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Sahitya Arpan - Bandana Singh

कविताअतुकांत कविता

आंसू

  • Edited 2 years ago
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  • 121
  • 2 Mins Read

"आंसू "

आंसू बोलते हैं और खूब बोलते हैं
पढ़ने के लिए उतनी रफ्तार होनी चाहिए
जब से सब पढ़ पायें,
वह ढलान पर बीचों बीच समाहित हो जाती है
और लोग बस आंसू के निशान को देखते रह जाते हैं


स्वरचित-वन्दना
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आंसू ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर

कविताअतुकांत कविता, बाल कविता

"मैं एक चिड़िया प्यारी "

  • Edited 3 years ago
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  • 480
  • 3 Mins Read

मैं एक चिड़िया प्यारी
समझ गयी तिनके की महिमा
जो सब लोगो को प्यारी
मैं एक चिड़िया प्यारी।

हरे भरे दरख्त में मेरा वास
सुन्दर सा प्राकृतिक अहसास
रैन बसेरा करती हूँ
परिश्रम सुबह से शाम।

घास
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

Bandana Singh3 years ago

जी हार्दिक आभार।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Bandana Singh3 years ago

जी हार्दिक आभार।

कविताभजन

कर लो विनती मेरी अब स्वीकार मेरी माँ "

  • Edited 3 years ago
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  • 110
  • 5 Mins Read

कर लो विनती मेरी अब स्वीकार मेरी माँ
तेरे चरणों में लाखों प्रणाम मेरी माँ 🙏
मईया का मुखड़ा बड़ा प्यारा प्यारा
देता टूटे दिलों को सहारा 🤝
अब बिगड़ी मेरी तू संवार मेरी माँ

कर लो विनती मेरी अब
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार

कवितालयबद्ध कविता

"प्रहरी"

  • Edited 3 years ago
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  • 107
  • 3 Mins Read

खड़े हैं सीमा पर सीना ताने डट कर रोज प्रहरी
दुश्मनों के इरादो को करते रोज खाक हर प्रहरी
बड़े ही संयम से संभालते हैं अपने देश की सीमा
न करते जीवन को रूसवा जमाने में देखो प्रहरी।

हर एक शख्स टिकाए
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

सैनिक जीवन के दुर्गम संघर्ष और राजनेताओं की उपेक्षा को बखूबी बयां करती रचना।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए

कविताअतुकांत कविता, बाल कविता

"खेले खेल हवा से डाली"

  • Edited 3 years ago
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  • 157
  • 7 Mins Read

एक छोटी कविता जो मैने उस समय लिखी जब एक छोटा सा चूजां (गौरैया का बच्चा) के जोर से चलने पर अपने घोसले से बाहर गिर पड़ा, बहुत ही मासूम उसके पंख में चोट आ गयी ।उसकी माँ उसके सलामत के लिए इधर उधर से कुछ दाने
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आदरणीया, धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता, गीत

"गीत मिलन के"

  • Edited 3 years ago
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  • 287
  • 6 Mins Read

सा रे गा मा (अंत का आरंभ)भाग चार
।।।गीत मिलन के।।।
नायक और नायिका के अन्तर्ममन की आवाज
कुछ यूं गीत बन कर फजाओं में गुजने लगी
आखिरकार निस्वार्थ प्रेम की जीत होती है। दोनो एक
दूसरे की आखों में
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कवितालयबद्ध कविता

"एक कविता"

  • Edited 3 years ago
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  • 169
  • 5 Mins Read

कविताओं की नगरी है बेहद ही अद्भुत
हर तरह की चाक चौबंद वायु बिल्कुल शुद्ध
हर रंग के रंग में कविताओं का खिलना
आपस में ना कोई बैर काटों से भी मिलना

चांद जहां ठंडा भी है और गरम हो जाता
बारिश की भीनी
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कवितागीत

"प्रेम में तेरे"

  • Edited 3 years ago
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  • 155
  • 3 Mins Read

अनजान राहों पर चलने लगे हम
घड़ी दो घड़ी को संभलने लगे हम
तेरे प्रेम का सिलसिला जो चला तो
किस्मत पर अपने मचलने लगे हम।

मगर क्या करें की मजबूरी देखो
किस्मत में प्रेम की यह दूरी देखो
बूँद जैसे टूटे
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Seeta Tiwari

Seeta Tiwari 3 years ago

बहुत अच्छा लिखा है मैम उम्दा

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत सुंदर...👌👌

Bandana Singh3 years ago

हृदयतल से आभार आपका

कविताअतुकांत कविता

"हकीकत'"

  • Edited 3 years ago
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  • 111
  • 7 Mins Read

अब मैं थक गयी
हकीकत से !
क्यों न थोड़ा सा मुस्कुराया जाय
जो काम बने नही हकीकत में
उन्हें कल्पना में सजाया जाय।
जब पैदा हुई तो लड़की थी
इसी बात की बस कड़की थी।

लोग खूब उलाहनें देते थे
किसी बात पर
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कवितालयबद्ध कविता

"राख मेरी कौन ढोयेगा "

  • Edited 3 years ago
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  • 132
  • 4 Mins Read

जिन्दगी ख़्वाहिशों का ढेर हो गयी
दिया तूने सब पर थोड़ी देर हो गयी
खुशियां सारी जलीं मेरी शोलों में धूं धूं कर
नशीब मेरी ये दिलफरेब हो गयी।

कई ख्वाब पाले थे मम्मी ने पापा ने
अब जलते हुए दिये की
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका

कवितागीत

बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी

  • Edited 3 years ago
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  • 222
  • 4 Mins Read

बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये गजब बेक़रारी
मैं करता हूँ कुछ भी चाहे जहाँ भी
निगहबान होती हैं नजरें तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।

हम अपने दम पे जिन्दा ही कब थे
आखों का
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बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी ,<span>गीत</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह

Bandana Singh3 years ago

जी आभार आदरणीया

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

वाह

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका

कवितागीत

आखों में चमकता प्यार तेरा

  • Edited 3 years ago
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  • 192
  • 3 Mins Read

सा रे गा मा संगीत उत्सव २०२१
समूह प्रेम तरंग, कहानी गीतों भरी
कहानी अंत का आरंभ-भाग-दो
(गीत)

आखों में चमकता प्यार तेरा
मुझको न पागल कर जाए
जीते हैं बस तेरे लिए।
हम जीते जी न मर जाएं।

तेरी
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आखों में चमकता प्यार तेरा ,<span>गीत</span>
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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत बढ़िया...👌👌

Bandana Singh3 years ago

धन्यवाद आपका

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Bandana Singh3 years ago

जी हृदय से आभार आपका

कविताअतुकांत कविता

मन के भाव

  • Edited 3 years ago
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  • 148
  • 3 Mins Read

नाच रहा मन मेरा मयूरा
स्मृतियों की भरी उड़ान
थिरक थिरक नृत्य करें
जीवन की हर बीती तान।

सुबह की सुन्दर लालिमा
का हो गया है अब अवसान
ढलती काया सिहर उठी फिर
स्मृतियों की भरी उड़ान।

अपने बीते लम्हों
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मन के भाव,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

प्यारा घर

  • Edited 3 years ago
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  • 139
  • 4 Mins Read

फिर याद आया वो टूटा फूटा मकां अपना
बेतरतीब जिन्दगी और छिटका समान अपना
वो खूँटी से टंगी तंग दिवारों पर कपड़े की पोटली
वो रोज ढोती साइकल पर अरमान अपना।
चंद सासों का वो मालिक जो था घर
झांकती सूरज
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प्यारा घर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

सुंदर प्रस्तुति।

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका

कवितालयबद्ध कविता

तेरा आना

  • Edited 3 years ago
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  • 176
  • 3 Mins Read

यादो के झरोखे में , सुन्दर सा अहसास जगा
बातों ने रस घोल दिया शब्द शब्द मधुमास लगा
मैं आवारा बंजारा पतझड़ का राही हूं
यादो में तेरा आना कभी शाम लगा कभी रात लगा।
तू चंचला नयनों की शहद तेरी बोली लगती
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तेरा आना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ritu Garg

Ritu Garg 3 years ago

सुंदर अभिव्यक्ति

Bandana Singh3 years ago

आभार आपका

कवितालयबद्ध कविता

आया बंसत झूम के

  • Edited 3 years ago
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  • 208
  • 4 Mins Read

लगे झुमने डाली डाली
हवा चली फिर मतवाली
पतझर का मौसम बीता
आई बहारें फूलों वाली।

सरसों हुई सभी लताएं
फूले झूमें व लहराएं
मौज सभी का आया देखो
नवयौवन पर जैसे बालाएं।

पवन पुरवाई मचल चली है
दुल्हन
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आया बंसत झूम के,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

उत्कृष्ट रचना

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता

बसंत का आगमन

  • Edited 3 years ago
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  • 114
  • 2 Mins Read

स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्
मनहरम् मनहरम् मनहरम्
सुन्दरम् सुन्दरम् सुन्दरम्
बसंत का आगमन स्वागतम्

हिय हर्षित भवम् मनहरम्
दृश्य पुलकित करे स्वागतम्
लाल पुष्प सुशोभित सुन्दरम्
पीत धरती
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बसंत का आगमन ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

"आनलाइन इश्क"

  • Edited 3 years ago
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  • 140
  • 3 Mins Read

बड़ी बेमुरव्वत जिन्दगी हो गयी है
दिन काली रातें हसीन हो गयी है।

तेरे इश्क का सर नशा चढ़ गया है
जो भी सामने है ,वो आया गया है।

नावाकिफ मैं खुद के जिम्मेदारीयों से
बसन्त में भी सुखा ये चेहरा नया
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Bandana Singh

Bandana Singh 3 years ago

क्या मैने अपडेट करके प्रयास किया। क्या अब प्रतियोगिता में ऐड है ।कृपया बताएं। मेरी कविता संवेदना भी प्रतियोगिता में शामिल नही हो पायी मैने ऑप्शन क्लिक किया था ।

नेहा शर्मा3 years ago

जी अब ऐड हो गयी है।

कविताअतुकांत कविता

संवेदना

  • Edited 3 years ago
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  • 264
  • 5 Mins Read

संवेदना कुलबुलाती है मन में मेरे कई बार
देख नही पाती मैं किसी पर किसी का अत्याचार।
पर जब आदमी नही कर सकता कुछ भी कार्य
तब पुलिंदा संवेदनाओ का थोपता दूसरों पर यार।

औरतों को देखिए प्रतिमुर्ती
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संवेदना,<span>अतुकांत कविता</span>
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Bandana Singh

Bandana Singh 3 years ago

क्या अब यह प्रतियोगिता पर एड नही हो सकती।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आपने रचना को प्रतियोगिता में ऐड नही किया है कृपया एडिट कर ऐड कर दीजिए

कविताअतुकांत कविता

जनता की लाचारी

  • Edited 3 years ago
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  • 78
  • 3 Mins Read

अब समर में कुछ भी शेष नही
सारे छल दंभ लग गये दाव पर
बाकी अब कुछ भी नहीं।

न तो किसी की इज्जत मन में
न ही किसी का प्यार रहा
माटी का लाल यहाँ पर
हर हाल बिकने को बेहाल रहा।

सभी राजनीति के पुजारी
जोर
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जनता की लाचारी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

पनपी मन में एक अभिलाषा

  • Edited 3 years ago
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  • 87
  • 3 Mins Read

जब सारी आशायें टूट गयीं
और कुछ न रही आशा।
तब प्यासे मन की प्यास
बुझाने पनप गयी एक अभिलाषा।

हाथ में कलम उठाई तब
जब सारे सपने टूट गये
जिनको समझा था अपना
वो बीच में ही छोड़ गये।

अब नौका है कागज की
दूर
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पनपी मन में एक अभिलाषा  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

मेरा शहर बनारस

  • Edited 3 years ago
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  • 164
  • 3 Mins Read

शहर मेरा बनारस
बरसे जैसे सुधारस
हर तरफ ज्ञान की आभा
लिए हुए विविध यश।
शहर मेरा बनारस।

इसकी गलियां सकरी
पर खिलती हैं हंस हंस
दैदिव्य ज्ञान की कुंजी
देवताओं की है पूंजी
शहर मेरा बनारस
बरसे जैसे
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मेरा शहर बनारस,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

अलविदा 2020

  • Edited 3 years ago
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  • 167
  • 3 Mins Read

अलविदा २०२०

जैसा इसका नाम
वैसी ही रही टीस
दे गया घाव कई
अलविदा 2020।

अपनों की अबोल दुश्वारियां
लोगों के दुखों की क्यारियाँ
देकर बलाएँ जीवन रहा घिस
अलविदा संघर्षों भरा २०२०।

जीवन आनी जानी है
माना
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अलविदा 2020,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

Bandana Singh3 years ago

आपका सहृदय धन्यवाद

कविताअतुकांत कविता

मृत्यु और सभ्यता

  • Edited 3 years ago
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  • 148
  • 5 Mins Read

एक दिन सभी मृत हो जाएंगे
पर कविता जीवित रहेगी।
इसी वातावरण के भग्नावशेषों में
इन्हीं जलते हुए अंगारों में
और बुझे हुए राखों के ढेर में
वह सतत सोधीं बन उड़ती रहेगी।
वह चिरकाल से हो रहे "न्याय
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मृत्यु और सभ्यता ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

माँ की ममता

  • Edited 3 years ago
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  • 167
  • 3 Mins Read

माँ तेरी ममता अनमोल है
इसका नही देखा कोई तोल है।

माँ में समाई है ये दुनिया सारी
माँ के ऊपर मैं सबकुछ वारी।

माथे पे तेरे बिन्दी गोल है
माँ तेरी ममता अनमोल है।

सारी दुखों का सहारा है तू
डूबती
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माँ  की ममता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मर्मस्पर्शी

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका

कवितागजल

कुछ भी हमारा नही होता

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 2 Mins Read

गजल

सबकुछ होकर अपना कुछ भी हमारा नही होता
अब क्या करें की थोड़े में गुजारा नही होता

ये दिल गर उनके प्यार का मारा नही होता
दुनिया में कोई शख्स यूं आवारा नही होता।

ये आंसू पिघल कर यूं बेसहारा
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कुछ भी हमारा नही होता ,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

उन्मुक्त

  • Edited 3 years ago
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  • 122
  • 5 Mins Read

कविता - उन्मुक्त

उन्मुक्त कौन नही होना चाहता?
सभी उन्मुक्त होना चाहते हैं।
फिर चाहे वह एक छोटा सा बच्चा हो
या फिर वयस्क।
उन्मुक्तता में हंसी हुई नौनिहालों की किलकारी
किसे पुलकित नही करती।
एक
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उन्मुक्त ,<span>अतुकांत कविता</span>
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