कविताबाल कविता
माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
गेंद बनाकर खेलूंगा
जब थककर मैं चूर हो जाऊं
तकिया बनाकर लेटूंगा
माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
गेंद बनाकर खेलूंगा
क्यों नाहक हठ करता है
चंचलता क्यों करता है
कैसे ला दुँ चाँद तुझे मै
रात्रि में वो निकलता है
अच्छा चाँद नही ला सकती तो
चांदनी ही ला दो ना
लगा उसको घर आंगन में
उसको पल पल देखूंगा
माँ मुझे चाँद दिला दो
गेंद बना कर खेलूंगा
ला दूं तुझे चाँदनी अगर
चाँद कैसे रह पायेगा
तू रहेग़ा रोशनी में पर
सारा जग अंधकार में डूब जाएगा
अच्छा माँ मैं जान गया अब
नाहक जिद नही अपनाऊंगा
रोज़ रोज़ चन्दा संग बातें करके
अपना दिल बहलाऊँगा
नही चाहिए चाँद मुझे अब
अब मै उसको निहार सो जाऊंगा
सबसे अच्छी दोस्त मेरि तु
तुझको नही सताउंगा।-नेहा शर्मा