बार,
उन बच्चों, परिवारों से,
एक उमंग का दीप
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दीपोत्सव,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Anupma Anu3 years ago

धन्यवाद छोटी

लेखअन्य

ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस

  • Edited 3 years ago
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  • 197
  • 8 Mins Read

लोकल ट्रेन का सफर
आयोजन - प्रतियोगिता
विषय-ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरिंस
विद्या - संस्मरण
ऐड ए टैग- संस्मरण
दिनांक-10/11/2020


बात उन दिनों की है जब मैं उड़ीसा के केंदुझरगढ़ नाम के एक जिले में रहती
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ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस,<span>अन्य</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बढ़िया संस्मरण और वाकई यह सच्चाई है कि दुनिया में हर तरह के लोग हैं।

Anupma Anu3 years ago

धन्यवाद,हां दी ये बिल्कुल सत्य है

Anupma Anu

Anupma Anu 3 years ago

धन्यवाद छोटी

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत बढ़िया संस्मरण

कहानीलघुकथा

विकृत मानसिकता

  • Edited 3 years ago
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  • 166
  • 9 Mins Read

विकृत मानसिकता

"सब को थोड़े ही बेटा हो पाता है जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हें ही औलाद का सुख मिलता है ये सब इसके पूर्वजन्म का पाप है।"जब सासू मां की ये आवाज दिशा की कानों में पड़ी तो अचानक ही उसकी आंखें
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विकृत मानसिकता,<span>लघुकथा</span>
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कविताअतुकांत कविता

गुमनाम जिंदगी

  • Edited 3 years ago
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  • 427
  • 4 Mins Read

गुमनाम जिंदगी
एक अकेली लड़की,
जीवन के दू:ख , दर्द से पीड़ित,
तन्हाइयों में रोती सिसकती,
पूछती एक सवाल,
क्या किया ऐसा गुनाह,
जो गुमनाम गलियों में खो गई?
अकेलापन मुझे खाये जाता,
इन गलियों में बैठी,
तेरे
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गुमनाम जिंदगी,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Anupma Anu3 years ago

धन्यवाद छोटी

कविताअतुकांत कविता

कार्तिक मास की धूप

  • Edited 3 years ago
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  • 333
  • 4 Mins Read

मेरी यह नवीनतम रचना कार्तिक मास की उस कपकपाती ठंड की है जब सारे लोग सूर्य के निकलने की प्रतिक्षा बड़ी ही बेसब्री से करते हैं।


लो आ गई धूप,
लो आ गई धूप।

कार्तिक मास में,
ओस से घिरी,
घने कुहासों के बीच,
दिखलाई
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कार्तिक मास की धूप,<span>अतुकांत कविता</span>
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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बेहतरीन सृजन

Anupma Anu3 years ago

शुक्रिया छोटी

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब ??

Anupma Anu3 years ago

बहुत बहुत शुक्रिया मैम

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Anupma Anu3 years ago

शुक्रिया छोटी