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क्या खोया क्या पाया - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

क्या खोया क्या पाया

  • 123
  • 2 Min Read

जूझ रहा हूँ आज यहाँ मैं
अपनी कथनी करनी से
किये हुए सब पाप पुण्य
बह रहे समय की झरनी से
अपना पराया कुछ मत पूछो।
पूछो उस झूठी बरनी से
भरती गयी जो धीरे धीरे
अब समझ आया करनी से।
पड़ा हुआ है शरीर यहां पर
तज कर निकला झरनी से।
सन्नाटे में गूंज रहा हूँ।
अपनी करनी भरनी से। - नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

नेहा शर्मा3 years ago

शुक्रिया पापा

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना

नेहा शर्मा3 years ago

जी बहुत बहुत शुक्रिया

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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