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London is the capital city of England.
लेखआलेख, अन्य
घर जैसा भोजन
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(व्यंग्य)
न जाने किसने क्या सोच कर कहा होगा “घर की मुर्गी दाल बराबर “…… क्योंकि जिसे न मुर्गी पसंद है न दाल ,अर्थात मुझ जैसा कोई शुद्ध सात्विक शाकाहारी उसे वैसे भी मुर्गी
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कविताअतुकांत कविता
दूर दृष्टि
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कड़ी मेहनत ,दूर दृष्टि
कड़ी मेहनत कीजिए ,
पेट की सूखी आंतो को
खूँटी पर टाँग दीजिए
क्योंकि
आपके पसीने से विदेशी ऋण चुकायेंगे
प्रतिपाल में आपको आश्वासन मिल जायेंगे
आप ,आश्वासन
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लेखआलेख, अन्य
हम भी चले परदेस ….
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(व्यंग्य )
जब किसी की विदेश में नौकरी लगती है तो हमारे प्राय: मुँह से निकलता भला विदेश में रहकर नौकरी क्यों करना ? अपने देश में रहो …. अपने परिवार के लोगों के साथ रहो
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कविताअतुकांत कविता
कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं
हक़ीक़त से अनजान हैं
उन्हें न राष्ट्र की चिंता है
न राष्ट्र धर्म की
न हमारी कुर्सी की
हम मन की बात करते हैं
वे ख़ाली पेट दिखाते हैं
हम बेटी बचाओ का नारा देते हैं
वे बेटियों
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कविताअतुकांत कविता
श्रीमती जी
एक बार श्रीमती को न जाने कैसे एक नेक विचार आया
कि हमारी कुछ रचनाओं को चूल्हे में जा जलाया
हम सकपाकाये,
और धीरे से बड़बड़ाए
भाग्यवान ये क्या कर डाला
मेरे जिगर के टुकड़े टुकड़े कर मेरे
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कविताअतुकांत कविता
मेरे शहर की बस
मस्तानी चाल से सड़कों पर रेंगती
मेरे शहर की बस
बस क्योंकि बस है
जो कभी भी रुक सकती चल सकती है
दल बदलू नेता की तरह चलते चलते रास्ता तक बदल सकाती है
इसकी इस आदत से प्रत्येक यात्री
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लेखआलेख, अन्य
दो हज़ार का नोट ….
————————(व्यंग्य)
डा योगेन्द्र मणि कौशिक
सुबह सुबह श्रीमती जी न जाने किस उठा पटक में लगी थी ।अलमारी का सारा सामान बाहर ……… एक -एक कोने का बारीकी से निरीक्षण
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लेखआलेख, अन्य
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(3)
दार्जिलिंग की दूसरी सुबह ——-
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दार्जिलिंग से गैंगटोक ——-(3)
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हमारे टूर मैनेजर ने बताया कि सुबह नो बजे तक हम दार्जिलिंग से निकल लेंगे तो ठीक रहेगा
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लेखआलेख, अन्य
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(2)
दार्जिलिंग की प्रथम सुबह
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सुबह तीन बजे अलार्म बोल गया साढ़े तीन बजे ड्राइवर का भी फ़ोन आ गया । हम भी चार बजे होटल के बाहर आ गये और टाइगर हिल के लिए रवाना
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लेखआलेख, अन्य
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(2)
दार्जिलिंग की प्रथम सुबह
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सुबह तीन बजे अलार्म बोल गया साढ़े तीन बजे ड्राइवर का भी फ़ोन आ गया । हम भी चार बजे होटल के बाहर आ गये और टाइगर हिल के लिए रवाना
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लेखअन्य
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा —(1)
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बड़ा बेटा और बहू तीन साल बाद स्वदेश छुट्टी पर आये तो पहले दोनों स्वयं के वर्क फ्रॉम होम में और फिर पारिवारिक शादियों में । फिर भी दोनों बेटों और पुत्रवधूओं
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कविताअतुकांत कविता
श्रीमती जी
एक बार श्रीमती को न जाने कैसे एक नेक विचार आया
कि हमारी कुछ रचनाओं को चूल्हे में जा जलाया
हम सकपाकाये,
और धीरे से बड़बड़ाए
भाग्यवान ये क्या कर डाला
मेरे जिगर के टुकड़े टुकड़े कर मेरे
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लेखअन्य
योगा होगा ….. ?नहीं होगा …..?
(व्यंग्य)
हमारे मोहल्ले के लल्लू जी ,नाम के भले ही लल्लू लाल हों लेकिन हैं बड़े काम की चीज ।चुस्त,दुरुस्त ,फुर्तीले , समाजसेवा की भावनाओं से ओत प्रोत ……प्रवचन
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