कविताअतुकांत कविता
शक्तियों की प्रतीक देवियां
नवरात्रि में ये महा देवियां
निज स्वरूपों के देती संदेश
इनके आचरण के पालन से
सुधर जाता अपना परिवेश
पार्वती कर देती है परिवर्तन
विस्तार को बना देती है सार
पीहर व ससुराल के रिश्तों में
बहती रहती सदा नेह की धार
जगदम्बा देवी सहनशील बन
माँ सी करती है रक्षा अपरंपार
बिना शर्त ही सबसे प्रेम करो
करो सर्वदा निश्छल व्यवहार
संतोषी माँ सी धैर्यशील बनके
हर कण चांवल करे स्वीकार
अवगुणों को समाकर दिल में
सर्व गुणों का कर देती संचार
गायत्री महान परख की देवी
गन चक्षु की रखती तीक्ष धार
हंसिनी सी बस मोती चुगती
देती है न्याय का सार ही सार
शारदा विद्या निर्णय की देवी
हाथ में शास्त्र व वीणा झंकार
जब सुर संगीत की धुन छेड़े
सर्व जनों का हो जाता उद्धार
मुंडो की माला पहन के काली
मिटा देती है संसार के विकार
विपदा की घड़ियों में नारियां
बन जाती काली का अवतार
दुर्गा मैया का तो रूप अनूठा
दुर्गुणों का कर देती है संहार
संकट चाहे विकट हो कितना
शक्ति का ये करती वार पे वार
अन्नपूर्णा माँ हैं अन्न की देवी
भरपूर रखे सदा सारे भंडार
जो भी चाहो मांग लो उनसे
ये मैया सबकी है पालनहार
महालक्ष्मी है बरसाती सम्पदा
सिक्कों की वर्षा करे भरमार
माँ जैसी ही सहयोगी बनकर
स्नेह दुलार लुटा देती है अपार
सरला मेहता