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Sahitya Arpan - Yogendra Mani
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Yogendra Mani

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  • लेखआलेख, अन्य

    घर जैसा भोजन

    • Added 10 months ago
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    • 23
    • 34 Mins Read

    घर जैसा भोजन
    —————————-
    (व्यंग्य)

    न जाने किसने क्या सोच कर कहा होगा “घर की मुर्गी दाल बराबर “…… क्योंकि जिसे न मुर्गी पसंद है न दाल ,अर्थात मुझ जैसा कोई शुद्ध सात्विक शाकाहारी उसे वैसे भी मुर्गी
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    घर जैसा भोजन ,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कुर्सी

    • Added 10 months ago
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    • 39
    • 3 Mins Read

    कुर्सी
    —————
    कुर्सी बहुत महान है
    अफ़सर से वर्कर तक ,
    नेता से अभिनेता तक
    प्रत्येक प्राणी इसका गुलाम है
    बड़ी कुर्सी के आगे छोटी कुर्सी प्रायः नाकाम है
    राजनीतिक भषा में ,भारतीय परिभाषा में
    कुर्सी
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    कुर्सी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    दूर दृष्टि

    • Added 10 months ago
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    • 26
    • 4 Mins Read

    दूर दृष्टि
    —————-
    कड़ी मेहनत ,दूर दृष्टि
    कड़ी मेहनत कीजिए ,
    पेट की सूखी आंतो को
    खूँटी पर टाँग दीजिए
    क्योंकि
    आपके पसीने से विदेशी ऋण चुकायेंगे
    प्रतिपाल में आपको आश्वासन मिल जायेंगे
    आप ,आश्वासन
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    दूर दृष्टि,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख, अन्य

    हम भी चले परदेस

    • Added 10 months ago
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    • 30
    • 42 Mins Read

    हम भी चले परदेस ….
    ———————-
    (व्यंग्य )

    जब किसी की विदेश में नौकरी लगती है तो हमारे प्राय: मुँह से निकलता भला विदेश में रहकर नौकरी क्यों करना ? अपने देश में रहो …. अपने परिवार के लोगों के साथ रहो
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    हम भी चले परदेस ,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं

    • Added 11 months ago
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    • 35
    • 4 Mins Read

    कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं
    हक़ीक़त से अनजान हैं
    उन्हें न राष्ट्र की चिंता है
    न राष्ट्र धर्म की
    न हमारी कुर्सी की
    हम मन की बात करते हैं
    वे ख़ाली पेट दिखाते हैं
    हम बेटी बचाओ का नारा देते हैं
    वे बेटियों
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    कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    श्रीमती जी

    • Added 11 months ago
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    • 30
    • 7 Mins Read

    श्रीमती जी
    एक बार श्रीमती को न जाने कैसे एक नेक विचार आया
    कि हमारी कुछ रचनाओं को चूल्हे में जा जलाया
    हम सकपाकाये,
    और धीरे से बड़बड़ाए
    भाग्यवान ये क्या कर डाला
    मेरे जिगर के टुकड़े टुकड़े कर मेरे
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    श्रीमती जी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मेरे शहर की बस

    • Added 11 months ago
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    • 32
    • 12 Mins Read

    मेरे शहर की बस
    मस्तानी चाल से सड़कों पर रेंगती
    मेरे शहर की बस
    बस क्योंकि बस है
    जो कभी भी रुक सकती चल सकती है
    दल बदलू नेता की तरह चलते चलते रास्ता तक बदल सकाती है
    इसकी इस आदत से प्रत्येक यात्री
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    मेरे शहर की बस ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 11 months ago

    बहुत खूब आदरणीय

    Yogendra Mani11 months ago

    सादर आभार 🙏

    लेखआलेख, अन्य

    दो हज़ार का नोट (व्यंग्य)

    • Added 11 months ago
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    • 39
    • 21 Mins Read

    दो हज़ार का नोट ….
    ————————(व्यंग्य)
    डा योगेन्द्र मणि कौशिक

    सुबह सुबह श्रीमती जी न जाने किस उठा पटक में लगी थी ।अलमारी का सारा सामान बाहर ……… एक -एक कोने का बारीकी से निरीक्षण
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    दो हज़ार का नोट  (व्यंग्य),<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 11 months ago

    बहुत खूब

    Yogendra Mani11 months ago

    सादर आभार

    लेखआलेख, अन्य

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा

    • Added 11 months ago
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    • 38
    • 53 Mins Read

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(3)

    दार्जिलिंग की दूसरी सुबह ——-
    ———————
    दार्जिलिंग से गैंगटोक ——-(3)
    ——————————-
    हमारे टूर मैनेजर ने बताया कि सुबह नो बजे तक हम दार्जिलिंग से निकल लेंगे तो ठीक रहेगा
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    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा ,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 11 months ago

    बहुत खूब

    Yogendra Mani11 months ago

    सादर आभार 🙏

    लेखआलेख, अन्य

    दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2)

    • Added 11 months ago
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    • 37
    • 17 Mins Read

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(2)

    दार्जिलिंग की प्रथम सुबह
    ————————————
    सुबह तीन बजे अलार्म बोल गया साढ़े तीन बजे ड्राइवर का भी फ़ोन आ गया । हम भी चार बजे होटल के बाहर आ गये और टाइगर हिल के लिए रवाना
    Read More

    दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2),<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 11 months ago

    बढ़िया रचना

    Yogendra Mani11 months ago

    सादर आभार 🙏

    लेखआलेख, अन्य

    दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2)

    • Added 11 months ago
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    • 30
    • 17 Mins Read

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा(2)

    दार्जिलिंग की प्रथम सुबह
    ————————————
    सुबह तीन बजे अलार्म बोल गया साढ़े तीन बजे ड्राइवर का भी फ़ोन आ गया । हम भी चार बजे होटल के बाहर आ गये और टाइगर हिल के लिए रवाना
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    दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2),<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा -१,संस्मरण

    • Added 11 months ago
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    • 21
    • 16 Mins Read

    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा —(1)
    ——————————-
    बड़ा बेटा और बहू तीन साल बाद स्वदेश छुट्टी पर आये तो पहले दोनों स्वयं के वर्क फ्रॉम होम में और फिर पारिवारिक शादियों में । फिर भी दोनों बेटों और पुत्रवधूओं
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    दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा -१,संस्मरण,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    श्रीमती जी

    • Added 11 months ago
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    • 24
    • 7 Mins Read

    श्रीमती जी
    एक बार श्रीमती को न जाने कैसे एक नेक विचार आया
    कि हमारी कुछ रचनाओं को चूल्हे में जा जलाया
    हम सकपाकाये,
    और धीरे से बड़बड़ाए
    भाग्यवान ये क्या कर डाला
    मेरे जिगर के टुकड़े टुकड़े कर मेरे
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    श्रीमती जी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखअन्य

    योगा होगा ….नहीं होगा ..?

    • Added 11 months ago
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    • 36
    • 32 Mins Read

    योगा होगा ….. ?नहीं होगा …..?

    (व्यंग्य)

    हमारे मोहल्ले के लल्लू जी ,नाम के भले ही लल्लू लाल हों लेकिन हैं बड़े काम की चीज ।चुस्त,दुरुस्त ,फुर्तीले , समाजसेवा की भावनाओं से ओत प्रोत ……प्रवचन
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    योगा होगा ….नहीं होगा ..?,<span>अन्य</span>
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