कविताअतुकांत कविता
वक्त रुकता नहीं है, हर पल रंग बदलता है
मंजिल के राही हो मत मायूस तू कभी
आज है वक्त प्रतिकूल बेशक पर तू हार मत
वक्त है फिर से बदलेगा फिर अपना रंग बदलेगा।।
ये वक्त पल-पल करवटें बदलता रहता है
एक पल भी चैन से एक जैसा नहीं रहता है
मुश्किल पल में होकर मायूस राही तू रो मत
वक्त है रंगीला कभी देता है ख़ुशी तो कभी ग़म।।
ये वक्त है एक जादूगर दिखाता है जादूगरी
कभी बहुत रुलाता है तो कभी बहुत हँसाता है
राही तू मुश्किल घड़ी में भी चेहरे पर रख मुस्कान
वक्त बिखेर देगा तेरे चेहरे पर निश्छल मुस्कान।।
ये वक्त सबके साथ करता है एक जैसा व्यवहार
चाहे रंक हो या फकीर वक्त सबकी परीक्षा लेता है
ज़िंदगी में सफल होने के लिए एक अवसर देता है
अवसर का लाभ उठा राही और बना अपनी पहचान।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
तुमने एक बार पहले भी वक्त पर रचना लिखी थी वह भी बहुत अच्छी थी और यह भी बहुत सुंदर है।
जी बहुत बहुत आभार माता श्री