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Competition | Rank | Certificate |
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मेरा शहर | Certificate | |
आया बसंत झूम के | Certificate |
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Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | बाल कविता |
London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता, बाल कविता
मैं एक चिड़िया प्यारी
समझ गयी तिनके की महिमा
जो सब लोगो को प्यारी
मैं एक चिड़िया प्यारी।
हरे भरे दरख्त में मेरा वास
सुन्दर सा प्राकृतिक अहसास
रैन बसेरा करती हूँ
परिश्रम सुबह से शाम।
घास
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कविताभजन
कर लो विनती मेरी अब स्वीकार मेरी माँ
तेरे चरणों में लाखों प्रणाम मेरी माँ 🙏
मईया का मुखड़ा बड़ा प्यारा प्यारा
देता टूटे दिलों को सहारा 🤝
अब बिगड़ी मेरी तू संवार मेरी माँ
कर लो विनती मेरी अब
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सैनिक जीवन के दुर्गम संघर्ष और राजनेताओं की उपेक्षा को बखूबी बयां करती रचना।
बहुत खूब 👌🏻
बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए
कविताअतुकांत कविता, बाल कविता
एक छोटी कविता जो मैने उस समय लिखी जब एक छोटा सा चूजां (गौरैया का बच्चा) के जोर से चलने पर अपने घोसले से बाहर गिर पड़ा, बहुत ही मासूम उसके पंख में चोट आ गयी ।उसकी माँ उसके सलामत के लिए इधर उधर से कुछ दाने
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कवितालयबद्ध कविता, गीत
सा रे गा मा (अंत का आरंभ)भाग चार
।।।गीत मिलन के।।।
नायक और नायिका के अन्तर्ममन की आवाज
कुछ यूं गीत बन कर फजाओं में गुजने लगी
आखिरकार निस्वार्थ प्रेम की जीत होती है। दोनो एक
दूसरे की आखों में
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कवितालयबद्ध कविता
कविताओं की नगरी है बेहद ही अद्भुत
हर तरह की चाक चौबंद वायु बिल्कुल शुद्ध
हर रंग के रंग में कविताओं का खिलना
आपस में ना कोई बैर काटों से भी मिलना
चांद जहां ठंडा भी है और गरम हो जाता
बारिश की भीनी
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कवितागीत
अनजान राहों पर चलने लगे हम
घड़ी दो घड़ी को संभलने लगे हम
तेरे प्रेम का सिलसिला जो चला तो
किस्मत पर अपने मचलने लगे हम।
मगर क्या करें की मजबूरी देखो
किस्मत में प्रेम की यह दूरी देखो
बूँद जैसे टूटे
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बहुत अच्छा लिखा है मैम उम्दा
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
कवितालयबद्ध कविता
जिन्दगी ख़्वाहिशों का ढेर हो गयी
दिया तूने सब पर थोड़ी देर हो गयी
खुशियां सारी जलीं मेरी शोलों में धूं धूं कर
नशीब मेरी ये दिलफरेब हो गयी।
कई ख्वाब पाले थे मम्मी ने पापा ने
अब जलते हुए दिये की
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कवितागीत
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये गजब बेक़रारी
मैं करता हूँ कुछ भी चाहे जहाँ भी
निगहबान होती हैं नजरें तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।
हम अपने दम पे जिन्दा ही कब थे
आखों का
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कवितागीत
सा रे गा मा संगीत उत्सव २०२१
समूह प्रेम तरंग, कहानी गीतों भरी
कहानी अंत का आरंभ-भाग-दो
(गीत)
आखों में चमकता प्यार तेरा
मुझको न पागल कर जाए
जीते हैं बस तेरे लिए।
हम जीते जी न मर जाएं।
तेरी
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कवितालयबद्ध कविता
लगे झुमने डाली डाली
हवा चली फिर मतवाली
पतझर का मौसम बीता
आई बहारें फूलों वाली।
सरसों हुई सभी लताएं
फूले झूमें व लहराएं
मौज सभी का आया देखो
नवयौवन पर जैसे बालाएं।
पवन पुरवाई मचल चली है
दुल्हन
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कवितालयबद्ध कविता
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्
मनहरम् मनहरम् मनहरम्
सुन्दरम् सुन्दरम् सुन्दरम्
बसंत का आगमन स्वागतम्
हिय हर्षित भवम् मनहरम्
दृश्य पुलकित करे स्वागतम्
लाल पुष्प सुशोभित सुन्दरम्
पीत धरती
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कवितालयबद्ध कविता
बड़ी बेमुरव्वत जिन्दगी हो गयी है
दिन काली रातें हसीन हो गयी है।
तेरे इश्क का सर नशा चढ़ गया है
जो भी सामने है ,वो आया गया है।
नावाकिफ मैं खुद के जिम्मेदारीयों से
बसन्त में भी सुखा ये चेहरा नया
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क्या मैने अपडेट करके प्रयास किया। क्या अब प्रतियोगिता में ऐड है ।कृपया बताएं। मेरी कविता संवेदना भी प्रतियोगिता में शामिल नही हो पायी मैने ऑप्शन क्लिक किया था ।
जी अब ऐड हो गयी है।
कविताअतुकांत कविता
अब समर में कुछ भी शेष नही
सारे छल दंभ लग गये दाव पर
बाकी अब कुछ भी नहीं।
न तो किसी की इज्जत मन में
न ही किसी का प्यार रहा
माटी का लाल यहाँ पर
हर हाल बिकने को बेहाल रहा।
सभी राजनीति के पुजारी
जोर
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कविताअतुकांत कविता
जब सारी आशायें टूट गयीं
और कुछ न रही आशा।
तब प्यासे मन की प्यास
बुझाने पनप गयी एक अभिलाषा।
हाथ में कलम उठाई तब
जब सारे सपने टूट गये
जिनको समझा था अपना
वो बीच में ही छोड़ गये।
अब नौका है कागज की
दूर
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कवितालयबद्ध कविता
शहर मेरा बनारस
बरसे जैसे सुधारस
हर तरफ ज्ञान की आभा
लिए हुए विविध यश।
शहर मेरा बनारस।
इसकी गलियां सकरी
पर खिलती हैं हंस हंस
दैदिव्य ज्ञान की कुंजी
देवताओं की है पूंजी
शहर मेरा बनारस
बरसे जैसे
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कवितालयबद्ध कविता
अलविदा २०२०
जैसा इसका नाम
वैसी ही रही टीस
दे गया घाव कई
अलविदा 2020।
अपनों की अबोल दुश्वारियां
लोगों के दुखों की क्यारियाँ
देकर बलाएँ जीवन रहा घिस
अलविदा संघर्षों भरा २०२०।
जीवन आनी जानी है
माना
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कविताअतुकांत कविता
एक दिन सभी मृत हो जाएंगे
पर कविता जीवित रहेगी।
इसी वातावरण के भग्नावशेषों में
इन्हीं जलते हुए अंगारों में
और बुझे हुए राखों के ढेर में
वह सतत सोधीं बन उड़ती रहेगी।
वह चिरकाल से हो रहे "न्याय
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कवितालयबद्ध कविता
माँ तेरी ममता अनमोल है
इसका नही देखा कोई तोल है।
माँ में समाई है ये दुनिया सारी
माँ के ऊपर मैं सबकुछ वारी।
माथे पे तेरे बिन्दी गोल है
माँ तेरी ममता अनमोल है।
सारी दुखों का सहारा है तू
डूबती
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कवितागजल
गजल
सबकुछ होकर अपना कुछ भी हमारा नही होता
अब क्या करें की थोड़े में गुजारा नही होता
ये दिल गर उनके प्यार का मारा नही होता
दुनिया में कोई शख्स यूं आवारा नही होता।
ये आंसू पिघल कर यूं बेसहारा
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