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नव वर्ष का स्वागत - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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नव वर्ष का स्वागत

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विषय:नववर्ष का स्वागत
हमारी संस्कृति में हर शुभ कार्य का आरम्भ मन्दिर या घर में ही ईश्वर की उपासना एवं माता-पिता के आशीर्वाद से करने का विधान है।
नव वर्ष मे अधिकतर लोग पिछले वर्ष की गलतियां,द्वेष,मनमुटाव भूलकर नए उत्साह के साथ नई शुरुआत की बात करते हैं।यदि उसे सचमुच कर सकें ,तब वह यकीनन अच्छी पहल होगी।जहां तक हमारा सनातन धर्म और संस्कृति कहती है,हमे
नव वर्ष का स्वागत गणेशजी की पूजा से करना चाहिए।गणेशजी सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूजनीय होते हैं। घर में नव वर्ष के पहले दिन सफेद रंग की गणेशजी की मूर्ति लाकर स्‍थापना करने से साल भर खुशहाली और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है
घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। इस तुलसी के पेड़ की मिट्टी में एक रुपये का सिक्‍का दबा देने से घर में मां लक्ष्‍मी का आगमन होता है।
कुछ दान पुण्‍य भी करना चाहिए। जरूरतमंदों को गुड़ दान करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। दान का यह कार्य मंगल और सूर्य के दोष से बचाकर रखता है।हम परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। अपने परिचित मित्रों, और रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
अपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडियों और फरियों से सज्जा करें।
।कलश यात्रा,शोभा यात्रा,
भजन संध्या,महाआरती आदि का आयोजन करें।
हिन्दू संस्कृति में हर त्यौहार की संस्कृति है ,जिसका वैज्ञानिक आधार है।पश्चिम सभ्यता का अनुसरण करते समय हम यह भूल जाते हैं।
अपने देश के प्रति, उसकी संस्कृति के प्रति और भावी पीढ़ियों के प्रति हम सभी के कुछ कर्तव्य हैं। आखिर एक व्यक्ति के रूप में हम समाज को और माता- पिता के रूप में अपने बच्चों के सामने अपने आचरण से एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।अंग्रेजी नववर्ष की अवैज्ञानिकता और भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिक सोच को न केवल समझें बल्कि अपने जीवन में अपना कर अपनी भावी पीढ़ियों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित करें।
होटलों में शराब के नशे में डूब कर अर्धरात्रि तक नाचना, दिन की शुरुआत ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय के दर्शन और सूर्य नमस्कार के साथ न कर, सूर्योदय के स्वागत की बजाय जाते साल के सूर्यास्त को पसंद करना, हमारी संस्कृति नहीं है।इसलिए अपनी परम्पराओं के अनुसार हंसी - खुशी नव वर्ष का स्वागत करें।
गीता परिहार
अयोध्या

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Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

बढ़िया आलेख

Gita Parihar3 years ago

धन्यवाद

समीक्षा
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