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शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

लेखआलेखनिबन्ध

शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं

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शिक्षक का त्याग "पिता" के त्याग से कमतर नहीं है। "पिता" अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए तन पर कठिनाइयों को सहन करते हुए भी मुस्कुराते हैं,वहीं "शिक्षक" भी शिक्षण कार्य के दौरान अनगिनत कठिनाईयां तन पर सहन करते हैं और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को गढ़ते हैं। "पिता" की भाँति शिक्षक भी थकते हैं,निराश होते हैं कार्य के दौरान पर "पिता" जिस तरह चेहरे पर मुस्कान कायम रखते हुए कर्म में लीन रहते हैं उसी तरह शिक्षक भी।
टीचर्स विद्यालय के हों या कोचिंग इंस्टीट्यूट के दोनों का योगदान विद्यार्थी के सुनहरे भविष्य को सृजित करने में अहम है। बच्चों का भविष्य प्रकाशमान हो इसलिए शिक्षक प्रयास करते हैं कि हर संभव विद्यार्थियों के जीवन से अज्ञानता का घोर तिमिर दूर हो जाए।

शिक्षक हमारे लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम भी उन्हें उचित मान व सम्मान अर्पित करें--

●जब शिक्षक मुश्किल वक्त से सामना कर रहे हों- ऐसी बात नहीं मुश्किलें आम इंसानों के जीवन में ही आती हैं, शिक्षकों को भी मुश्किलें सताती हैं। तो उस क्षण शिक्षक भी मायूस होते हैं, उन्हें भी दूर-दूर तक आशा की किरण नज़र नहीं आती है। तो इस स्थिति में बतौर विद्यार्थी हमारी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि हम मुश्किल वक्त में शिक्षक का साथ निभाएं, धन से न सही तन से ही सही।

●प्रेम भरे शब्द का प्रयोग- किसी बात पर या पढ़ाई के लिए समझाने के क्रम में शिक्षक तीव्र स्वर में डाँट दें तो इस स्थिति में आप उनसे रुठकर या क्रोधित होकर ऊंच स्वर में मत बात करें। यदि हम उनसे ऊंची आवाज़ में बात करेंगे तो निश्चित ही उन्हें हमारा यह बर्ताव सही प्रतीत नहीं होगा। इसलिए जब भी शिक्षक से बात करें या प्रश्न का उत्तर दें तो उस क्रम में वाणी के प्रयोग का विशेष ध्यान रखें।

●उन्होंने हमारे लिए क्या त्याग किया है इसे मत भूलें- शिक्षक ताउम्र शिक्षक ही रहें पर उनके पढ़ाए बच्चे बड़े-बड़े प्रशानिक अधिकारी सह डॉक्टर, इंजीनियर बनते हैं। इस उपलब्धि तक पहुंचने में शिक्षक के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। शिक्षक हमारे बेहतर भविष्य के लिए जो त्याग करते हैं वह अकथनीय है। इस बात को हमें कदापि नहीं भूलना चाहिए चाहे हम भविष्य में कभी भी कहीं भी किसी भी पद पर विराजमान हों।

●जब उनसे मिलें चरणों को स्पर्श कर आशीष लें व हालचाल जानें- हमें जब सफलता प्राप्त होती है तो इसमें कई लोग का हाथ होता है उसमें से एक नाम शिक्षक का भी है। तो जब आप सफल हो जाएं अथवा सफलता के शीर्ष पर न भी हों तब भी जब शिक्षक आपसे मिलें तो उनके चरणों को स्पर्श कर आशीष प्राप्त करें साथ ही उनसे उनका हालचाल जानें। उनसे ढ़ेर सारी बातें करें, उन्हें इस बात का भान होगा कि मेरे पढ़ाए बच्चे आज सफलता के शीर्ष पर होने के बावजूद भी बड़ों का अपनों का सम्मान करना नहीं भूले हैं।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सच है..!

समीक्षा
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