कविताअन्य
शादी एक व्यापार
बहू के साथ सौतेला व्यवहार मत करो,
सुनो शादी करो, तुम व्यापार मत करो ।
जितनी जल्दी पक्की होती है रिश्ते की बात,
सामान की लिस्ट बनने की हो जाती शुरुआत,
ज़्यादा नहीं, इन्हें चाहिए गाड़ी जिसमें छल्ले हों चार,
ताने तैयार हैं, गर लड़की के घर से हुआ ज़रा इनकार,
लड़के वाले कैसे भी हों, उनका मान करना पड़ता है,
भूखे भिखारियों जैसों का भी सम्मान करना पड़ता है,
बिटिया को नर्क में जाने को तैयार मत करो,
सुनो शादी करो, तुम व्यापार मत करो ।
किस्मत और समाज ने ये कैसा उपहास किया है,
अरबों में दहेज मिले तभी तो UPSC पास किया है,
अरे ये कोई डिमांड नहीं ये बस हमारा रिवाज़ है,
तुमको दिवालिया घोषित करने का हमारा अंदाज़ है,
AC, TV, फ्रिज, सोफा ये basic सामान सभी चाहिए,
एक चेन, एक अँगूठी, एक घड़ी, एक बाइक,
ज़्यादा कुछ नहीं जी, हमें बस यही चाहिए,
इनके हर दिखावे को तुम स्वीकार मत करो,
सुनो शादी करो, तुम व्यापार मत करो ।
घर में नन्हीं पायलों का छनछन अभिश्राप है क्या,
कर्जा लेने आया है वही दुल्हन का बाप है क्या,
माँ ने क्या क्या सिखाया इसकी अब परीक्षा होगी,
पोते का मुंह कब दिखाए इसी की प्रतीक्षा होगी,
बीसियों सालों तक शादी में नुक्स निकाले जायेंगे,
और कुछ न बचा,
तो बहू की इज़्ज़त तक पर सवाल उछाले जायेंगे,
इनके घटिया सपनों को तुम साकार मत करो,
सुनो शादी करो, तुम व्यापार मत करो ।
तुम्हारी भी इज़्ज़त है तुम्हारा भी ईमान है,
लड़की का घर है, नहीं परचून की दुकान है,
अपने मूल्यों सिद्धांतों के नाम पर अड़ना होगा,
लड़की वालों को भी अब समाज से लड़ना होगा,
परिवार ये भी अपना है कोई ग़ैर नहीं,
लालची लोभियों अब तुम्हारी खैर नहीं,
पुलिस और महिला आयोग को हथियार बनाओ,
बिटिया से ही इस रिश्ते के लिए इनकार कराओ,
अपने हाथों को अब तुम लाचार मत करो,
सुनो शादी करो, तुम व्यापार मत करो ।
-तोयेश भाटिया